जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में नक़ाबपोश गुंडों द्वारा की गई गुंडागर्दी की घटना को एक महीना हो गया है। लेकिन दिल्ली पुलिस अभी तक इस मामले में एक भी शख़्स को भी गिरफ़्तार नहीं कर पाई है। अंग्रेजी अख़बार ‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ के मुताबिक़, जेएनयू में बनी जांच कमेटी ने पिछले एक महीने में न तो पीड़ितों से बात करने की कोशिश की और न ही प्रत्यक्षदर्शियों से इस घटना के बारे में जानकारी जुटाने की।
5 जनवरी को जेएनयू में घुसे नक़ाबपोश गुंड़ों ने विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर, छात्र-छात्राओं के साथ जमकर मारपीट की थी। जेएनयू के बाहर हाथ में डंडे लिये हुए नक़ाबपोश दिखाई दिये थे। विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर्स ने आरोप लगाया था कि पुलिस की मौजूदगी में नक़ाबपोश जेएनयू के अंदर घुसे थे। इस घटना में बुरी तरह घायल हुईं जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष का वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह खून से लथपथ दिखाई दी थीं।
जेएनयू हिंसा के ख़ुलासे पर अंग्रेजी न्यूज़ चैनल ‘इंडिया टुडे’ ने स्टिंग ऑपरेशन किया था। स्टिंग ऑपरेशन में जेएनयू में बीए फ़्रेंच के फ़र्स्ट इयर के छात्र अक्षत अवस्थी ने दावा किया था कि उसने हमला करने वाली भीड़ का नेतृत्व किया था। अक्षत अवस्थी के अलावा रोहित शाह नाम के एक और जेएनयू स्टूडेंट ने भी स्टिंग ऑपरेशन में कहा था कि हमले में जेएनयू की एबीवीपी इकाई के 20 कार्यकर्ता शामिल थे। अक्षत और रोहित ने दावा किया था कि वे एबीवीपी से जुड़े हैं। हालांकि एबीवीपी ने इससे इनकार किया था।
ख़बरों के मुताबिक़, घटना वाले दिन 4 घंटे के भीतर 23 बार दिल्ली पुलिस को कॉल की गई थी लेकिन पुलिस नहीं आई। आइशी घोष ने भी पुलिस को बताया था कि हाथों में डंडे लिए कुछ लोग कैंपस में घुस आए हैं लेकिन पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखाई।
आइशी से पूछताछ, कोमल से नहीं
दिल्ली पुलिस की एसआईटी ने आइशी घोष से इस बारे में सवाल पूछे हैं लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय और एबीवीपी से जुड़ी एक छात्रा से अभी तक पूछताछ नहीं की है। इस छात्रा का नाम कोमल शर्मा है। पहले एबीवीपी ने कोमल के अपने संगठन से जुड़े होने से इनकार किया था लेकिन बाद में उसे यह स्वीकार करना पड़ा था। कोमल की सोशल मीडिया पर फ़ोटो वायरल हुई थी जिसमें उसने स्कॉर्फ़ से मुंह ढका था। कोमल दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज की छात्रा है।
कोमल से पूछताछ की जानी बेहद ज़रूरी है क्योंकि अगर घटना में उसका हाथ होने की पुष्टि हो जाती है तो मारपीट में शामिल बाहरी लोगों के बारे में जानकारी मिल सकती है।
अख़बार के मुताबिक़, जेएनयू छात्र संघ में वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों का कहना है कि उनसे पुलिस कई बार पूछताछ कर चुकी है लेकिन उसने अभी तक हिंसा में शामिल किसी भी शख़्स को गिरफ़्तार नहीं किया है। जेएनयू छात्र संघ के महासचिव सतीश यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने दूसरे राज्य में जाकर शरजील इमाम को देशद्रोह के तहत गिरफ़्तार कर लिया लेकिन वह जेएनयू में मारपीट करने वाले एक भी शख़्स को गिरफ़्तार नहीं कर सकी है।
यादव ने अख़बार से कहा, ‘पुलिस को जेएनयू में गुंडागर्दी करने वाले नक़ाबपोशों के मामले में भी ऐसी ही फुर्ती दिखानी चाहिए। हमने उन्हें डीयू की छात्रा की पहचान करने में भी मदद दी लेकिन उन्होंने उससे कोई पूछताछ नहीं की है। वह एबीवीपी की सदस्य है और इससे यह शक पैदा होता है कि पुलिस गुपचुप ढंग से हमलावरों का समर्थन कर रही है।’
अख़बार के मुताबिक़, एक पुलिस अफ़सर ने अपना नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर इस बात की पुष्टि की कि डीयू की यह छात्रा अभी तक जांच में शामिल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एसआईटी ने दोनों पक्षों के लोगों से पूछताछ की है और इस मामले में जांच जारी है। एसआईटी में शामिल पुलिस अफ़सरों ने कहा है कि पिछले एक महीने में उन्होंने मोबाइल फ़ोन से मिले वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को सबूतों के रूप में दर्ज किया है।
इसी तरह, जेएनयू प्रशासन की ओर से बनाई गई कमेटी के द्वारा की जा रही आंतरिक जांच में भी थोड़ा सा ही काम हुआ है। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने वामपंथी और दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े कई छात्रों से बात की तो उन्होंने कहा कि कमेटी की ओर से उनसे अब तक कोई बात नहीं की गई है।
जेएनयू की साबरमती हॉस्टल की अध्यक्ष मोनिका बिश्नोई नक़ाबपोशों द्वारा की गई गुंडई की गवाह हैं। उन्होंने अख़बार से कहा, ‘उनसे या किसी और प्रत्यक्षदर्शी से अब तक किसी ने भी पूछताछ के लिये संपर्क नहीं किया।’ एबीवीपी की सदस्य वेलेंटाइन ब्रह्मा ने कहा कि उन्हें कमेटी के बारे में कुछ नहीं पता है और न ही उनसे किसी ने संपर्क किया है। एबीवीपी के एक और सदस्य मनीष जांगिड़ ने कहा है कि वह जांच को लेकर दिल्ली पुलिस के संपर्क में हैं लेकिन जेएनयू की कमेटी के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि घायल हुए टीचर्स से भी अब तक कमेटी ने किसी तरह का संपर्क नहीं किया है।