राज्यसभा उप सभापति के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव, सरकार ने किया हरिवंश का बचाव
राज्यसभा में ध्वनि-मत से कृषि विधेयक पारित कराने से बौखलाए 12 विपक्षी दलों ने उप सभापति हरिवंश के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। लेकिन सरकार ने इस पर उप सभापति का ज़ोरदाव बचाव ही नहीं किया, बल्कि राज्यसभा में विपक्ष के व्यवहार को संसदीय मर्यादा का उल्लंघन और लोकतंत्र के लिए शर्मनाक क़रार दिया है।
टीएमसी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, सीपीआई, सीपीआईएम, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, नैशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके और आम आदमी पार्टी ने एक साथ मिल कर यह नोटिस दिया है।
कांग्रेस सदस्य अहमद पटेल ने कहा,
“
'उन्हें (हरिवंश को) लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, पर उन्होंने आज लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मूल्यों को नुक़सान पहुँचाया है। इसलिए हमने उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फ़ैसला किया है'।
अहमद पटेल., राज्यसभा सदस्य, कांग्रेस
टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि 'उसने विपक्ष को धोखा दिया है, संसद के सारे निमयों को तोड़ा है।'
They cheated. They broke every rule in Parliament. It was a historic day. In the worst sense of the word. They cut RSTV feed so the country couldn't see. They censored RSTV. Don’t spread propaganda. We have evidence. But first watch this pic.twitter.com/y4Nh9Vu9DA
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 20, 2020
हंगामा, शोरगुल
बता दें कि रविवार को सुबह ही राज्यसभा में दो कृषि विधेयक पेश किए गए। इस पर लंबी बहस चली। बहस के बीच कई बार गर्मागर्मी हुई, हंगामा हुआ और नोकझोंक हुई। सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दलों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए और हमले किए।इस हंगामे के बीच टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन उप सभापति के पास पहुँचे, राज्यसभा की कार्यवाही का रूल बुक उन्हें दिखाया और उसे फाड़ दिया। हंगामे के बीच उप सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
थोड़ी देर बाद कार्यवाही शुरू हुई, फिर बहस हुई, फिर नारेबाजी हुई, हंगामा हुआ। इस हंगामे के बीच ही उप सभापति हरिवंश ने दोनों कृषि विधेयक को बारी-बारी से ध्वनि-मत से पारित घोषित कर दिया।
विपक्ष के सदस्य इस पर मत विभाजन यानी मतदान की मांग करते रहे, पर हरिवंश ने विधेयकों को पारित घोषित कर दिया। इसके बाद एक बार फिर हंगामा हुआ, विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी की और सदन में ही धरने पर बैठ गए।
विपक्ष पर बरसे राजनाथ
शाम को सरकार के 6 मंत्रियों ने एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार का पक्ष रखा और इस मुद्दे पर विपक्ष पर हमला किया। गृह मंत्र राजनाथ सिंह ने इसे 'संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन' क़रार देते हुए 'लोकतंत्र के लिए शर्मनाक' क़रार दिया। राजनाथ सिंह ने कहा,
“
'यह घटना काफी ग़लत थी, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। यह दुखद था, संसदीय मर्यादा का उल्लंघन हुआ है। उपसभापति के साथ किया गया आचरण ग़लत था। आसन पर चढ़ना, रूल बुक फाड़ना काफी दुखद था।'
राजनाथ सिेंह, गृह मंत्री
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावड़ेकर, प्रह्लाद जोशी, पीयूष गोयल, थावर चंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी भी मौजूद थे।
एमएसपी ख़त्म नहीं
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजनाथ सिंह ने कृषि विधेयकों का ज़ोरदार बचाव करते हुए कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, 'मैं पूरी ज़िम्मेदारी के साथ देश के सभी किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) न ख़त्म किया गया है न ही कभी ख़त्म किया जाएगा।'पत्रकारिता से राजनीति में आए हरिवंश दूसरी बार राज्यसभा उप सभापति बने हैं। उन्होंने दूसरी बार इस पद का चुनाव बीते दिनों ही जीता, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा को हराया था।
हरिवंश जनता दल युनाइटेड के सदस्य हैं, जो एडीए के साथ है। उन्हें बीजेपी का समर्थन प्राप्त है। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव यदि रखा गया और उस पर मतदान हुआ तो भी हरिवंश के हटने की संभावना बेदह कम है। विपक्ष उप सभापति को पद से नहीं हटा सकता, लेकिन वह इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार पर दबाव बना सकता है।