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यूएपीए केस में सरकारी गवाह क्यों बनना चाहते हैं न्यूज़क्लिक के एचआर हेड?

यूएपीए केस में सरकारी गवाह क्यों बनना चाहते हैं न्यूज़क्लिक के एचआर हेड?

न्यूज़क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती ने अदालत में याचिका लगाई है। जानिए, आख़िर वह सरकारी गवाह बनना क्यों चाहते हैं।

न्यूज़क्लिक के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती अब सरकारी गवाह बनना चाहते हैं। उन्होंने दिल्ली की एक अदालत में याचिका दायर कर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति मांगी है। उनपर आरोप लगाया गया है कि ऑनलाइन समाचार पोर्टल को चीन समर्थक प्रचार फैलाने के लिए पैसे मिले थे।

न्यूज़क्लिक पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने और भारत के खिलाफ 'असंतोष' पैदा करने के इरादे से काम करने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने अगस्त में न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और चक्रवर्ती के खिलाफ यूएपीए और भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।

इसी मामले में चक्रवर्ती ने 23 दिसंबर को विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष आवेदन देकर मामले में माफ़ी की मांग की और दावा किया कि उनके पास महत्वपूर्ण जानकारी है जिसका वह दिल्ली पुलिस को खुलासा करना चाहते हैं। वह मामले की जाँच कर रही है।

न्यायाधीश ने चक्रवर्ती का बयान दर्ज करने के लिए मामले को मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष भेज दिया। 1 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने यूएपीए मामले के सिलसिले में ऑनलाइन पोर्टल से जुड़े कई पत्रकारों और कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी के बाद चक्रवर्ती और न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया था।

इस महीने की शुरुआत में एक अदालत ने दोनों आरोपियों को 22 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने पहले फंडिंग के स्रोतों की जाँच के लिए फर्म के परिसरों पर छापेमारी की थी। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दिए गए इनपुट के आधार पर तलाशी जारी रखी।

अगस्त में द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यूज़क्लिक को एक अमेरिकी करोड़पति, नेविल रॉय सिंघम से लगभग 38 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली, इस पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की प्रचार शाखा के साथ घनिष्ठ संबंध होने का आरोप था।

एफआईआर के अनुसार, न्यूज़क्लिक को बड़ी मात्रा में धन भारत की संप्रभुता को बाधित करने और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से आया था।

इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए एक समूह - पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म के साथ साजिश रची।

हालाँकि न्यूज़क्लिक चीन के किसी संगठन के दबाव या प्रभाव में किसी ख़बर को प्रकाशित के आरोपों को खारिज करता रहा है। न्यूज़क्लिक ने अक्टूबर महीने में एक बयान जारी कर कहा था, 'यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी चीनी संगठन या प्राधिकारी के आदेश पर कोई समाचार या सूचना प्रकाशित नहीं करता है, अपनी वेबसाइट पर चीनी प्रोपेगेंडा का प्रचार नहीं करता है, इसकी वेबसाइट पर प्रकाशित कंटेंट के मामले में नेविल रॉय सिंघम से निर्देश नहीं लेता है।' बयान में कहा गया, 'न्यूज़क्लिक को प्राप्त सभी फंडिंग वैध बैंकिंग चैनलों के माध्यम से की गई है और कानून सम्मत अधिकारियों को जानकारी दी गयी है। ऐसा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय किए गए प्रावधानों के तहत किया गया है।'

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