संसद में अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार, दोनों सदनों में हंगामा
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव किया, जिसे स्पीकर ओम बिड़ला ने स्वीकार कर लिया। स्पीकर ने कहा है कि वो इस पर बहस की तारीख और अन्य शेड्यूल जल्द ही तय करके बताएंगे। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने पीएम मोदी को बुलाकर मणिपुर पर बयान की मांग की। इस पर शोर शराबा हुआ। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही पहले 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। इसके बाद दो बजे जब सदन लौटा तो राज्यसभा में फिर शोरशराबा हुआ। विपक्ष ने राज्यसभा से वाकआउट कर दिया। उधर लोकसभा की कार्यवाही भी पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
इससे पहले गौरव गोगोई के अलावा तेलंगाना की बीआरएस पार्टी के सांसद नामा नागेश्वर राव ने भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। मणिपुर की स्थिति को लेकर चालू मॉनसून सत्र के दौरान संसद में गतिरोध कल चौथे दिन भी जारी रहा था।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की थी। डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन और आप सांसद राघा चड्ढा ने नियम 267 के तहत राज्यसभा में बिजनेस नोटिस को निलंबित कर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग की थी।
इंडिया को अविश्वास प्रस्ताव लाने से रोकने की कोशिश के रूप में सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की पेशकश की गई लेकिन विपक्ष ने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी संसद में आकर मणिपुर पर बयान नहीं देते हैं तब तक कोई बात नहीं होगी। इस तरह दोनों तरफ से जिद है। प्रधानमंत्री संसद के बाहर तो मणिपुर पर बोल चुके और राजनीतिक बात भी कह चुके लेकिन वो संसद में आकर नहीं बोल रहे हैं। इंडिया गठबंधन की फ्लोर स्ट्रेटेजी बैठक में कल शाम को सदस्य दलों के नेताओं ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा की थी। मोदी सरकार को लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, इसलिए इस अविश्वास प्रस्ताव से सरकार को लगभग कोई खतरा नहीं है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने 26 जुलाई को इस मुद्दे पर एएनआई से कहा- "भारत के संसदीय इतिहास में कई बार, संसद के भीतर बहस, संवाद और चर्चा के महत्वपूर्ण साधनों का प्रयोग किया जाता है। उन साधनों के परिणाम की परवाह किए बिना और प्रस्तावों का प्रयोग किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर लंबी अवधि की चर्चा के एकमात्र उद्देश्य से किया जाता है जिसके बाद भारत के प्रधानमंत्री को संसद में आने और लोगों और लोकसभा के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देने के लिए मजबूर किया जाता है। मुझे लगता है कि ये संसदीय उपकरण वास्तव में भारत के लोकतंत्र को मजबूत करते हैं और सरकार पर लोकसभा में आने और सवालों के जवाब देने के लिए दबाव बनाने के लिए इसका बार-बार प्रयोग किया जाना चाहिए...।"
#WATCH | "PM Modi insulted India yesterday and deviated attention from the Manipur issue. Not only this, he also compared I.N.D.I.A with a terrorist group...Insult us but don't insult the country. He should apologise to the country with folded hands...The I.N.D.I.A alliance,… pic.twitter.com/zLDoqWMegU
— ANI (@ANI) July 26, 2023
राज्यसभा से निलंबित आप के सांसद संजय सिंह ने कहा - "पीएम मोदी ने कल भारत का अपमान किया और मणिपुर मुद्दे से ध्यान भटकाया। इतना ही नहीं, उन्होंने I.N.D.I.A की तुलना आतंकवादी समूह से भी की... हमारा अपमान करें लेकिन देश का अपमान न करें। उन्हें हाथ जोड़कर देश से माफी मांगनी चाहिए।" .26 राजनीतिक दलों से बने I.N.D.I.A गठबंधन की मांग है कि पीएम मोदी संसद में मणिपुर मुद्दे पर बोलें...मुझे खुशी है कि इस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है।''