नीतीश कुमार : प्रवासी मजदूरों के लिए बसें चलाने से फैलेगा कोरोना संक्रमण
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि लॉकडाउन में फँसे प्रवासी मजदूरों को निकालने के लिए ख़ास बस चलाने से लॉकडाउन का मक़सद ही पूरा नहीं होगा। इससे संक्रमण और फैलेगा।
उन्होंने कहा, 'मजदूरों को उनके गृह नगर तक भेजने से बेहतर है कि स्थानीय स्तर पर ही कैंप लगाए जाएं। इन कैंपों पर होने वाले खर्च का भुगतान बिहार सरकार कर देगी।'
बिहार सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के खाने-पीने और अस्थायी तौर पर वहां रहने पर होने वाले खर्च के लिए 100 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। इन मजदूरों की मदद करने वाले ज़िले प्रशासन या ग़ैर सरकारी संगठन पैसे के लिए बिहार सरकार से संपर्क कर सकते हैं।
नीतीश कुमार का यह बयान ऐसे समय आया है जब बग़ैर किसी तैयारी के यकायक लॉकडाउन लागू करने के फ़ैसले की आलोचना की जा रही है। इस वजह से दसियों हज़ार लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं और वे अपने घर नहीं पहुँच पा रहे हैं।
नितिन गडकरी ने क्या किया?
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने हाईवे प्राधिकरण और टोल ऑपरेटरों से कहा है कि बीच रास्ते में जगह-जगह फंसे इन लोगों के खाने-पीने का इंतजाम किया जाए। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट किया, 'मैंने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया और हाईवे कनसेसनरों और टोल ऑपरेटरों से कहा है कि वे लोगों के खाने-पीने का इंतजाम करने पर विचार करें। वे उन मजदूरों और दूसरे नागरिकों की हर तरह से मदद करें जो अपने अपने घर जाना चाहते हैं।I have advised Chairman NHAI and Highway Concessioners/ Toll Operators to consider providing food, water or any kind of support to migrant workers/citizens who are trying to reach to their respective native places.
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) March 28, 2020
यूपी सरकार ने क्या किया?
बिहार के मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुँचाने के लिए के लिए एक हज़ार बसें चलाई हैं। लॉकडाउन में फँसे प्रवासी मजदूरों के खाने-पीने का इंतजाम भी किया गया है।दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़े, जैसे, नोएडा, ग़ाजियाबाद वगैरह में ज़बरदस्त अफरातफरी है।पिछले तीन दिनों से दिल्ली-एनसीआर से हज़ारों लोग अपने बच्चों, परिवार के साथ भागे चले जा रहे हैं। उन्हें परिवहन का कोई साधन नहीं मिल रहा है, कुछ लोग पैदल ही चल पड़े हैं। सड़कों पर ऐसे सैकड़ों लोग दिख रहे हैं। उनमें बूढ़े, बच्चे व महिलाएं भी शामिल हैं।
दिल्ली सरकार ने क्या किया?
उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली सरकार ने भी बीच रास्ते में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए ख़ास बसों का इंतजाम किया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा :
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'प्रवासी मजदूरों के लिए दिल्ली सरकार की 100 और उत्तर प्रदेश सरकार की 200 बसें हैं। मैं इसके बावजूद आपसे अपील करता हूं कि आप लॉकडाउन का पालन करें। संक्रमण रोकने का एक मात्र उपाय यही है। बाहर जाना सुरक्षित नहीं है।'
मनीष सिसोदिया, उप मुख्यमंत्री, दिल्ली
दिल्ली सरकार ने फंसे हुए मजदूरों के लिए खाने-पीने और कुछ समय के लिए रहने के लिए रैन बसेरों का इंतजाम किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा, ‘दिल्ली में अब तक 224 रैन बसेरों में हम लोगों को खाना खिला रहे थे। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। दिल्ली सरकार आज से 325 स्कूलों में लंच और डिनर शुरू करवा रही है और हर स्कूल में 500 लोगों को खाना खिलाया जाएगा।’
उन्होंने कहा, ‘अब तक हम 20 हज़ार लोगों को खाना खिला रहे थे लेकिन अब हम 2 लाख से लेकर 4 लाख लोगों को खाना खिलाएंगे। मैंने अपनी पार्टी के विधायकों से कहा है कि एक भी आदमी भूखा न सोये।’