कश्मीर : आवाज़ कुचलने के लिए एनआईए का इस्तेमाल?
क्या जम्मू-कश्मीर में असहमति की आवाज़ को कुचला जा रहा है क्या सरकार और प्रशासन का विरोध करने वालों को निशाने पर लिया जा रहा है ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी (एनआईए) ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, ग़ैरसरकारी संगठनों और अख़बार के दफ़्तर समेत 10 जगहों पर छापे मारे हैं।
एनडीटीवी ने कहा है कि एनआईए ने श्रीनगर के अलावा उत्तरी कश्मीर के बडगाम में भी कई जगहों पर छापे मारे हैं। एजेन्सी का कहना है कि जिन पर छापे मारे गए, वे आतंकवादी गतिविधियों को पैसा मुहैया कराने के लिए अनजान स्रोतों से धन लेते हैं।
10 ठिकानों पर छापे
एनआईए ने जिन जगहों पर छापे मारे हैं, उनमें जम्मू-कश्मीर सिविल सोसाइटी के संयोजक ख़ुर्रम परवेज़, उनके सहयोगी परवेज़ अहमद बुख़ारी, परवेज अहमद मट्टा हैं। इनके अलावा एसोशिएसन ऑफ़ पैरेंट्स ऑफ़ डिसअपीयर्ड पर्सन्स की प्रमुख परवीन अहंगर के यहां भी छापे मारे गए हैं। एनआईए ने ग्रेटर कश्मीर ट्रस्ट और एक ग़ैर-सरकारी संगठन के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं।एनआईए ने कहा है कि इन छापों में उसे कई तरह के आपत्तिजनक काग़ज़ात और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले हैं। एजेन्सी ने स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिक बलो के साथ मिल कर यह अभियान चलाया।
राजनीतिक दलों ने एनआईए की इस कार्रवाई का विरोध किया है। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने एनआईए पर बीजेपी की पसंदीदा एजेन्सी होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो इस पार्टी से असहमत होते हैं, उन्हें डराने-धमकाने में एनआईए का प्रयोग किया जाता है।
NIA raids on human rights activist Khurram Parvez & Greater Kashmir office in Srinagar is yet another example of GOIs vicious crackdown on freedom of expression & dissent. Sadly, NIA has become BJPs pet agency to intimidate & browbeat those who refuse to fall in line
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 28, 2020
वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन ने ट्वीट कर कहा है कि 'ये छापे विरोध की फुसफुसाहट को भी चुप करने के लिए डाले गए हैं।' उन्होंने कहा कि जिस दिन सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भूमि क़ानूनों में परिवर्तन कर राज्य के बाहर के लोगों को भी यहां ज़मीन खरीदने का हक़ दिया, उसके अगले ही दिन इस तरह के छापे मारे गए ताकि कोई इस कदम का विरोध न कर सके।
NIA raids on GK office and HR defender Khurram Parvez's house are attempts to impose silence even on our whispers (and they're scared of even that). This comes a day after the disempowering land laws. Can this be just a coincidence
— Anuradha Bhasin (@AnuradhaBhasin_) October 28, 2020
भूमि क़ानून
बता दें कि केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से, जो केंद्र शासित प्रदेश में ज़मीन को बेचने से संबंधित है, ‘राज्य का स्थायी निवासी’ शब्द हटा दिया है।जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यह नोटिफ़िकेशन कृषि वाली ज़मीनों पर लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कृषि वाली ज़मीनों को किसानों के लिए आरक्षित रखा जाएगा और इन पर किसी भी बाहरी व्यक्ति का अधिकार नहीं होगा।
सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहा, ‘हम चाहते हैं कि देश के बाक़ी हिस्सों की तरह जम्मू-कश्मीर में भी उद्योग आएं जिससे राज्य का विकास हो और रोज़गार के मौक़े बनें।’