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2019 चुनाव में एनडीए को बहुमत नहीं, इंडिया टीवी ओपिनियन पोल का दावा

2019 चुनाव में एनडीए को बहुमत नहीं, इंडिया टीवी ओपिनियन पोल का दावा

इंडिया टीवी-सीएनएक्स ओपिनियन पोल की माने तो बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में बहुमत नहीं मिलेगा, वह 211 सीटों पर सिमट कर रह जाएगी, जबकि सरकार बनाने के लिए 273 सीटों की ज़रूरत होगी। 

इंडिया टीवी-सीएनएक्स की ओर से कराए गए ओपिनियन पोल पर भरोसा किया जाए तो अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तो बहुमत नहीं ही मिलेगा, तमाम सहयोगी दलों के साथ मिल कर भी वह सरकार बनाने के लिए ज़रूरी तादाद में सीटें नहीं जीत पाएगी। ख़ुद बीजेपी 211 सीटों पर सिमट जाएगी और पूरे एनडीए के पास 245 सांसद ही होंगे। 543 सांसदोें वाले लोकसभा में बहुमत के लिए 273 सीटों की ज़रूरत होगी।  

इंडिया टीवी-सीएनएक्स सर्वे में पाया गया है कि विपक्षी दलों  का गठबंधन यूपीए 146 सीटों पर सिमट कर रह जाएगा। जबकि अन्य को 152 सीटें मिलेंगी।  

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क्या होगा सबसे बड़े राज्य में

इस ओपिनियन पोल के अनुसार सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल को 80 में से सिर्फ 28 सीटों पर ही संतोष करना होगा। यह 2014 में उसे मिले 71 सीटों से 43 सीटें कम हैं। सपा-बसपा गठबंधन को सबसे बड़े राज्य में 47 सीटें मिलेंगी जबकि कांग्रेस समेत अन्य दल 5 सीटों पर सिमट जाएँगे। 

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बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की हालत इससे बेहतर होगी। इस सर्वे के अनुसार इस गठजोड़ को वहां 40 में से 27 सीटें मिलेंगी जबकि राष्ट्रीय जनता दल और उसके सहयोगी 13 सीट पर काबिज हो जाएँगे। 

केरल में क्या होगा

केरल में लोकसभा की 20 सीटों पर चुनाव होंगे। सर्वे के मुताबिक़, इसमें से सबसे अधिक 8 सीटें कांग्रेस की झोली में जाएँगी जबकि वामपंथी दल 5 सीटों पर कब्जा कर लेंगे, बीजेपी एक सीट निकाल लेगी जबकि बाकी बची 6 सीटों पर अन्य की जीत होगी। 

पश्चिम बंगाल में बड़ा उलटफेर

इंडिया टीवी-सीएनएक्स के ओपिनियन पोल के अनुसार, पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर उलटफेर की संभावना है और बीजेपी यहां बहुत बड़ी कामयाबी हासिल कर सकती है। सर्वे का कहना है कि यहां बीजेपी को 10 सीटें मिलेंगी और तृणमूल कांग्रेस 26 सीटों पर जीत हासिल कर लेगी। वहीं, कांग्रेस को 4 सीटें मिलेंगी और वामपंथी दल दो पर सिमट कर रह जाएँगे। यह बहुत बड़ी बात इसलिए होगी कि अब तक बीजेपी को यहां इतनी सीटें नहीं मिली हैं और सीपीएम के लिए दो सीटें बहुत बड़े झटके की तरह होगी। 

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ओड़ीशा

ओपिनियन पोल पर भरोसा किया जाए तो ओड़ीशा की 21 लोकसभा सीटों में से सबसे ज़्यादा 13 सीटों पर वहां का सत्तारूढ़ दल बीजू जनता दल जीत हासिल कर लेगा, वहीं बीजेपी को 8 सीटें मिल जाएँगी। इसके हिसाब से तो वहां कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ़ हो जाएगा। 

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तमिलनाडु में डीएमके का परचम

सर्वेे के अनुसार, तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से डीएमके को 21 और एआईए़डीएमके को 10 सीटें मिलेंगी। कांग्रेस सिर्फ़ 3 सीटों पर सिमट जाएगी और 5 सीटों पर अन्य जीतेंगे। यहां बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिलेगी। 

तेलंगाना

ओपिनियन पोल के अनुसार, तेलंगाना में राज्य की सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति 16 सीटों पर कब्जा कर लेगी जबकि एआईएमआईएम को 1 सीट पर जीत हासिल होगी। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक़ कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं होगी, तेलगु देशम पार्टी को भी कोई कामयाबी नहीं मिलेगी। इसके पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में वाईएसआर सबसे बड़ा दल बन कर उभरेगा और उसे 19 सीटें मिलेंगी। दूसरी ओर कांग्रेस को सिर्फ़ 2 और तेलगु देशम पार्टी को 4 सीटों पर जीत हासिल होगी। 

कर्नाटक में बीजेपी आगे

दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक से बीजेपी के लिए अच्छी ख़बर है। इंडिया टीवी-सीएनएक्स ओपिनियन पोल के मुताबिक़, उसे वहां 15 सीटें मिलेंगी जबकि जेडीएस को 4 और कांग्रेस को 9 सीटें  मिलेंगी। 

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पंजाब में कांग्रेस की फ़तह

ओपिनियन पोल की मानें तो पंजाब में कांग्रेस की स्थिति बेहद मजबूत है। वहां 13 में से 7 सीटों पर पार्टी जीतती हुई दिखती है। अकाली दल को 5 और  आम आदमी पार्टी को 1 सीट पर जीत हासिल हो सकती है। लेकिन, बीजेपी का हाथ खाली रहेगा, यानी वह एक भी सीट नहीं निकाल पाएगी। 

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जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और नैशनल कॉन्फ्रेंस को 2-2 सीटें मिलेंगी, जबकि कांग्रेस और पीडीपी को 1-1 सीट पर ही संतोष करना होगा। दिल्ली की 7 सीटों में से 5 पर बीजेपी जीत सकती है जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को 1-1 सीट मिल सकती है। हिमाचल प्रदेश से बीजेपी के लिए अच्छी ख़बर है। पोल का कहना है कि वहां वह सभी 4 सीटें जीत लेगी। 

यह ओपिनियन पोल कितना सही साबित होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। पर यह तो साफ़ है कि बीेजपी के लिए स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उसके तमाम साथी एक-एक कर साथ छोड़ रहे हैं, उस पर आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे संकेत बार बार मिल रहे है कि जनता अब सत्तारूढ़ दल के साथ उस तरह नहीं है, जैसा पहले थी। दूसरी ओर कांग्रेस आक्रामक हो रही है, राहुल गाँधी प्रभावी नेता बन कर उभर रहे हैं और विपक्षी दल आपसी तालमेल कर रहे हैं। ऐसे में आगे का रास्ता बहुत साफ नहीं होगा। 

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