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ओडिशा ट्रेन हादसाः रेलवे बोर्ड की कहानियां हैं, पर 'ठोस' कुछ नहीं

ओडिशा ट्रेन हादसाः रेलवे बोर्ड की कहानियां हैं, पर 'ठोस' कुछ नहीं

रेलवे बोर्ड ने आज ओडिशा हादसे को लेकर तमाम बातें बताईं लेकिन यह भी कहा कि अभी ठोस कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उसने यह भी कहा कि यह सिस्टम की विफलता नहीं है।

रेलवे बोर्ड ने आज रविवार को ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुई भयानक ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना की घटनाओं का विवरण दिया। जबकि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णो ने कहा है कि यह हादसा "इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम" के साथ समस्या के कारण हुई थी। इस हादसे में कम से कम 288 लोग मारे गए और 1,000 से अधिक घायल हो गए।

रेलवे बोर्ड ने बताया कि बालासोर का बहनागा बाजार स्टेशन, जहां भीषण हादसा हुआ, चार लाइन वाला स्टेशन है।बीच में दो मुख्य लाइनें और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं। दोनों लूप लाइनों पर लौह अयस्क से लदी मालगाड़ियां चलती थीं।

शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई से हावड़ा जा रही थी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा से आ रही थी। दोनों मुख्य लाइनों पर सिग्नल हरा था। कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी और दूसरी पैसेंजर ट्रेन 126 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। यह जानकारी देते हुए जया वर्मा सिन्हा, सदस्य, संचालन और बीडी, रेलवे बोर्ड ने कहा कि सीमा 130 किमी प्रति घंटा है, इसलिए उनमें से कोई भी ओवरस्पीडिंग नहीं कर रहा था।

उन्होंने कहा कि उस दौरान एक सिग्नलिंग समस्या का पता चला था। आगे की जांच के बाद ही विवरण सामने आएगा। सुश्री सिन्हा ने कहा कि इतनी तेज गति की वजह से बचाव का समय बहुत कम था। उन्होंने कहा कि इसे विफलता कहना सही नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने बार-बार रेल मंत्री के इस दावे को दोहराया कि ये केवल शुरुआती निष्कर्ष हैं, और औपचारिक जांच पूरी होने तक कुछ भी ठोस नहीं कहा जा सकता है। 

सुश्री जया सिन्हा ने बार-बार जोर देकर कहा कि केवल एक ट्रेन, कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हुई। तीन ट्रेनें हादसे का शिकार नहीं हुईं। किसी कारण से, वह ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई, और इंजन और कोच उस पर चढ़ गए। उन्होंने समझाया कि लूप लाइन में से एक पर खड़ी लौह अयस्क से भरी मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उन्होंने दावा किया कि मालगाड़ी ने दुर्घटना के सभी झटके झेल लिए क्योंकि इसमें बहुत भारी वजन था। सुश्री जया सिन्हा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे तीसरे ट्रैक पर गिर गए थे और उस पर हावड़ा से तेज गति से आ रही ट्रेन के कुछ डिब्बों में जा घुसे।

उन्होंने कहा, " वो लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच थे, वे बहुत सुरक्षित हैं। लेकिन मालगाड़ी में लौह अयस्क भरा था, इसलिए नुकसान ज्यादा था।

रेलवे ने कहा है कि स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली "कवच" उस मार्ग पर उपलब्ध नहीं था जहां शुक्रवार शाम को दुर्घटना हुई थी।

सुश्री जया सिन्हा ने कवच की अनुपस्थिति पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सवाल को खारिज करते हुए रेल मंत्री के दावे को दोहराया कि दुर्घटना का कवच से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि यह इस तरह की दुर्घटना को टालने में मददगार नहीं होता। दुनिया की कोई भी तकनीक कुछ दुर्घटनाओं को नहीं रोक सकती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर वाहनों के सामने बोल्डर के अचानक गिरने का उदाहरण देते हुए कहा। यानी उनका कहना था कि बोल्डर गिरने पर कोई हादसा रोका नहीं जा सकता।

रेलवे का कवच सिस्टम को अलर्ट करता है। जब कोई लोको पायलट सिग्नल जंप करता है। सिग्नल जंप करना ही ट्रेनों की टक्करों के प्रमुख कारणों में से एक है। सिस्टम लोको पायलट को सतर्क कर सकता है, ब्रेक पर नियंत्रण कर सकता है और ट्रेन को निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन को नोटिस करने पर ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक सकता है।

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