असम : बीजेपी चुनाव घोषणापत्र में सीएए की चर्चा तक नहीं
जिस नागरिकता संशोधन क़ानून (सिटीजन्स अमेडमेंट एक्ट यानी सीएए) को बीजेपी ने तमाम विरोधों के बीच संसद से पारित करवाया और देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बावजूद उससे टस से मस होने से इनकार कर दिया, असम के चुनाव घोषणापत्र में उसका ज़िक्र तक नहीं है।
इसी तरह एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स लागू किए जाने के ख़िलाफ़ पूरा असम उबलता रहा, सरकार ने इस पर अरबों रुपए खर्च किए और अब बीजेपी उसे बदलने की बात कह रही है। मंगलवार की सुबह असम विधानसभा चुनाव 2021 के लिए जारी बीजेपी के घोषणापत्र, जिसे वह 'संकल्प पत्र' कह रही है, से यह बात साफ़ हो रही है।
BJP National President Shri @JPNadda releases BJP's 'Sankalp Patra' for Assam Assembly Elections in Guwahati, Assam. #10SankalpForAxom https://t.co/J6OHAwBLA9
— BJP (@BJP4India) March 23, 2021
इसके साथ ही यह सवाल उठता है कि क्या बीजेपी सीएए और एनआरसी को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश में है? इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या इस पार्टी ने इन दोनों मुद्दों को सिर्फ वोटों के ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल किया था?
यह तो बिल्कुल साफ़ है कि बीजेपी कम से कम कुछ समय के लिए इन मुद्दों पर अपने पैर पीछे खींच रही है।
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से जब यह सवाल किया गया कि उनकी पार्टी सीएए पर बच क्यों रही है?, उन्होंने कहा, "सीएए को संसद ने पारित किया है और इसे लागू किया जाएगा।" लेकिन इससे इस सवाल का जवाब नहीं मिलता है कि चुनाव घोषणा पत्र में इसे शामिल क्यों नहीं किया गया है।
इसी तरह बीजेपी ने कहा है, "हम असम की सुरक्षा के लिए एक सही एनआरसी पर काम करेंगे। असली भारतीय नागरिकों की सुरक्षा करेंगे और घुसपैठियों को बाहर करेंगे। बीजेपी ने सीमांकन की प्रक्रिया को तेज़ करने का वादा भी किया है।"
क्या हुआ तेरा वादा!
बता दें कि बीजेपी ने 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले मार्च में एक विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया था, उसमें असम में भारत-बांग्लादेश सीमा को सील करने और घुसपैठियों को रोज़गार देने वाली संस्थाओं से निपटने के लिए एक नया क़ानून लाने की बात कही थी। लेकिन ये वादे अब तक पूरे नहीं किए गए हैं।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 3 सितंबर, 2020, को कहा था कि भारत-बांग्लादेश सीमा को जल्द ही पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। लेकिन इस दिशा में कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है। इसे सीएए-एनआरसी पर पार्टी के पैर पीछे खींचने से जोड़ कर देखा जा सकता है।
10 नए सकंल्प!
बहरहाल, बीजेपी ने सीएए और एनआरसी के बजाय दूसरे 10 मुद्दे उठाए हैं और मतदाताओं को आश्वस्त करने की कोशिश की है कि वह इन क्षेत्रों में काम करेगी। वह इसे ही 10 संकल्प के रूप में पेश कर रही है।
10 लाख नौकरियाँ
बीजेपी के असम चुनाव घोषणापत्र की यह भी खूबी है कि इसमें आर्थिक मुद्दों को उठाया गया है और रोज़गार के मौके बनाने का भरोसा दिलाया गया है। बीजेपी ने संकल्प पत्र में कहा है कि असम को देश का सबसे ज़्यादा तेज़ी से रोज़गार पैदा करने वाला राज्य बनाया जाएगा।
बीजेपी ने असम के युवाओं को सरकारी क्षेत्र में दो लाख और निजी क्षेत्र में 8 लाख नौकरियाँ देने का वादा किया है। इतना ही नहीं, इसने तो यह भी कहा है कि 31 मार्च 2022 तक 1 लाख लोगों को नौकरी दी दी जाएगी।
19 प्रतिशत बेरोज़गारी
असम विधानसभा में 2019 तक उपलब्ध एक रिकॉर्ड के अनुसार राज्य में कुल 16,99,977 शिक्षित बेरोज़गार हैं। दूसरी ओर, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल 2020 में असम की बेरोज़गारी दर 19.1% के उच्च स्तर पर पहुँच गई थी।30 लाख लोगों को आर्थिक मदद
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की तरह ही बीजेपी ने असम में लोगों को एक न्यूनतम रकम की नकद आर्थिक मदद करने का ऐलान किया है। बीजेपी ने राज्य के 30 लाख लोगों को 'अरुणोदय' योजना के तहत हर महीने तीन-तीन हज़ार रुपये की आर्थिक मदद देने का वादा किया है।
जेपी नड्डा ने कहा, “पिछले 5 वर्षों में हमारा उद्देश्य जाति, माटी और बेटी को सशक्त करना रहा है। संस्कृति की रक्षा, असम की सुरक्षा और समृद्धि के लिए हम प्रतिबद्ध रहे हैं और इसे लेकर हम चले हैं।”
बीजेपी ने चुनाव घोषणापत्र में असम में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या को ख़त्म करने का वादा भी किया है। उसने कहा है कि ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के अतिरिक्त पानी का संग्रह करने के लिए जलाशय बनाए जाएंगे।
असम के लोगों को ज़मीन का अधिकार देने की बात भी कही गई है। असम के सत्तारूढ़ दल ने कहा है कि भूमिहीनों को ज़मीन का पट्टा दिया जाएगा।