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महाराष्ट्र में नहीं लागू होने देंगे एनआरसी: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में नहीं लागू होने देंगे एनआरसी: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर कहा है कि वह राज्य में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे। 

नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को लेकर विपक्षी दलों वाली राज्य सरकारों का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। लंबे समय तक बीजेपी की सहयोगी रही और अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रही शिवसेना ने भी एनआरसी को लेकर केंद्र को तीख़े तेवर दिखाये हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर कहा है कि वह राज्य में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे। हालांकि, उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून का समर्थन किया है और कहा है कि इस क़ानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। 

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ को दिये एक इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिये लाया गया है। उन्होंने कहा, ‘नागरिकता साबित कर पाना हिंदुओं और मुसलमानों, दोनों के लिये आसान नहीं होगा और मैं एनआरसी को लागू नहीं होने दूंगा।’ ठाकरे ने यह इंटरव्यू शिवसेना के राज्यसभा सांसद और ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत को दिया। 

उद्धव ठाकरे ने यह बयान देकर नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी को लेकर मुसलिम समुदाय की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। क्योंकि महाराष्ट्र में भी कई जगहों पर अभी भी नागरिकता क़ानून और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं और इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए हैं। हाल ही में मुसलिम विद्वानों और मुफ्तियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उद्धव ठाकरे से मुलाक़ात की थी और उनसे राज्य की विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव लाने के लिये कहा था। ठाकरे ने प्रतिनिधिमंडल को प्रस्ताव लाने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया। केरल और पंजाब की सरकारें ऐसा ही प्रस्ताव लाकर उसे पास कर चुकी हैं। केरल और छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारें इस क़ानून के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा चुकी हैं। 

मोदी सरकार बातचीत को तैयार 

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर  प्रदर्शनकारियों और मोदी सरकार के बीच गतिरोध समाप्त होता नहीं दिख रहा है। सरकार का कहना है कि वह इस क़ानून को वापस नहीं लेगी जबकि प्रदर्शनकारियों ने इस क़ानून को वापस लेने की मांग की है। हालांकि इस बीच सरकार की ओर से ऐसे संकेत आये हैं कि वह प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर सकती है। दिल्ली के शाहीन बाग़ में चल रहे आंदोलन को लेकर केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि मोदी सरकार प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने और नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उनकी जो भी शंकाएं हैं, उन्हें दूर करने के लिये तैयार है। 

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