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हैवानियत: बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाएं तक बलात्कारियों से सुरक्षित नहीं

हैवानियत: बच्चियों से लेकर उम्रदराज महिलाएं तक बलात्कारियों से सुरक्षित नहीं

देश भर में बलात्कार की घटनाओं को देखकर लगता है कि 6 साल की बच्ची से लेकर 80 साल तक की दादी भी सुरक्षित नहीं हैं। 

शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक तसवीर वायरल हुई। तसवीर में एक शव अधजला पड़ा है। शव का दाहिना हाथ नज़र आ रहा है। दीवारों पर धुआं है। यह तसवीर सोशल मीडिया पर शेयर कर लोग दरिदों के ख़िलाफ़ अपने ग़ुस्से का इज़हार रहे हैं। तसवीर इतनी डरावनी है कि देखने के बाद किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की रात की नींद ख़राब होनी तय है। फ़ेसबुक ने इसे ऑटो कवर कर रखा है, मतलब यह कि अगर आप देखना चाहते हैं तो ही इसे देखें। सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया देखकर ऐसा लगा कि उनके भीतर बलात्कार जैसी घटना को लेकर ग़ुस्सा है और वे नाराज हैं। आइए, पहले इस घटना और इसके आसपास हुई कुछ और घटनाओं पर नज़र डालते हैं।

इस घटना में तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में गुरुवार 28 नवंबर 2019 की शाम एक महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप कर उनकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस के मुताबिक़, सोशल मीडिया पर वायरल तसवीर इसी महिला की थी। पुलिस ने 4 अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है, जिनकी पहचान मोहम्मद आरिफ़, नवीन, चिंताकुंता केशावुलु और शिवा के रूप में हुई है। महिला डॉक्‍टर रात में अपने घर लौट रही थीं, इसी दौरान रास्‍ते में उनकी स्कूटी पंक्चर हो गई थी। युवती की मदद के बहाने अभियुक्त उसे एकांत में ले गए और उसके साथ बलात्कार किया और फिर हत्या कर दी। अभियुक्तों ने हैवानियत की हदें पार करते हुए उसे जिंदा जला डाला।

झारखंड में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म

एक दूसरी घटना में झारखंड की राजधानी रांची के कांके इलाक़े में 26 नवंबर 2019 की रात को 25 वर्षीय लॉ कॉलेज की छात्रा अपने दोस्त के साथ रिंग रोड के किनारे बैठकर बातचीत कर रही थी। इसी दौरान आस-पास के कुछ अज्ञात युवकों ने छात्रा को बगल के ईंट भट्टे में ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया लेकिन इस लड़की की जान बच गई। पीड़िता ने कांके थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 12 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जिनमें सुनील मुंडा, कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, अमन उरांव, बसंत कच्छप, रवि उरांव, रोहित उरांव और ऋषि उरांव शामिल हैं।

तमिलनाडु में विधवा के साथ बलात्कार

तीसरी घटना में तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के नेइवेली की रहने वाली 32 वर्षीय महिला शुक्रवार 29 नवंबर 2019 को किराना का सामान लेकर दोपहिया वाहन पर अपने एक रिश्तेदार के साथ घर लौट रही थी। रिश्तेदार ने पेशाब करने के लिए वाहन रोका और किनारे चला गया। इसी बीच, पांच युवाओं ने महिला को सड़क पर अकेला खड़े देखकर घेर लिया और छेड़छाड़ करने लगे। महिला का रिश्तेदार उसे बचाने के लिए आया तो पांचों ने उसे पीटकर वहां से भगा दिया। महिला के साथ रेप करने के बाद पांचों में झगड़ा हुआ और उसमें से एक ने दूसरे शख़्स की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद दरिंदे महिला को बेहोशी की हालत में छोड़कर फरार हो गए। महिला ने होश में आने पर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। महिला तीन बच्चों की मां है और विधवा भी है। महिला की शिकायत पर पुलिस ने चार अभियुक्तों कार्तिक (23 वर्ष), एम. सतीश कुमार (23), सी. राजदुरई (25) और ए. शिवाबालन (22) को गिरफ्तार कर लिया। पांचवा अभियुक्त जिसकी साथियों ने ही हत्या कर दी, उसकी पहचान एम. प्रकाश (26 वर्ष) के तौर पर हुई।

बिहार में छात्रा के साथ गैंगरेप

एक और घटना बिहार में हुई। राज्य के कैमूर जिले के मोहनिया थाना क्षेत्र में हाई स्कूल की एक छात्रा के साथ 4 युवाओं ने गैंगरेप किया और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बलात्कार कब हुआ, उसकी सही तिथि पता नहीं चली है। 25 नवंबर 2019 को पुलिस ने 4 अभियुक्तों सोनू शाहनवाज, अरबाज़ उर्फ अयान, सोनू उर्फ कलामू तथा सिकंदर को गिरफ्तार कर लिया और कार भी बरामद कर ली। अभियुक्तों के घर पर हमले, कस्बे में आगजनी, लूटपाट की घटना हुई। धारा 144 लगाई गई। इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। अभी भी तनाव बना हुआ है।

बलात्कार की ये 4 घटनाएं 4 अलग-अलग राज्यों में हुई हैं। तेलंगाना में हुई घटना में पीड़िता को मार डाला गया जबकि बाकी तीनों मामलों में लड़कियां जिंदा हैं। इन घटनाओं में सबसे ज़्यादा आक्रोश तेलंगाना की घटना को लेकर है।

दिए जा रहे बेशर्मी भरे तर्क

जिस तरह से जिंदा बची लड़कियों के मामले में लड़कियों पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं और इस तरह के मामले में पहले भी लगते रहे हैं, उसी तरह से तेलंगाना की घटना में भी लग रहे हैं। तेलंगाना के गृह मंत्री ने कहा कि लड़की पढ़ी-लिखी थी, उसे अपनी बहन को फोन न करके पुलिस को फोन करना चाहिए था। कुछ लोगों का तर्क है कि लड़की को सुनसान में नहीं जाना चाहिए था। कुछ का कहना है कि लड़की को पंचर स्कूटी को छोड़कर चले आना चाहिए था। यानी बलात्कार की शिकार हुई लड़कियों का कोई न कोई दोष होता है, जिसके चलते लड़के उनके साथ बलात्कार कर देते हैं।

तेलंगाना की घटना को लेकर लोगों में ग़ुस्सा है। गुस्सा होना भी चाहिए। लेकिन यह गुस्सा क्षणिक लगता है। सच पूछें तो ऐसा लगता है कि लोगों का ग़ुस्सा सलेक्टिव है। ऐसा नहीं है कि हर कोई हर बलात्कार की घटना को लेकर संवेदनशील है। लोगों में सलेक्टिव असंतोष हो रहा है। यह असंतोष जाति, धर्म, किस दल की सत्ता है, पीड़िता की क्या जाति है, अपराधी की क्या जाति है- के आधार पर तय हो रहा है।

कुल मिलाकर लोग बलात्कार के प्रति यथास्थितिवादी हो गए हैं। कुछ उसी तरह, जैसा अंग्रेजों की ग़ुलामी के वक्त थे। लोगों को भरोसा था कि अंग्रेज सरकार को कोई हटा नहीं सकता। इसके अलावा लोग अपनी सुविधा के मुताबिक़ अंग्रेजों को पसंद या नापसंद करते थे।

मोहनदास करमचंद गाँधी ने 1909 में लिखित और 1910 में प्रकाशित अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में एओ ह्यूम के हवाले से लिखा है, “हिंदुस्तान में असंतोष फैलाने की ज़रूरत है। यह असंतोष बहुत उपयोगी चीज है। जब तक आदमी अपनी चालू हालत में खुश रहता है, तब तक उसमें से निकलने के लिए उसे समझाना मुश्किल है। इसलिए हर एक सुधार से पहले असंतोष होना ही चाहिए। चालू चीज से ऊब जाने पर ही उसे फेंक देने को मन करता है। ऐसा असंतोष हम में महान हिंदुस्तानियों की और अंग्रेजों की पुस्तकें पढ़कर पैदा हुआ है। उस असंतोष से अशांति पैदा हुई और उस अशांति में कई लोग मरे। कई बर्बाद हुए। कई जेल गए। कई को देशनिकाला हुआ। आगे भी ऐसा होगा। और होना चाहिए। ये सब लक्षण अच्छे माने जा सकते हैं। लेकिन इसका नतीजा बुरा भी आ सकता है।”

आपको बताते हैं कि बलात्कार और महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर आपको क्या जानने की ज़रूरत है। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2017 की रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक़, बलात्कार के 2015 में 34,651, 2016 में 38,947 और 2017 में 32,559 मामले दर्ज हुए हैं।

2017 का एक और आंकड़ा अहम है। लड़कियों के साथ बलात्कार करने वालों में उनके जानने वाले 30,299, परिवार के सदस्य 3155, परिवार के मित्र या पड़ोसी या नियोक्ता या अन्य परिचित व्यक्ति 16,591, मित्र, ऑनलाइन मित्र या लिव इन पार्टनर या अलग हुए पति 10,553, पहचाने न जा सके अपराधी 2260 थे।

2017 के एक और आंकड़े पर नज़र डालते हैं। बलात्कार की शिकार 6 साल से कम उम्र की 298, 6 से 12 साल उम्र की 818, 12 से 16 साल उम्र की 3,759, 16 से 18 साल उम्र की 5,346, यानी माइनर या अवयस्क बच्चियों के साथ बलात्कार के  10,221 मामले सामने आए हैं।

बलात्कारियों ने युवतियों व बूढ़ी महिलाओं को भी नहीं बख्शा है। 18 से 30 साल उम्र की 16,900, 30 से 45 साल उम्र की 5,895, 45 से 60 साल उम्र की 503, 60 साल से ऊपर उम्र की 139 महिलाओं यानी कुल 23,437 वयस्क महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है।

नो-टॉलरेंस की नीति अपनाना ज़रूरी

यह आंकड़े असंतोष पैदा करने के लिए पर्याप्त हैं। अगर हम स्थितिवादी नहीं हैं तो महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचार को लेकर अपने मन में नो-टॉलरेंस की नीति अपनानी होगी। यह तो सिर्फ बलात्कार के मामले हैं। महिलाओं की हत्या, एसिड अटैक, पारिवारिक उत्पीड़न के मामले अलग हैं। ऐसे में अगर आप जाति, धर्म, उम्र, हत्या का तरीक़ा, उसकी जघन्यता, अपराधी या पीड़िता की जाति या धर्म देखकर ग़ुस्से में आते हैं तो आपके भीतर सामान्य असंतोष भी नहीं है। आप सलेक्टिव हैं और यथास्थितिवादी होकर मान चुके हैं कि यह सामान्य प्रक्रिया है।

यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि आपकी 6 साल की बच्ची से लेकर आपकी 80 साल तक की दादी भी सुरक्षित नहीं हैं। आपकी बच्ची, बहन, बीबी, अधेड़ हो चुकी मां, आपकी दादी कोई भी बलात्कार का शिकार हो सकती है।

ऐसे में सलेक्टिव अप्रोच छोड़कर अपने भीतर पूर्ण असंतोष लाने की ज़रूरत है। आंकड़े कहते हैं कि बलात्कार के मामलों में सबसे ज़्यादा परिवार के लोग और परिचित शामिल रहते हैं। लड़कियां अगर फूलन देवी नहीं बन सकती हैं तो कम से कम उनके अंदर इतना असंतोष तो होना ही चाहिए कि अगर उनके परिचित छेड़छाड़ करते हैं, तो वे उन्हें झापड़ लगा दें, जिससे कि वे भविष्य में होने वाली किसी दुर्घटना से बच सकें।

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