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ओडिशा ट्रेन हादसाः जांच रिपोर्ट दाखिल लेकिन सार्वजनिक नहीं, जीएम को हटाया

ओडिशा ट्रेन हादसाः जांच रिपोर्ट दाखिल लेकिन सार्वजनिक नहीं, जीएम को हटाया

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है लेकिन रेलवे ने इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया। उसका कहना है कि इससे सीबीआई जांच पर असर पड़ सकता है। दूसरी तरफ दक्षिण पूर्व रेलवे की जीएम अर्चना जोशी को आज हटा दिया गया। लेकिन उन्हें घटना के करीब एक महीने बाद हटाया गया है। अर्चना जोशी की जगह कैबिनेट की अप्वाइंटमेंट कमेटी ने अनिल कुमार मेहरा की नियुक्ति अर्चना की जगह की है। रेलवे इस बारे में मौन है कि अर्चना जोशी को हटाने का संबंध बालासोर घटना से है या नहीं।

रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने अपनी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में सिग्नलिंग और दूरसंचार विभाग (एसएंडटी) की खामियों की ओर इशारा किया गया है। इस घटनाक्रम के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे की जनरल मैनेजर अर्चना जोशी को हटा दिया गया है। हालांकि जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। उसके लिए सीबीआई जांच की अलग जांच को बहाना बनाया गया है। 

रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “जांच रिपोर्ट जमा कर दी गई है और इसमें रिले रूम के प्रभारी कुछ कर्मचारियों के साथ-साथ कुछ विभागों की ओर से खामियां पाई गई हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या रिपोर्ट में किसी अन्य संलिप्तता का संकेत दिया गया है, अधिकारी ने कहा, "अगर तोड़फोड़ का कोई पहलू है तो उसकी जांच सिर्फ सीबीआई द्वारा की जाएगी।" 

बता दें कि सीआरएस जांच के अलावा, सीबीआई भी घटना की जांच कर रही है। हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रेलवे ने यह सुनिश्चित करने के लिए रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया है ताकि इसका सीबीआई जांच पर कोई प्रभाव न हो।

रेलवे के अधिकारी ने कहा कि “हम सीबीआई की स्वतंत्र जांच के कारण सीआरएस रिपोर्ट का खुलासा नहीं करेंगे। यह रिपोर्ट किसी भी तरह से अन्य रिपोर्ट को प्रभावित या हस्तक्षेप न करे। हम दोनों रिपोर्टों का संज्ञान लेंगे और घटना का समग्र मूल्यांकन करेंगे और फिर जो भी आवश्यक कदम होंगे, उठाएंगे।”

आमतौर पर, ऐसी रिपोर्टें शीर्ष अधिकारियों तक पहुंच पाती हैं ताकि सीआरएस द्वारा की गई सिफारिशों को सख्ती से नोट किया जा सके और लागू किया जा सके। अधिकारियों ने कहा कि सीआरएस आम तौर पर किसी भी दुर्घटना के एक सप्ताह के भीतर अंतिम रिपोर्ट से पहले एक अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करता है, लेकिन इस बार, उसने पूरी रिपोर्ट जमा की है।

रिपोर्ट सौंपे जाने के कुछ दिन पहले, रेलवे बोर्ड ने अपने सभी रिले रूम के लिए ट्रेन नियंत्रण तंत्र, रिले हट (लेवल-क्रॉसिंग के सिग्नलिंग और दूरसंचार उपकरण) और पॉइंट और ट्रैक सर्किट सिग्नल के साथ डबल-लॉकिंग व्यवस्था की जांच का आदेश दिया था।

घटना के बारे में इसने एक पत्र में संकेत दिया था कि 'रिले रूम तक पहुंच' 'सिग्नलिंग हस्तक्षेप' था, जिसके कारण कोरोमंडल एक्सप्रेस बालासोर में लूप लाइन में आ गई और एक स्थिर मालगाड़ी से टकरा गई। 

अधिकारियों ने यह भी कहा कि स्टेशन प्रबंधक को एक डिस्कनेक्शन मेमो (इंटरलॉकिंग सिस्टम को बंद करने और काम शुरू करने के लिए) और एक रीकनेक्शन मेमो (काम खत्म होने का संकेत देने वाले सिस्टम का दोबारा कनेक्शन) प्राप्त हुआ था। अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला, "हालांकि, वास्तव में, तकनीशियन ने सिस्टम को बायपास कर दिया क्योंकि काम पूरा नहीं हुआ था और उसने कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए 'ग्रीन सिग्नल' पाने के लिए लोकेशन बॉक्स में हेराफेरी की।"

बता दें कि 2 जून को, ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और लौह अयस्क से भरी मालगाड़ी की एक घातक ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 290 लोगों की मौत हो गई और 1,200 यात्री घायल हो गए थे।

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