डॉक्टरों पर हमले भारत में ही नहीं, मेक्सिको में तो यूनिफ़ॉर्म पहनने से भी डर रही हैं नर्स
कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले भारत में ही नहीं हुए हैं, बल्कि मेक्सिको, पाकिस्तान और फिलिपींस जैसे देशों में भी हुए हैं। मेक्सिकों में नर्सों पर ऐसे 21 बार हमले हुए। एक नर्स को सार्वजनिक वाहन में जाने से मना कर दिया गया। सड़क से जा रही एक नर्स पर क्लोरिक फेंक दिया गया। अब कई नर्स अपना यूनिफॉर्म पहनने से डरने लगी हैं। नर्सों को मीडिया के माध्यम से हमलावरों से अपील करनी पड़ी कि वे लोगों की जान बचाने के लिए काम कर रहे हैं और उनकी हिफाजत की जाए।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मेक्सिको के सामाजिक सुरक्षा संस्थान में नर्सिंग कार्यक्रम की प्रमुख फ़ैबियाना ज़ेपेडा एरियस ने हमलावरों को संबोधित करते हुए कहा कि 'हम आपकी ज़िंदगियाँ बचा सकते हैं। कृपया आपकी देखभाल करने में हमारा सहयोग करें। और इसके लिए आपको हमारी देखभाल करने की ज़रूरत है।'
तो नर्स जिन लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने में जुटे हैं वही लोग आख़िर उन्हें निशाना क्यों बना रहे हैं? कहा जा रहा है कि हमलावर उनपर यह आरोप लगाते हुए हमले किए कि वे कोरोना फैला रहे थे।
दरअसल, यह सब इसलिए हो रहा है कि एक तो लोगों में कोरोना वायरस का काफ़ी ज़्यादा डर बैठा हुआ है और दूसरे ग़लत सूचनाओं या अफ़वाहों के कारण लोग यह मान बैठ रहे हैं कि नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मी कोरोना फैला रहे हैं। हालाँकि ऐसा सभी लोग नहीं सोच रहे हैं। अलग-अलग तरह से सोचने वाले लोग हैं। कुछ तो कोरोना के डर से ख़ुद घर में बंद हैं और वे बाहर नहीं निकल रहे हैं। कुछ लोग हैं जो यह सोचते हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा और लापरवाही से बाहर इधर-उधर घूम रहे हैं। और कुछ लोग ऐसे हैं जो यह मान बैठे हैं कि क्योंकि नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मी कोरोना मरीज़ों के संपर्क में होते हैं इसलिए वे इस वायरस को फैला रहे हैं।
मेक्सिको में स्वास्थ्य कर्मियों पर ये हमले उन क्षेत्रों में ज़्यादा हुए हैं जहाँ बड़ी संख्या में क़रीब 500 स्वास्थ्य कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं। वहाँ भी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए पीपीई किट जैसे उपकरणों की कमी है और इसके लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की एक वजह यह भी हो सकती है।
भारत में कोरोना से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर भी हमले हुए। ऐसे ही अफ़वाहों के कारण मध्य प्रदेश के इंदौर और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले हुए। वे वहाँ पर स्क्रीनिंग करने गए थे कि किसी में कोई कोरोना के लक्षण तो नहीं थे। ओडिशा में एक सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर ने यह रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनके अपार्टमेंट बिल्डिंग के निवासियों ने उन पर वायरस फैलाने का आरोप लगाया। अपने बयान में डॉक्टर ने कहा कि एक निवासी ने उसे वहाँ से बाहर नहीं जाने पर बलात्कार की धमकी दी थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, सूरत के एक अस्पताल में काम करने वाली डॉ. संजीवनी पाणिग्रही ने कहा कि पड़ोसियों ने उन्हें अपनी बिल्डिंग में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें समाज से बाहर कर देने की बात कही। उन्होंने कहा कि डॉक्टर होना एक सामाजिक कलंक हो गया है।
I'm myself a govt. doctor being threatened by my Society. Please help @narendramodi sir. @PMOIndia @ZeeNews https://t.co/NHQoQDMOaY
— Sanjibani Panigrahi (@DrSanjibani) March 23, 2020
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान के कराची शहर में एक नर्स ग़ज़ाला भाट्टी ने कहा कि उनके मकान मालिक ने इस डर से अपार्टमेंट खाली करने को कह दिया है कि कहीं कोरोना मरीज़ों का इलाज करने के बाद वह बिल्डिंग में दूसरों में वायरस न फैला दें। वह कहती हैं,
“
मेरा दिल टूट गया। मुझे नर्स होने पर ऐसा डर नहीं लगा था जब तक यह मेरे साथ नहीं हुआ था।
ग़ज़ाला भाट्टी, नर्स, कराची के एक सरकारी अस्पताल
फिलीपींस के दक्षिणी प्रांत सुल्तान कुदरत में एक नर्स पर पाँच लोगों ने यह मानकर कर दिया था कि वह अपने काम के कारण वायरस से संक्रमित था। उन्होंने उसके चेहरे पर ब्लीच डाला, जिससे उसकी आँखों को स्थायी नुक़सान की आशंका है।
स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले और उनके साथ भेदभाव बरते जाने की निंदा भी सभी देशों में की जा रही है। कई देशों में सख़्त कार्रवाई की जा रही है। भारत में तो स्वास्थ्य कर्मियों के साथ भेदभाव या उन पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई का क़ानून बनाया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले को देखते हुए इस महीने एक टेलीविजन भाषण में फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे ने चेतावनी दी थी, ‘मैं पुलिस को आदेश देना चाहता हूँ कि वह उस हर किसी को भी गिरफ्तार करे जो उन्हें प्रताड़ित करता है। एक बार जब जेल में पहुँचें तो उन्हें खाना मत खिलाओ। उन्हें भूखा रहने दो।’
हालाँकि इन सबसे अलग अलग-अलग देशों ही नहीं, पूरी दुनिया भर में ऐसे लोगों की संख्या कहीं ज़्यादा है जो स्वास्थ्य कर्मियों के काम की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं। अपनी ज़िंदगी को जोखिम में डाल दूसरे लोगों की जान बचाने के लिए उनका हौसला अफ़जाई कर रहे हैं। उन्हें सैल्यूट कर रहे हैं। उन्हें समाज के सच्चे हीरो मान रहे हैं। उम्मीद है हमला करने वाले भी आख़िरकार यह समझेंगे।