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'निर्भया फंड महिला सुरक्षा के लिए तो वीआईपी के लिए इस्तेमाल क्यों?'

'निर्भया फंड महिला सुरक्षा के लिए तो वीआईपी के लिए इस्तेमाल क्यों?'

निर्भया फंड से खरीदी गईं गाड़ियों का इस्तेमाल क्या नेताओं या मंत्रियों या फिर सरकारी अधिकारियों के लिए किया जा सकता है या फिर जाना चाहिए? 

निर्भया फंड के तहत मुंबई पुलिस द्वारा खरीदे गए कई वाहनों के इस्तेमाल को लेकर बवाल मचा है। इन गाड़ियों का उपयोग महिलाओं के खिलाफ अपराधों से लड़ने के लिए किया जाता है और लेकिन इस साल जुलाई से सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के सांसदों और विधायकों के लिए एस्कॉर्ट वाहन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। और इसी की वजह से इस पर बवाल हुआ है। जब मीडिया में इसको लेकर ख़बर आई तो उद्धव ठाकरे खेमे, सपा और एनसीपी जैसे दलों के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के फ़ैसले की आलोचना की।

निर्भया फंड उस निर्भया कांड के बाद बना था जिसमें 23 साल की निर्भया के साथ कुछ दरिंदों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं। 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में उसके साथ सामूहिक बलात्‍कार किया गया। दरिंदों ने जंग लगा लोहे का एक सरिया निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दिया और उसे मरने के लिए छोड़ दिया था। आख़िरकार निर्भया ज़िंदगी की जंग हार गई थी। लेकिन जिस तरह की हैवानियत दरिंदों ने उसके साथ की थी उसने पूरे देश को झकझोर दिया था। जोर-शोर से महिला सुरक्षा का मुद्दा उठा था।

महिला सुरक्षा को लेकर कई फ़ैसले लिए गए थे। उसमें से एक निर्भया फंड बनाया जाना भी शामिल था। इसी फंड से महिला सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए गाड़ियाँ ख़रीदने की योजना है। केंद्र ने 2013 में राज्य सरकारों के लिए इस योजना को लागू करने के लिए इस फंड को बनाया था। इस साल जून में मुंबई पुलिस ने इसी निर्भया फंड के तहत 30 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 220 बोलेरो, 35 एर्टिगा, 313 पल्सर बाइक और 200 एक्टिवा खरीदे थे। जुलाई तक उन वाहनों को पुलिस थानों में वितरित कर दिया गया था।

लेकिन इनमें से कई वाहनों का इस्तेमाल दूसरे मक़सद से किया जाने लगा। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बालासाहेबंची शिवसेना गुट के सभी 40 विधायकों और 12 सांसदों को 'वाई-प्लस विद एस्कॉर्ट' सुरक्षा प्रदान की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार वीआईपी सुरक्षा विभाग के एक आदेश के बाद मुंबई पुलिस के मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा पुलिस स्टेशनों से जुलाई में 47 बोलेरो की तत्काल मांग की गई थी। इन 47 बोलेरो में से 17 को वापस कर दिया गया और 30 को वापस किया जाना बाकी है।

बता दें कि वाई-प्लस विद एस्कॉर्ट श्रेणी की सुरक्षा वाले को एक एस्कॉर्ट वाहन और पांच पुलिसकर्मी मिलते हैं जो चौबीसों घंटे ड्यूटी पर रहते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नए बोलेरो को जून में विभिन्न पुलिस इकाइयों के बीच वितरित किया गया था। यह वह समय था जब उनकी खरीद तुरंत ही हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार वाहनों की कमी से जूझ रहे कुछ पुलिस स्टेशनों में ये वाहन काम आए।

अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, 'उन बोलेरो को मुख्य रूप से शहर भर के 95 पुलिस स्टेशनों में भेजा गया था। अधिकार क्षेत्र के आकार और संवेदनशीलता के आधार पर कुछ पुलिस थानों को एक बोलेरो मिली तो कुछ को दो।' 

अंग्रेजी अख़बार ने रिपोर्ट दी है कि हालाँकि थानों में बोलेरो पहुंचने के कुछ दिनों के भीतर ही थानों को अपनी बोलेरो वापस करने को कह दिया गया ताकि वीआईपी की सुरक्षा में इनका इस्तेमाल किया जा सके। वाहनों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार मोटर परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि वीआईपी सुरक्षा की ज़रूरत को पूरा करने के लिए कहे जाने के बाद 30 से अधिक वाहनों को शहर भर के पुलिस थानों से 'अस्थायी' रूप से हटा लिया गया था। अधिकारी ने कहा कि 'हालांकि, जब कुछ हफ्तों के बाद भी वाहन वापस नहीं किए गए, तो हमें पुलिस थानों से फोन आने लगे कि उनके लिए काम करना मुश्किल हो रहा है। फिर कुछ वाहनों को पुलिस थानों में वापस कर दिया गया, लेकिन सभी नहीं।'

रिपोर्ट में आईजी (वीआईपी सुरक्षा) कृष्ण प्रकाश ने कहा कि उन्होंने वाहनों की मांग नहीं की थी, केवल एक आदेश जारी कर अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले विधायकों की सुरक्षा ज़रूरतों के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के लिए कहा था।

रिपोर्ट में तो एक उपनगरीय पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है, 'जब से हमारी बोलेरो छीन ली गई है, हम अभियुक्तों को अदालत तक ले जाने के लिए अन्य पुलिस स्टेशनों के वाहनों या यहाँ तक कि निजी वाहनों का उपयोग कर रहे हैं।'

इस पर सफ़ाई में शिंदे गुट के प्रवक्ता किरण पावस्कर ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि हमारे विधायकों के लिए कितनी गाड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।' 

इस ख़बर के आने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया है, ' यह एक अपमान है। एक आदमी की राक्षसी महत्वाकांक्षा और सत्ता के भूखे दल ने हमारे राज्य को वर्षों पीछे धकेल दिया है। यह सर्कस जारी है...।

'महिला सुरक्षा ज़्यादा ज़रूरी'

एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने कहा कि 'महिलाओं की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है। निर्भया फंड से खरीदे गए वाहनों को तुरंत पुलिस थानों को लौटाया जाए।' सपा नेता जया बच्चन ने कहा है कि 'निर्भया फंड' से गाड़ी खरीदना और इस तरह इस्तेमाल करना शर्म की बात है। उन्होंने कहा है कि जिन्होंने इस प्रकार से दुरुपयोग किया है उनको सारी महिलाओं माफी मांगनी चाहिए।

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार उद्धव खेमे की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने रविवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर राज्य में महिलाओं की सुरक्षा की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस द्वारा निर्भया फंड के तहत खरीदे गए कई वाहन का इस्तेमाल सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बालासाहेबंची शिवसेना गुट के विधायकों के लिए किया जा रहा है। 

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