खाने-पीने पर बंदिश: अहमदाबाद में रेहड़ियों पर अंडे- नॉन वेज की बिक्री पर रोक
अहमदाबाद नगर निगम की टाउन प्लानिंग कमेटी ने फ़ैसला लिया है कि शहर में सार्वजनिक जगहों पर नॉन वेज बेचने वाली रेहड़ियां नहीं लगेंगी। मंगलवार से ही निगम के कर्मचारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि कहीं किसी रेहड़ी में अंडा या मांस तो नहीं रखा है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, धार्मिक स्थलों, गार्डन्स, स्कूलों और कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में भी इन चीजों की बिक्री रोक दी गई है।
गुजरात के अंदर ऐसा करने वाला अहमदाबाद नगर निगम चौथा नगर निकाय है। इससे पहले राजकोट, वडोदरा और भावनगर के नगर निकायों ने इस तरह के निर्देश जारी किए थे।
उत्तर प्रदेश के मथुरा में, हरियाणा के गुड़गांव में और असम में भी ऐसे ही आदेश दिए जा चुके हैं। इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं।
पहचान और संस्कृति का हवाला
नॉन वेज बेचने वाली रेहड़ियों पर रोक के लिए नगर निगम की रेवेन्यू कमेटी के चेयरमैन जैनिक वकील ने निगम को पत्र लिखा था और इसमें उन्होंने गुजरात की पहचान और अहमदाबाद की संस्कृति का हवाला दिया था।
रेहड़ी जब्त करने का आदेश
निगम की टाउन प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन देवांग दानी ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि अगर कोई रेहड़ी वाला इस आदेश को नहीं मानता है तो उसकी रेहड़ी को जब्त कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में आम लोगों की ओर से रेहड़ियों से बदबू आने की शिकायतें मिल रही थीं, उसके बाद ही यह फ़ैसला लिया गया है।
मंगलवार को मांस की दुकानें बंद
इस साल मार्च में गुड़गांव नगर निगम की बैठक के दौरान दो पार्षदों ने धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए प्रस्ताव रखा था कि मंगलवार को मांस की दुकानों को बंद रखा जाए। इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी और नगर निगम के इलाक़े में आने वाली दुकानों पर इसे लागू किया गया है। ऐसा न करने वालों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
असम में लाया गया बिल
इसी साल जुलाई में असम की विधानसभा में एक बिल लाया गया था। इसमें कहा गया था कि राज्य के जिस इलाक़े में हिंदू, जैन, सिख और बीफ़ नहीं खाने वाले दूसरे समुदाय के लोग रहते हैं, वहां पर इसकी और इससे बने उत्पादों की बिक्री और ख़रीद पर रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा किसी मंदिर के 5 किमी. के दायरे में भी बीफ़ की बिक्री नहीं की जा सकेगी। बिल में गाय के अलावा सांड, बैल, बछिया, बछड़ा, भैंस और भैंस के बछड़ों की हत्या पर भी रोक का प्रावधान था। विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद इस बिल को विधानसभा से पास कर दिया गया था।
सितंबर में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मथुरा के वृंदावन में कृष्ण जन्मभूमि के 10 किमी. के दायरे में शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।
क्या है मक़सद?
बीजेपी शासित राज्य सरकारों या इन राज्यों के नगर निगमों के इस तरह के फ़रमानों को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े होते रहे हैं। मसलन कि खाने-पीने का मसला व्यक्तिगत है और संवैधानिक मुल्क़ में इस पर किसी तरह की कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। ख़ुद बीजेपी शासित राज्यों में वहां के नेता बीफ़ की वकालत कर चुके हैं। लेकिन दूसरे राज्यों में इसे लेकर उनके दूसरे पैमाने हैं। इससे ही यह सवाल खड़ा होता है कि क्या इस तरह के आदेश किसी ख़ास मक़सद से जारी किए जाते हैं।