न्यूजक्लिक मामले में अब ईडी ने अमेरिकी अरबपति सिंघम को जारी किया समन
न्यूजक्लिक मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम को समन जारी किया है। मीडिया में सामने आयी जानकारी के मुताबिक , सिंघम इस समय चीन के शंघाई में रह रहा है। इसलिए ईडी ने विदेश मंत्रालय की मदद से चीनी अधिकारियों को समन भेजा है ताकि वे उसे सिंघम तक पहुंचा सकें।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ईडी ने एक ईमेल भेजकर भी क्यूबा-श्रीलंकाई मूल के इस अरबपति को भारत स्थित ईडी कार्यालय आकर अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा है। न्यूजक्लिक मामले में छापेमारी होने के बाद अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम का नाम चर्चा में आया था।
उस पर चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए धन देने का आरोप है। न्यूजक्लिक पर भी आरोप है कि उसने सिंघम से रुपये लिए हैं। अब इस मामले की जांच में ईडी ने पूछताछ और बयान लेने के लिए सिंघम को बुलाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल भी ईडी ने सिंघम को समन जारी किया था, लेकिन तब चीनी अधिकारियों ने इसे लेने से इंकार कर दिया था।
अब न्यूजक्लिक मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली की अदालत की ओर से चीनी अदालत के नाम एक फॉर्मल रिक्वेस्ट जारी की गई। इसके बाद ईडी की ओर से सिंघम के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने सिंघम को न्यूज़क्लिक फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी बनाया है।
सीबीआई ने दो महीने पहले न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ एफसीआरए उल्लंघन का मामला दर्ज किया था और नेविल रॉय सिंघम को आरोपी बनाया था, अब इसी कड़ी में यह समन जारी किया गया है।
नेविल रॉय सिंघम का नाम सबसे पहले द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में सामने आया था। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि अमेरिकी करोड़पति दुनिया भर में चीनी प्रचार फैलाने में शामिल थे। नोविल ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले महीने न्यूजक्लिक के दफ्तर में छापेमारी की थी और दो लोगों की गिरफ्तारी की थी।
वाम विचारधारा वाले एक्टिविस्ट भी हैं सिंघम
समाचार वेब पोर्टल न्यूजक्लिक पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी के बीच सिंघम का नाम सामने आया था। न्यूजक्लिक पर आरोप है कि उसने अमेरिकी वामपंथी अरबपति नेविल रॉय सिंघम से आर्थिक सहायता ली है।नेविल रॉय सिंघम दुनिया भर में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के आर्थिक मददगार के तौर पर जाने जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह सिंघम कौन है ?
सिंघम के बारे में न्यूयॉर्क टाइम्स ने 5 अगस्त 2023 को एक खोजी रिपोर्ट छापी थी। इसमें दावा किया गया था कि नेविल रॉय सिंघम चीनी प्रचार टूलकिट को वित्त पोषित करने और प्रायोजित करने वाले व्यक्ति हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में नेविल रॉय सिंघम से न्यूजक्लिक के संबंध की बात छपने के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने 7 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यूजक्लिक पर सवाल उठाया था।
उन्होंने आरोप लगाया था कि समाचार वेब पोर्टल, न्यूजक्लिक को भारत में चीनी प्रचार फैलाने के लिए नेविल रॉय सिंघम द्वारा वित्त पोषित किया गया था। ऐसे समाचार पोर्टल निष्पक्ष समाचार के नाम पर फर्जी खबरें फैलाते हैं।
न्यूज क्लिक पर अमेरिकी नागरिक और अरबपति नेविल रॉय सिंघम से 38 करोड़ रुपए लेकर चीन के पक्ष में खबरें चलाने का आरोप है। वह एक बिजनेसमैन होने के साथ ही एक वाम विचारधारा वाले एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाने जाते हैं।
वर्ष 1954 में अमेरिका में जन्मे सिंघम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और मिशीगन यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। उन्होंने बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपने करियर की शुरुआत की थी।
बाद में 1993 में खुद की कंपनी थॉटवर्क्स बनाई। यह कंपनी आईटी कंसल्टिंग जैसी सेवाएं देती है। इस कंपनी को उन्होंने 2017 में बेच दिया। इससे अरबों रुपये उन्हें मिले।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिंघम अपना ज्यादा समय चीन के शंघाई में ही बिताते हैं। वहीं उनका एक ऑफिस भी है। जहां वह चीनी प्रोपोगेंडा विभाग की मदद से काम करते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब दुनिया भर में चीन के हित में और वाम विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए जमकर अपना धन खर्च करते हैं।
अरबपति नेविल रॉय सिंघम चीन के समर्थक हैं
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी वामपंथी अरबपति नेविल रॉय सिंघम चीन के समर्थक हैं। वे दुनिया भर में ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहायता देते हैं जो वाम विचारधारा को प्रचारित-प्रसारित करती हो।सिंघम चीनी सरकारी मीडिया मशीन के साथ मिलकर काम करते हैं और दुनिया भर में इसके प्रचार को वित्तपोषित कर रहे हैं। शी जिनपिंग के शासन में चीन ने अपने सरकारी मीडिया का विस्तार किया है, इसने विदेशी आउटलेट्स के साथ मिलकर काम किया है और विदेशी प्रभावशाली लोगों को तैयार किया है। ऐसे ही लोगों में से एक सिंघम हैं जो कि चीन के समर्थक माने जाते हैं।
वह मैसाचुसेट्स में एक थिंक टैंक से लेकर मैनहट्टन में एक कार्यक्रम स्थल तक में चीनी हितों को बढ़ावा देने में फंडिंग कर चुके हैं।
वह दक्षिण अफ्रीका में एक राजनीतिक दल को फंडिंग कर उसे चुनाव में जीतवाने की कोशिश कर चुके हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिंघम ने भारत और ब्राजील में समाचार संगठनों में निवेश किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि उसने सिंघम से जुड़े उन समूहों के सैकड़ों मिलियन डॉलर को ट्रैक किया है।
उनके समूह चीनी सरकार के साथ बेहतर और उदार संबंधों की वकालत करते हैं और दुनिया भर में चीन की सरकार की बेहतर छवि पेश करते हैं। इन्हीं समूहों में से एक है नो कोल्ड वॉर जैसा समूह जो हाल के वर्षों में सामने आया है। ऐसा ही एक अन्य समूह है जिसका नाम कोड पिंक है।
यह चीन द्वारा मुस्लिम उइगरों की नजरबंदी का बचाव करता है। चीन की इस हरकत को मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया है। इसके बावजूद यह संगठन चीन का बचाव करता रहता है। रिपोर्ट कहती है कि इन समूहों को कम से कम 275 मिलियन डॉलर के दान के साथ अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्थाओं के माध्यम से आर्थिक मदद की गई है। इन सब के तार कहीं न कहीं सिंघम से जुड़ते हैं।