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फिर मुसीबत में इमरान, पीटीआई में बग़ावत, गिर जाएगी सरकार?

फिर मुसीबत में इमरान, पीटीआई में बग़ावत, गिर जाएगी सरकार?

इमरान खान की हुकूमत को बीते साल मार्च में भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था लेकिन तब सरकार बच गई थी। लेकिन इस बार बगावत उनके घर में हुई है।

पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान एक बार फिर मुश्किलों में घिर गए हैं। उनकी अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ यानी पीटीआई के 24 सांसदों ने एलान किया है कि वे अविश्वास प्रस्ताव पर इमरान खान सरकार के खिलाफ वोट करेंगे। यह अविश्वास प्रस्ताव 8 मार्च को संसद में रखा गया था। 

इमरान बीते कुछ सालों में विपक्ष के लगातार हमलों को झेलते रहे हैं लेकिन इस बार बगावत उनके घर में हुई है।

यह अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी सियासी जमातों पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज़) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की ओर से लाया गया है। इन सियासी जमातों का आरोप है कि मुल्क के आर्थिक संकट और बढ़ती महंगाई के लिए इमरान खान की हुकूमत जिम्मेदार है। अविश्वास प्रस्ताव पर 28 मार्च को वोटिंग हो सकती है। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने इमरान की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है। 

पीटीआई के सांसद राजा रियाज़ ने भी जियो न्यूज़ से कहा कि इमरान खान की हुकूमत महंगाई को काबू करने में नाकाम साबित हुई है। 

बग़ावत करने वाले सभी 24 सांसद इसलामाबाद में स्थित सिंध हाउस में रुके हुए हैं। सिंध सरकार का कहना है कि इन सांसदों को इस बात का डर है कि हुकूमत उनका अपहरण कर सकती है।

जबकि इमरान खान की हुकूमत ने सिंध सूबे की हुकूमत पर आरोप लगाया है कि उसने पीटीआई के सांसदों का अपहरण कर लिया है और उन्हें रिश्वत देने की पेशकश हो रही है। जबकि पीटीआई के सांसदों का कहना है कि सांसद अपनी मर्जी से यहां रुके हुए हैं।

 - Satya Hindi

मरियम नवाज़ और बिलावल जरदारी भुट्टो।

हुकूमत पर आई इस मुसीबत को देखते हुए इमरान खान ने पीटीआई के आला नेताओं और सरकार के वज़ीरों से बात की है। ऐसी भी चर्चा है कि इमरान खान की हुकूमत सिंध में गवर्नर रूल लगा सकती है लेकिन पीटीआई ने इससे इनकार किया है।

सिंध हाउस में घुसे कारकून 

पीटीआई के कारकून शुक्रवार को जबरन इसलामाबाद में स्थित सिंध हाउस में घुस गए और दरवाजों को तोड़ दिया। इसलामाबाद की पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया और पीटीआई के कुछ कारकून को हिरासत में ले लिया। पीपीपी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने पीटीआई कारकूनों के हंगामे को आतंकी करतूत बताया है और कहा है कि यह सिंध पर हमला है। 

जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान की आवाम देख रही है कि कौन मुल्क़ को तानाशाही की ओर ले जा रहा है।

पिछले साल बच गई थी हुकूमत

इमरान खान की हुकूमत को बीते साल मार्च में भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था लेकिन तब सरकार बच गई थी। पाकिस्तान की 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 वोटों की जरूरत है।

इमरान की पार्टी पीटीआई के पास 157 सांसद हैं और कुछ सहयोगी दलों की हिमायत भी उन्हें हासिल है जबकि विपक्षी सियासी जमातों पीएमएल(एन) के पास 83 और पीपीपी के पास 55 सांसद हैं। बीते साल नेशनल एसेंबली की इसलामाबाद सीट पर भी पीटीआई को हार मिली थी और उसके बाद ही यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।

आमने-सामने होंगे विपक्ष-हुकूमत

विपक्ष को जवाब देने के लिए पीटीआई 27 मार्च को इसलामाबाद में एक बड़ा जलसा करने जा रही है। पीटीआई लाखों लोगों की भीड़ जुटाकर इमरान के हक में माहौल बनाने का काम करेगी। दूसरी ओर पीडीएम का मार्च भी 27 मार्च को इसलामाबाद में आ जाएगा। इस तरह हुकूमत और विपक्ष आमने सामने होगा। 

पीडीएम बना सिरदर्द

पीडीएम में पीपीपी, पीएमएल (एन) के अलावा जमीअत उलेमा-ए-इसलाम, अवामी नेशनल पार्टी, पश्तून तहफ्फुज़ मूवमेंट, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (मेंगल) सहित कई सियासी जमात शामिल हैं। पीडीएम की गुजरांवाला, पेशावर, मुल्तान और लाहौर में हुई रैलियों में काफी भीड़ जुटी थी। 

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