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निषाद पार्टी की ''हां'' से बीजेपी की जान में जान आई, 18-20 सीटें देने को तैयार

निषाद पार्टी की ''हां'' से बीजेपी की जान में जान आई, 18-20 सीटें देने को तैयार

ओबीसी नेताओं के इस्तीफे पर दबाव में आई बीजेपी फिलहाल निषाद पार्टी को साधने में सफल रही है। बीती रात देर तक निषादों के नेता डॉ. संजय निषाद के साथ पार्टी आलाकमान ने बैठक की। उनको सीटें आफर कीं। जानिए पूरी कहानी।

यूपी में जिस तरह ओबीसी के तमाम नेता बीजेपी छोड़कर जा रहे हैं, बीजेपी नेतृत्व ने फौरन निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को दिल्ली बुला लिया और उनसे गठबंधन में रहने का भरोसा मांगा। कल से ही यह चर्चा थी कि निषाद पार्टी के नेता भी समाजवादी पार्टी में जा सकते हैं।

योगी मंत्रिमंडल से कल जैसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा हुआ और बाकी ओबीसी विधायकों ने भी बीजेपी छोड़ने की घोषणा की तो उसके फौरन बाद गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर यूपी की निषाद पार्टी के अधयक्ष डॉ. संजय निषाद को दिल्ली बुला लिया गया। अमित शाह और कोर कमेटी के बाकी सदस्यों धर्मेंद्र प्रसाद, सुनील बंसल, योगी आदित्यनाथ आदि ने संजय निषाद के साथ कई घंटे तक बैठक की। 

डॉ. संजय निषाद ने आज दिल्ली में रात वाली बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि हमें डेढ़ दर्जन सीटें देने का भरोसा बीजेपी नेतृत्व ने दिया है। सीटों की घोषणा दो-तीन दिन में होगी। सवालों के जवाब में संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी छोड़कर जाने वाले अवसरवादी है। मंत्री रहते हुए जब मलाई खा रहे थे, तभी क्यों नहीं मंत्री पद छोड़ा। इनके जाने से फर्क नहीं पड़ता। 2022 में बीजेपी की सरकार बनेगी।

 - Satya Hindi

आरक्षण का वादा क्या हुआ

लगभग एक महीना हो रहा है लेकिन निषाद उपजातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं मिल पा रहा है। 17 दिसम्बर को लखनऊ में निषाद समाज पार्टी की रैली को गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधित किया था। इस रैली में निषादों को अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ देने की घोषणा की जानी थी। लेकिन अमित शाह ने कोई घोषणा नहीं की। इस पर रैली के दौरान ही लोगों ने अपनी नाराजगी जता दी। संजय निषाद ने भी नाराजगी प्रकट की। फिर उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को अल्टीमेटम जारी कर दिया।

इसके बाद दिल्ली में धर्मेंद्र प्रधान के घर और बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर इस संबंध में बैठक हुई। इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान के घर जनगणना आयुक्त को बुलाकर बात की गई। पिछले एक महीने से चल रही इस कवायद के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला। यही वजह है कि स्वामी प्रसाद के इस्तीफे के बाद बीजेपी आलाकमान को बची-खुची ओबीसी पार्टियों को रोकने की चिन्ता हुई। चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से अब बीजेपी ने अगली सरकार का गठन होने पर आरक्षण का लाभ देने का भरोसा दिया है। डॉ संजय निषाद इसी भरोसे पर बीजेपी के साथ फिलहाल बने हुए हैं। लेकिन अगर उनके समाज ने फिर दबाव बनाया तो वो पलटी मारने में देर नहीं लगाएंगे। 

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