हालांकि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने की वारदात में काफी कमी आई है, सरकार ने कड़ा संकेत दे दिया है कि इस तरह की कार्रवाइयों को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि पत्थरबाजी करने या दूसरी विध्वंसक कार्रवाइयों में शामिल पाए गए लोगों को पासपोर्ट या सरकारी नौकरी के लिए ज़रूरी सुरक्षा सर्टिफ़िकेट नहीं दिया जाएगा।
राज्य पुलिस की सीआईडी विंग ने एक सर्कुलर जारी कर स्थानीय पुलिस महकमों से कहा है कि वे इस तरह की वारदात पर नज़र रखें और पहले की घटनाओं में शामिल लोगों के बारे में पता लगाएं।
सीआईडी कश्मीर ने सर्कुलर में कहा है, "जम्मू-कश्मीर सीआईडी की विशेष शाखा को सूचित किया जा रहा है कि पासपोर्ट और सरकारी नौकरी के लिए सुरक्षा सर्टिफिकेट देते समय यह पता लगाया जाए कि उस व्यक्ति का क़ानून व्यवस्था मानने में क्या रिकॉर्ड रहा है, वह पत्थरबाजी और दूसरी विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा है या नहीं। स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड से इसका मिलान किया जाना चाहिए।"
यह भी कहा गया है कि हर तरह के डिजिटल रिकॉर्ड और पुलिस रिकॉर्ड का पता लगाया जाए और उसके आधार पर ही सुरक्षा क्लीयरेंस दिए जाएं।
राज्य में अनुच्छेद 370 में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने के बाद के दो महीने में पत्थरबाज़ी की 306 घटनाएं हुई थीं।
दस्तावेज़ से यह भी पता चला है कि पत्थरबाज़ी की घटनाओं में सुरक्षा बलों के लगभग 100 जवान भी घायल हुए थे। घायल हुए जवानों में सेंट्रल पैरामिलिट्री फ़ोर्स के 89 जवान शामिल थे।