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3700 किलो विस्फोटक से ट्विन टावर 9 सेकंड में होंगे ध्वस्त

3700 किलो विस्फोटक से ट्विन टावर 9 सेकंड में होंगे ध्वस्त

नोएडा में सुपरटेक के 32 मंजिलों तक बने दो गगनचुंबी टावरों को ढहाने का आदेश तो हो गया, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे ढहाया कैसे जाएगा? जानिए क्या है तैयारी।

नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर को 28 अगस्त को दोपहर 2:30 बजे ध्वस्त कर दिया जाएगा। रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन यानी आरडब्ल्यूए ने सुपरटेक के ट्विन टावर के विध्वंस को अंजाम देने के लिए सभी ज़रूरी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। इन टावरों को पहले 21 अगस्त को ध्वस्त किया जाना था, लेकिन अदालत ने नोएडा प्राधिकरण की अपील पर 28 अगस्त तक टालने के लिए अनुमति दे दी थी।

इन दोनों टावरों में 40-40 मंजिलें प्रस्तावित थीं। इनमें 32-32 मंजिलें बन चुकी थीं। फ़्लैट बनाने का काम करने वाली सुपरटेक ने इन दोनों टावरों में 900 से ज़्यादा फ़्लैट बनाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला निर्माण से संबंधित क़ानूनों के उल्लंघन पर दिया है।

क़रीब नौ साल में बने इन दोनों टावरों को ध्वस्त करने का आदेश तो हो गया है, लेकिन क्या यह इतना आसान है? यह सवाल इसलिए कि इन टावरों के आसपास कई कॉम्पलेक्स हैं, 60 फीट वाली मुख्य सड़क है, पार्क है और पेड़ पौधे भी हैं। इन टावरों के सबसे क़रीब सिर्फ़ 9 मीटर की दूरी पर ही दूसरा कॉम्पलेक्स है। इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर क्या बिना किसी नुक़सान के इसको ढहाना संभव है? आप यह जानकर चौंक जाएँगे कि यह बिल्कुल संभव है। कुछ मिनटों या कहें कि सेकंडों में ही दोनों टावर ध्वस्त हो सकते हैं।

आम तौर पर ऐसी स्थिति में गगनचुंबी इमारतों को ध्वस्त करने का तरीका इंप्लोजन यानी अंतर्मुखी विस्फोट है। घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में इमारतों के विध्वंस के लिए सबसे आम तरीक़ा इमारत में कई प्वाइंट पर विस्फोटक लगाने का है। इसमें दीवारों में छेद करके छोटे-छोटे विस्फोटक लगाए जाते हैं। सावधानी से किए गए एक साथ विस्फोट के बाद इमारत का मलबा इमारत के अंदरुनी हिस्से में ही गिरता है। कुछ मिनटों या सेकंडों में पूरी इमारत परिसर में ही ध्वस्त हो जाती है।

नोएडा के इन दोनों टावरों को नष्ट करने के लिए कम से कम 3,700 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। हर मंजिल पर जो विस्फोटक तार लगाए गए हैं, उन्हें अगले दो से तीन दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। पिछले दो हफ्तों में ट्विन टावर्स में विस्फोटक लगाए गए हैं।

ध्वस्त करने की तैयारी में आरडब्ल्यूए जुटा हुआ है। दोनों टावरों में विस्फोटक लगाए जा चुके हैं। लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार आरडब्ल्यूए वीपी ने कहा, 'इवैक्युएशन के बाद लाइट, लिफ्ट और पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। रखरखाव वाले सभी कर्मचारियों, आसपास की सोसाइटी के निवासियों को एक सुरक्षित क्षेत्र में ले जाया जाएगा। हम दोपहर 12 बजे तक नो मैन्स लैंड की उम्मीद कर रहे हैं। 2:30 बजे विस्फोट किया जाएगा। इसके बाद सरकारी एजेंसियाँ ​​निरीक्षण करेंगी।'

दोनों टावर रविवार दोपहर 2.30 बजे 9 सेकंड में नष्ट हो जाएंगे और ये भारत में ध्वस्त की जाने वाली अब तक की सबसे ऊंची इमारतें बन जाएंगी।

एडिफिस इंजीनियरिंग पार्टनर उत्कर्ष मेहता के अनुसार, सभी विस्फोटकों को एक के बाद एक विस्फोट करने में नौ से दस सेकंड का समय लगेगा। नोएडा में ट्रैफिक डीसीपी गणेश शाह ने कहा, 'यातायात योजना अंतिम चरण में है। कुछ दिन पहले दो टावरों के सामने वाली सड़क को बंद कर दिया गया था। विध्वंस के दिन इससे जुड़े सभी रास्ते बंद रहेंगे।' बता दें कि इन टावरों का क़रीब 35,000 क्यूबिक मीटर मलबा होगा जिसे साफ होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे।

केरल में 18 मंजिला टावर ढहाया था

भारत में भी ऐसी ही एक गगनचुंबी इमारत ढहाई गई थी। पिछले साल ही। केरल के मराडु का यह मामला था। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने ही निर्देश दिया था। वह टावर पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी कर बनाया गया था। उस टावर में 18 मंजिलें थीं। इसको ढहाने के लिए 960 छेद किए गए थे और उसमें 15 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था। जब विस्फोट किया गया था तो बिल्डिंग के अहाते में ही पूरा हिस्सा ध्वस्त हो गया था। आसपास की इमारतें, आंगनबाड़ी केंद्र, पेड़-पौधे और दूसरी किसी भी चीज को नुक़सान नहीं पहुँचा था। 

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