दिल्ली: कांग्रेस ने जारी किया घोषणा पत्र, नीतीश-शाह करेंगे रैली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिये प्रचार जोरों पर है। आम आदमी पार्टी (आप) और बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताक़त झोंक दी है जबकि कांग्रेस प्रचार में काफ़ी पीछे दिख रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में प्रचार करेंगे। दिल्ली में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) और बीजेपी का चुनावी गठबंधन है। बीजेपी ने दो सीटें - संगम विहार और बुराड़ी जेडीयू को दी हैं जबकि एक सीट (सीमापुरी) दूसरे सहयोगी दल लोकजनशक्ति पार्टी की दी है।
नीतीश कुमार संगम विहार और बुराड़ी सीट पर जेडीयू के प्रत्याशियों के लिये दो चुनावी रैलियां करेंगे। इस दौरान वह अमित शाह के साथ बुराड़ी में संयुक्त रूप से एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इससे पहले नीतीश कुमार ने 2017 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशियों के लिये प्रचार किया था। दिल्ली चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन और नागरिकता क़ानून के मसले पर जेडीयू में जोरदार उथल-पुथल हुई थी और पार्टी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
कांग्रेस ने लगाई वादों की झड़ी
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दिल्लीवासियों से कई वादे किये हैं। पार्टी ने कहा है कि वह दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को फिर से दुरुस्त करेगी और इसके लिये स्वास्थ्य सेवा अधिनियम लायेगी। इसके अंतर्गत वह मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, मुफ्त दवाएं, मुफ्त इलाज और अस्पताल में मुफ्त भर्ती की गारंटी देगी। पार्टी ने कहा है कि वह एम्स जैसे पांच नए अस्पताल भी बनाएगी।
पार्टी ने कहा है कि सरकार बनने पर वह दिल्ली में महिलाओं के रोज़गार और आत्मनिर्भरता के लिए दिल्ली में 100 इंदिरा कैंटीन चालू करेगी, जहाँ सिर्फ महिला स्टाफ ही होगा। अनधिकृत कॉलोनियों के लिए पार्टी ने कहा है कि जेजे क्लस्टर में रहने वाले सभी लोगों को 25 वर्गमीटर के फ्लैट दिए जायेंगे।
इसके अलावा दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों के लिए 'शीला पेंशन योजना' का वादा भी किया गया है जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को 5000 रुपये की पेंशन देने की बात कही गयी है। सरकार बनने पर तिपहिया और ई-रिक्शा चालकों के लोन माफ़ करने का वादा भी पार्टी ने किया है।
कांग्रेस ने सत्ता में आने पर 300 यूनिट तक बिजली फ़्री देने और 300-400 यूनिट तक 50%, 400-500 यूनिट तक 30% और 500-600 यूनिट तक 25% सब्सिडी देने का वादा किया है। पार्टी ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33% आरक्षण देने की बात कही है।
कांग्रेस ने स्नातक और स्नातकोत्तर बेरोज़गार युवाओं को क्रमशः 5000 एवं 7500 रुपये बेरोज़गारी भत्ता देने का वादा किया है। साथ ही 100 दिन की स्किल ट्रेनिंग भी करवाने की बात कही है।
‘आप’ की ओर से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किराड़ी, विश्वास नगर, प्रीत विहार सहित कई अन्य इलाक़ों में पार्टी प्रत्याशियों के लिये वोट मांगेंगे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ग्रेटर कैलाश, संगम विहार, श्रीनिवास पुरी और कालकाजी में पार्टी प्रत्याशियों के लिये मैदान में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 3 बजे सीबीडी ग्राउंड, कड़कड़डूमा, शाहदरा में एक जनसभा को संबोधित करेंगे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा भी कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में उतरेंगे और 4 फ़रवरी को कई इलाक़ों में प्रचार करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पार्टी उम्मीदवारों के लिये वोट मांगेंगे।
किस ओर जाएंगे पूर्वांचली मतदाता?
नीतीश कुमार और अमित शाह की कोशिश दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की है। जानकारों के मुताबिक़, दिल्ली में 35-40 फ़ीसदी आबादी पूर्वांचलियों की है और बीजेपी ही नहीं कांग्रेस की भी कोशिश इन्हें अपने पक्ष में करने की है। इसलिये कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से चुनावी गठबंधन किया है और उसे 4 सीटें दी हैं। ये सीटें बुराड़ी, किराड़ी, उत्तम नगर और पालम हैं। इन चारों ही सीटों पर बड़ी संख्या में पूर्वांचली वोटर हैं। कांग्रेस ने पूर्वांचल से आने वाले कीर्ति आज़ाद को कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाकर पूर्वांचलियों को रिझाने की कोशिश की है।
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा, आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा गठबंधन के प्रत्याशियों को पूर्वांचली वोट दिलाने के लिये मेहनत कर रहे हैं। सोमवार को पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करेंगे।
दिल्ली में 8 फ़रवरी को मतदान होना है और 6 फ़रवरी को शाम 5 बजे चुनाव प्रचार रुक जाएगा। इस तरह प्रचार में अब कुल 5 दिन बचे हैं। मुख्य मुक़ाबला बीजेपी और ‘आप’ के बीच ही माना जा रहा है। 2015 के चुनावी नतीजे पूरी तरह एकतरफ़ा रहे थे और ‘आप’ ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ कर दिया था और बीजेपी सिर्फ 3 सीटों पर ही सिमट गयी थी।