ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए ओला-उबर कैब ज़िम्मेदार: निर्मला
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए युवाओं की सोच और ओला-उबर कैब ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग नई कार के लिए ईएमआई का भुगतान करने से ज़्यादा ओला और उबर जैसी रेडियो टैक्सी सर्विस का इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं। बता दें कि ऑटो सेक्टर में वाहनों की बिक्री में रिकॉर्ड गिरावट आई है। यात्री वाहनों में 31 फ़ीसदी की गिरावट आई है। ट्रक बनाने वाली कंपनी अशोक लीलैंड के वाहनों की बिक्री 70 फ़ीसदी गिर गई है। इस कारण लाखों लोगों की नौकरियाँ जाने की रिपोर्टें हैं। यही कारण है कि वित्त मंत्री ऑटो सेक्टर में आई इस मंदी को दूर करने के लिए चिंतित हैं।
वित्त मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर सवाल किया गया है, 'तो बस और ट्रकों की बिक्री में गिरावट इसलिए है कि युवाओं ने इनको ख़रीदना बंद कर दिया है जो पहले इसका उपयोग करते थे। क्या यह सही है वित्त मंत्री निर्मला श्रीमति सीतारमण'
So the decline in bus & truck sales is also because millennials have stopped buying them as much as they used to. Isn't that right FM Smt. @nsitharaman https://t.co/Ri0Zp89DfW
— Congress (@INCIndia) September 10, 2019
सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर चेन्नई में मीडिया को सरकार के कामों का ब्योरा दे रही थीं। उन्होंने कहा, 'ऑटो सेक्टर कई चीजों से प्रभावित हुआ है। इनमें बीएस-6 वाहनों को अपनाना, रजिस्ट्रेशन फ़ी का मामला, युवाओं की यह सोच कि ईएमआई पर गाड़ी ख़रीदने से बेहतर ओला-उबर या मेट्रो की सवारी करना शामिल है।'
उन्होंने भरोसा दिलाया कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र कि मांगों पर सरकार ज़रूर विचार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय वाहन क्षेत्र के कुछ सुझावों पर पहले ही विचार कर चुकी है, आगे कुछ अन्य सुझावों पर भी चर्चा की जाएगी। ऑटो इंडस्ट्री के इस सवाल पर कि जीएसटी 28% से घटाकर 18% किया जाए, सीतारमण ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने इतना ज़रूर कहा कि अकेले मैं जीएसटी पर फ़ैसला नहीं कर सकती।
बता दें कि सरकार पाँच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात करती रही है, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब है। हाल की तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर गिरकर 5 फ़ीसदी पर पहुँच गई है। बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है। हर सेक्टर में मंदी है। ऑटो सेक्टर की तो हालत और भी ख़राब है।
लगातार 10वें महीने गिरावट
बदहाल होती अर्थव्यवस्था में ऑटो इंडस्ट्री की हालत कितनी ख़राब है, यह ऑटो इंडस्ट्री की संस्था सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफ़ैक्चरर्स यानी सियाम के ताज़ा आँकड़े ही बताते हैं। सियाम के अनुसार, भारत में यात्री वाहन की बिक्री में अगस्त महीने में गिरावट 1998 के बाद अब तक की सबसे बड़ी है। इस साल अगस्त में लगातार 10वें महीने ऑटो कंपनियों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई। अगस्त में ऑटो सेल 31.57 फ़ीसदी गिरी है। पिछले साल अगस्त में जहाँ क़रीब तीन लाख यात्री वाहन बिके थे वहीं इस साल क़रीब दो लाख ही बिके हैं।
सिर्फ़ कारों की बिक्री 41 फ़ीसदी गिरी
सियाम के अनुसार, बीते महीने कारों की घरेलू बिक्री में 41.09 फ़ीसदी से अधिक की ज़बरदस्त गिरावट आई है। दुपहिया वाहनों की बिक्री 22.24 फ़ीसदी गिर गई। सियाम के अनुसार, अगस्त माह में माल ढोने वाले वाहनों की बिक्री 38.71 फ़ीसदी गिरी है। यदि सभी तरह के वाहनों की कुल मिलाकर बिक्री की बात की जाए तो अगस्त में कुल वाहन बिक्री 23.55 फ़ीसदी की गिरावट आई है।
यह गिरावट तब है जब सरकार ऑटो इंडस्ट्री को मज़बूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है और हाल ही में इसके लिए कई घोषणाएँ की हैं। इसके बावजूद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में मंदी का दौर बरकरार है।
पिछले महीने ही ख़बर आयी थी कि साल भर में क़रीब 300 डीलर दुकानें बंद हो गई हैं और इसके बाद कुछ डीलरों के दिवालिया होने की स्थिति पैदा हो गई है। हाल के दिनों में ऐसी ख़बरें आती रही हैं कि ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से निकालना पड़ा है।
ऐसी रिपोर्टें रही हैं कि यह गिरावट माँग में कमी आने के कारण है और लोगों की ख़रीदने की क्षमता कम हुई है। बहुत सारे लोगों की नौकरियाँ गईं हैं और जो लोग नौकरी में हैं वह भी पैसे ख़र्च नहीं करना चाहते हैं। व्यापार में लगे लोग भी पैसे बाजार में लगाने से डरते हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी हाल ही में कहा था कि लोगों का एक दूसरे पर विश्वास नहीं रहा और वे पैसे अपनी जेब से निकालना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि इसीलिए देश में 70 साल में ऐसा नकदी संकट नहीं आया। इन सबका असर ऑटो इंडस्ट्री पर पड़ा।