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भारत में मुस्लिम विरोधी हिंसा पर निर्मला का जवाब- क्या उनकी आबादी बढ़ती?

भारत में मुस्लिम विरोधी हिंसा पर निर्मला का जवाब- क्या उनकी आबादी बढ़ती?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस समय अमेरिका की यात्रा पर हैं। वहां उनसे भारत में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत और हिंसा को लेकर सवाल किए गए। उन्होंने इस सवाल का यह कहकर बचाव किया कि ऐसा होता तो क्या भारत में मुस्लिम आबादी बढ़ रही होती।

भारत में मुस्लिम विरोधी हिंसा के सवाल को खारिज करते हुए भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूएसए में कहा कि भारत में मुस्लिम आबादी 1947 से बढ़ी है, जब​​कि पाकिस्तान में सभी अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिख) का "सफाया" किया गया है। निर्मला ने दावा किया कि मुसलमान भारत में सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से ही सवाल कर दिया कि क्या भारत में मुस्लिम आबादी कम हो गई है या क्या 2014 के बाद से किसी एक समुदाय में मौतों की संख्या बढ़ी है।

निर्मला सीतारमण इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। वाशिंगटन डीसी में पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में उनसे भारत में मुस्लिम हेट और मुस्लिम हेट स्पीचेज पर सवाल किया गया था। निर्मला ने भारत सरकार की ओर से सफाई पेश करने में समय नहीं गंवाया। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, न कि भारत सरकार का। भारत की वित्त मंत्री ने उन लोगों को आमंत्रित किया और कहा कि वे लोग सारी सच्चाई खुद आकर जानें। निर्मला सीतारमण ने उनकी मेजबानी करने की भी पेशकश की।

वित्त मंत्री विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की बैठकों में भाग लेने और दूसरी G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए वाशिंगटन में हैं।

सीतारमण पीटरसन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एडम पोसेन के साथ वॉशिंगटन में बातचीत कर रही थीं। वह इस सवाल का जवाब दे रही थीं कि क्या यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत को लेकर तमाम धारणाएं मुस्लिम अल्पसंख्यक विरोधी हिंसा और पश्चिमी प्रेस में रिपोर्ट के आधार बनेंगी। क्या भारत में पूंजी प्रवाह और निवेश को प्रभावित होगा। 

भारतीय वित्त मंत्री ने कहा, इसका जवाब निवेशकों के भारत आने से मिल रहा है। वे आ रहे हैं। मैं केवल यह कहूंगी कि आइए और देखें कि भारत में क्या हो रहा है, बजाय उन लोगों द्वारा बनाई गई धारणाओं को सुनने के लिए जो भारत की जमीन पर नहीं आए हैं और जो सिर्फ रिपोर्ट तैयार करते हैं।

सीतारमण ने कहा कि एक उभरते हुए बाजार को ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ता है। लेकिन सच तो सच ही रहता है। भारत में आकर ही स्थिति का आकलन किया जा सकता है।

उन्होंने कार्यक्रम के मॉडरेटर की बात को खारिज करते हुए कहा - भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है और आबादी बढ़ रही है। यह धारणा बनाई गई है कि उनका जीवन स्टेट (भारत सरकार) के समर्थन से कठिन बना दिया गया है। इनमें से अधिकांश लेखों (अंतरराष्ट्रीय अखबारों में छपे लेख) में जो बातें कही गई हैं, तो मैं पूछूंगी कि क्या तब ऐसा हो पाता कि 1947 की तुलना में उनकी आबादी बढ़ रही है?

इसके बाद उन्होंने कहा कि वह एक देश का नाम बताएंगी ताकि तुलना बेहतर तरीके से हो सके। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जो उसी समय बना था … उसने खुद को एक इस्लामिक देश घोषित किया और कहा था कि वहां अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी। लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी घट रही है। अगर मैं और कड़े शब्दों में कहूं तो वहां अल्पसंख्यक आबादी नष्ट हो गई है।

उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि कुछ मुस्लिम फिरकों को भी कुचल दिया गया है। मोहजिरों, शिया और हर दूसरे समूह के खिलाफ वहां हिंसा होती है जिसे आप कोई भी नाम दे सकते हैं। इन फिरकों को मुख्यधारा के सुन्नियों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है। जबकि भारत में मुसलमान सभी प्रकार का अपना कारोबार कर रहे हैं, उनके बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। उन्हें सरकार द्वारा फेलोशिप दी जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है न कि भारत सरकार का विषय। हर राज्य की अपनी चुनी हुई सरकार होती है। वे उन राज्यों में अपनी कानून व्यवस्था का ध्यान रखते हैं। पूरे भारत में यदि मुसलमानों को प्रभावित करने के लिए हिंसा हो रही है, तो यह बयान अपने आप में एक भ्रम है। ऐसा नहीं हो सकता; हर राज्य और वहां की पुलिस अलग हैं। सीतारमण ने कहा, इससे पता चलता है कि इन रिपोर्टों में कोई सबूत नहीं है। सिर्फ यह कहने से कि यह सब भारत सरकार का दोष है, मैं कहना चाहूंगी कि 2014 और आज के बीच, क्या मुस्लिम जनसंख्या घट गई है? इसके बाद सीतारमण ने इन रिपोर्ट को लिखने वालों को भारत आने का न्यौता दिया। वित्त मंत्री ने कहा- मैं उनकी मेजबानी करूंगी। उन्हें आने दो और उन्हें भारत में घूमने दो और अपनी बात साबित करने दो।

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