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पीएफआई की हड़ताल के दौरान हिंसा, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान 

पीएफआई की हड़ताल के दौरान हिंसा, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान 

हड़ताल के दौरान केरल के तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोट्टायम, एर्नाकुलम और त्रिशूर आदि जिलों में प्रदर्शन किया जा रहा है। 

एनआईए के द्वारा अपने नेताओं के घरों व दफ्तरों पर छापेमारी के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ने शुक्रवार को केरल में हड़ताल का आह्वान किया है। बताना होगा कि एनआईए ने बुधवार रात और गुरूवार को दिन भर 10 राज्यों में पीएफआई के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बड़ी संख्या में पीएफआई के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। 

यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में की गई थी। छापेमारी में जांच एजेंसी ईडी भी शामिल रही। 

हड़ताल के दौरान केरल के कई जिलों- तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोझीकोड, वायनाड और अलाप्पुझा से हिंसा की खबरें आई हैं। कुछ जगहों पर ऑटो रिक्शा और कार में तोड़फोड़ की गई है तो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। कोच्चि में केरल सरकार की बसों में तोड़फोड़ की गई है। उधर, केरल हाई कोर्ट ने पीएफआई के द्वारा की गई हड़ताल का स्वत: संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हड़ताल से कम से कम 7 दिन पहले इसका नोटिस दिया जाना चाहिए। 

एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। पीएफआई के सदस्यों ने छापेमारी के विरोध में कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन भी किया। पीएफआई ने छापेमारी पर कहा है कि यह फासीवादी सरकार द्वारा एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश है और इसके विरोध में 23 सितंबर को हड़ताल का आह्वान किया गया है। 

संगठन के मुताबिक, यह हड़ताल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगी। इस दौरान केरल के तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोट्टायम, एर्नाकुलम और त्रिशूर आदि जिलों में प्रदर्शन किया जा रहा है। 

दूसरी ओर, केरल की बीजेपी इकाई ने सीपीएम नेतृत्व वाली राज्य सरकार से हड़ताल बुलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि राज्य सरकार तुष्टिकरण और वोट बैंक के चलते पीएफआई को लेकर नरम है। 

केरल के लगभग सभी जिलों में पीएफआई की जबरदस्त मौजूदगी है और वहां इस संगठन पर हत्या करने, दंगा करने और आतंकी संगठनों से तार जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का ही एक नया रूप है। राज्य सरकार ने अदालत को सौंपे गए हलफनामे में कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता हत्या के 27 मामलों में शामिल रहे हैं और इनमें से अधिकतर मामले सीपीएम और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के हैं। 

इसके 2 साल बाद राज्य सरकार के द्वारा हाई कोर्ट को सौंपे गए एक और हलफनामे में कहा गया था कि पीएफआई का एजेंडा धर्मांतरण व मुद्दों का सांप्रदायीकरण करके समाज का इस्लामीकरण करना है। 

पिछले कुछ दिनों में एनआईए ने पीएफआई से जुड़े लोगों के खिलाफ दर्जन भर से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं। 18 सितंबर को भी एनआईए ने आंध्र प्रदेश में 23 जगहों पर छापेमारी की थी और पीएफआई के कार्यकर्ताओं से पूछताछ की गई थी। तेलंगाना के निजामाबाद, कुरनूल, गुंटूर और नेल्लोर जिलों में एनआईए के अफसरों ने छापेमारी की थी। 

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