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'इंडिया' का क्या होगा? नीतीश, अखिलेश भी होंगे बैठक से नदारद!

'इंडिया' का क्या होगा? नीतीश, अखिलेश भी होंगे बैठक से नदारद!

जिस तेजी से विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने आकार लिया था किया उसी तेजी से इसमें अब दिक्कतें आने लगी हैं? आख़िर एक के बाद एक नेता इंडिया की बैठक से किनारे क्यों हो रहे हैं?

क्या इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है? ममता बनर्जी द्वारा बैठक में शामिल होने से इनकार किए जाने के बीच अब नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की ओर से भी ऐसे ही संकेत मिले हैं। रिपोर्टों के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव दोनों बुधवार की इंडिया की बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालाँकि, इन नेताओं की जगह पर पार्टी की ओर से दूसरे नेता शामिल होंगे, लेकिन प्रमुख नेताओं के नहीं शामिल होने से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। वह भी तब जब चुनाव परिणाम के बीच इंडिया गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं।

रिपोर्टों के अनुसार जदयू प्रमुख ललन सिंह और बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा इंडिया की बैठक में शामिल होंगे। एएनआई के अनुसार जेडीयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने तीन राज्यों के चुनावों के नतीजे आने के बाद उन्होंने अचानक बैठक की घोषणा की और अपने सहयोगियों को याद किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस जदयू, राजद, सपा जैसे सहयोगियों की अनदेखी कर रही है और ये नतीजे उसी का नतीजा हैं। उन्होंने कहा, 'अगर कांग्रेस 6 दिसंबर की बैठक में कोई बड़ा फैसला लेती है और क्षेत्रीय दलों को आगे करती है, तभी 2024 में भारत का भविष्य होगा।' समाजवादी पार्टी की ओर से भी सेकंड लाइन के नेताओं को भेजा जा सकता है। वाराणसी में अखिलेश ने सोमवार को ही कांग्रेस का ज़िक्र किए बिना कहा था, 'अब परिणाम आ गया है तो अहंकार भी ख़त्म हो गया है। आने वाले समय में फिर रास्ता निकलेगा।' 

पाँच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की हैं। नीतीश कुमार के जेडीयू ने कहा है कि कांग्रेस की हार उसके 'घमंड' की वजह से हुई है। टीएमसी ने कहा है कि उसकी यह हार 'ज़मींदारी एटीट्यूड' की वजह से हुई है।

उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि यदि कांग्रेस समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश में कुछ सीटें चुनाव लड़ने के लिए दे देती तो क्या हो जाता। 

अखिलेश यादव ने चुनाव के बीच ही कांग्रेस को लेकर इंडिया गठबंधन पर सवाल उठाए थे। 'इंडिया' गठबंधन का ही हिस्सा समाजवादी पार्टी कांग्रेस पर हमला करते-करते नये मोर्चे की बात करने लगी थी। पीडीए पर आधारित नया मोर्चा। पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। हालाँकि वह इसकी बात काफी पहले से कहते रहे हैं, लेकिन इसके आधार पर नये मोर्चे की बात पहली बार की थी। 

कुछ दिन पहले ही अखिलेश ने भाजपा के साथ ही कांग्रेस पर भी निशाना साधा था और उम्मीद जताई थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए के तहत छोटे दलों के गठबंधन से दोनों पार्टियां हार जाएंगी।

अखिलेश ने तब कहा था कि 'कांग्रेस समाजवादी पार्टी को अपने गठबंधन सहयोगी के रूप में नहीं चाहती है। वे आम आदमी पार्टी के खिलाफ बोलते रहे हैं। कांग्रेस के पास छोटे दलों के साथ गठबंधन करने और आगे बढ़ने का मौका था लेकिन उन्हें लगता है कि आम लोग उनके साथ खड़े हैं। पीडीए उन्हें करारा जवाब देगा।'

उससे पहले भी अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर ऐसे ही आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस चालू पार्टी है। उन्होंने कहा था कि 'कांग्रेस और बीजेपी की बातों में मत आना। कांग्रेस भी जाति जनगणना कहने लगी है। ये इसलिए कहने लगी क्योंकि उनका जो वोट था वो सब बीजेपी में चला गया। वो वोट लेने के लिए जाति जनगणना करा रहे हैं। हम समाजवादी लोग आपको हक-सम्मान दिलाने के लिए करा रहे हैं।'

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने जेल में बंद आज़म ख़ान से मिलने की बात कही थी तो अखिलेश यादव भड़क गए थे। उन्होंने तो यहाँ तक आरोप लगा दिया था कि आज़म ख़ान को फँसाने में कांग्रेस नेताओं का भी हाथ है। फिर ख़बर आई थी कि आज़म ख़ान ने अजय राय से मिलने से इनकार कर दिया।

कांग्रेस और सपा के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे को लेकर समझौता नहीं हो पाने के बाद से ही दोनों दलों के बीच तनातनी की ख़बरें आती रहीं। कुछ दिन पहले ही अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था, 'यदि यह मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है इंडिया का, तो उसमें कभी मिलने नहीं जाते हमारी पार्टी के लोग। न हम अपनी पार्टी की सूची देते कांग्रेस के लोगों को और न फोन उठाते कांग्रेस के लोगों के। लेकिन यदि उन्होंने यह बात कही है तो हम यह बात स्वीकार करते हैं। यदि गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में केंद्र के लिए होगा तो उस समय विचार किया जाएगा।'

पहले तो मध्य प्रदेश में चुनाव के दौरान अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का मुद्दा सामने आया था और अब चुनाव नतीजे आते ही इंडिया गठबंधन के अन्य दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं। इसी बीच जब कांग्रेस की ओर से कहा गया कि छह दिसंबर को इंडिया गठबंधन की अगली बैठक होगी तो तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह इस बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगी। उन्होंने कहा है कि उन्हें 6 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक के बारे में बताया नहीं गया था।

ममता ने कहा है कि उस दौरान उनका पहले से एक कार्यक्रम तय है। ममता ने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे इंडिया गठबंधन की बैठक के बारे में नहीं पता। किसी ने मुझे बैठक के बारे में नहीं बताया और न ही कोई फोन आया। कोई जानकारी नहीं है। मेरे पास 6-7 दिसंबर तक उत्तर बंगाल में शामिल होने का कार्यक्रम है। मैंने अन्य योजनाएँ बनाई हैं। अब अगर वे फोन करते हैं तो अब मैं सोचती हूं कि मैं योजना कैसे बदलूं। अगर उन्होंने मुझे बताया होता तो मैं चली जाती।' 

 - Satya Hindi

ममता बनर्जी की घोषणा के बाद कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि यह बैठक 'अनौपचारिक' है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को विपक्षी गुट की अगली बैठक बुलाई। उनकी यह घोषणा तब आई थी जब तीन राज्यों में कांग्रेस को भाजपा के हाथों बड़ी हार मिली। भाजपा ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया और मध्य प्रदेश में भी भारी बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखी। हालाँकि, कांग्रेस ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति को सत्ता से बाहर कर दिया।

इंडिया गठबंधन की यह बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में हुई पिछली बैठक के बाद तीन महीने के अंतराल के बाद हो रही है। समझा जाता है कि बैठक में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की योजना तैयार की जाएगी।

इंडिया गठबंधन कांग्रेस के नेतृत्व वाले बड़े-बड़े विपक्षी राजनीतिक दलों का गठबंधन है। इसका गठन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए से मुक़ाबला करने के लिए किया गया। इसका गठन इस साल जुलाई में बेंगलुरु में एक विपक्षी पार्टी की बैठक के दौरान किया गया।

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