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कोरोना महाविनाश के मुहाने पर न्यूयॉर्क, कैसे टूटा भारतीय मध्यवर्ग का सपना?

कोरोना महाविनाश के मुहाने पर न्यूयॉर्क, कैसे टूटा भारतीय मध्यवर्ग का सपना?

अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर कोरोना महाविनाश के मुहाने पर खड़ा है और इसके साथ ही टूट चुका है भारतीय मध्यवर्ग का हसीन सपना।

न्यूयॉर्क में उच्च शिक्षा हासिल करना, वहाँ कोई अच्छी नौकरी पाना और काम करने का अधिकार (ग्रीन कार्ड) हासिल कर वहीं बस जाना औसत मध्यवर्गीय भारतीय युवा का सपना होता है। अमेरिका के इस शहर को ‘बिग एप्पल’ यूं ही नहीं कहा जाता है और इस बिग एप्पल में अपना हिस्सा ढूंढना भारतीयों का सपना है तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है

पर इस बिग एप्पल में अब कीड़े लग गए हैं, सपना टूट गया है और लोग वहां जाने की नहीं सोचते, इसके उलट वहाँ मौजूद भारतीय किसी तरह जान बचा कर वहाँ से स्वदेश लौटने की कोशिश में हैं। 

55,000 कोरोना संक्रमित

और इसकी वजह है कोरोना संक्रमण, जिसकी चपेट में 55 हज़ार से ज़्यादा अमेरिकी आ चुके हैं। लेकिन सबसे बुरा हाल न्यूयॉर्क का है, जहाँ 16 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। 

न्यूयॉर्क का हाल इतना बुरा है कि राष्ट्रपति भवन ने कहा है कि जो लोग न्यूयॉर्क में रहते हैं या उसके आसपास से भी गुजरे हैं वे ख़ुद को 14 दिन के क्वरेन्टीन में रखें यानी ख़ुद को सबसे अलग-थलग रखें।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक ख़बर में कहा है कि न्यूयॉर्क की तुलना चीन से की जाने लगी है। अब तक जितने लोग कोरोना संक्रमण के शिकार पाए गए हैं, उनमें से 60 प्रतिशत सिर्फ़ न्यूयॉर्क शहर के हैं। इस शहर में संक्रमण की दर अमेरिका के दूसरे इलाक़ों की संक्रमण दर से 8-10 गुणी ज़्यादा है। 

उप राष्ट्रपति की चिंता

अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने कहा है कि  न्यूयॉर्क में रहने वालों या इसके पास से गुजरने वालों से कहा गया है कि वे अपने शरीर का तापमान लें, उस पर निगरानी रखें, कोरोना संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान रखें और ख़ुद को 14 दिन के लिए क्वरेन्टीन कर लें। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स कहा, ‘हमें न्यूयॉर्क सिटी मेट्रोपोलिटन एरिया को अधिक जोख़िम वाले इलाक़े के रूप में संभालना है।’

व्हाइट हाउस कोरोना वायरस टीम की संयोजक डॉक्टर डेबोरा एल. बर्क्स और नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन इनफ़ेक्शस डिजीज़ के निदेशक एंथनी फॉची ने कहा कि वे लोग न्यूयॉर्क में संक्रमण फैलने को लेकर बहुत चिंतित हैं।

उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘हमें लॉन्ग आइलैंड से संक्रमण के नए मामले मिलने लगे हैं और हमने लोगों को सलाह दी है कि वे वह इलाक़ा छोड़ कर चले जाएँ।’

न्यूयॉर्क में 1,40,00 कोरोना मामले

न्यूयॉर्क शहर जिस न्यूयॉर्क राज्य में है, उसके गवर्नर एंड्र्यू एम. कुओमो ने बहुत ही गंभीर और चिंताजनक आशंका जताई है। उन्होंने आशंका जताई है कि अगले कुछ हफ़्तों में न्यूयॉर्क में 1,40,000 लोगों को कोरोना संक्रमण हो सकता है। उन्होंने कहा है कि न्यूयॉर्क शहर में हर तीसरे दिन कोरोना संक्रमितों की संख्या दूनी हो रही है। 

कुओमो का कहना है कि न्यूयॉर्क में संक्रमण की रफ़्तार अभी और बढ़ेगी। अप्रैल-मई तक यह सबसे अधिक होगी। उन्होंने कहा कि संक्रमण की उच्चतम दर पहले के अनुमान से और ज़्यादा होगी।

गवर्नर-राष्ट्रपति तक़रार

उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क में बहुत बड़ी तादाद में लोग कोरोना की चपेट में आएँगे और राष्ट्रपति ने बहुत ही कम वेंटीलेटर भेजे हैं। कुओमो ने तल्ख़ी से कहा :

‘आप चाहते हैं कि मैं 400 वेंटीलेटर भेजने के लिए आपकी पीठ थपथपाऊँ, पर जब मुझे 30 हज़ार वेंटीलेटर की ज़रूरत हो तो इतने कम वेंटीलेटर का क्या करूंँ’


एंड्र्यू एम. कुओमो, गवर्नर, न्यूयॉर्क राज्य

नौकरी गई, रोज़मर्रा की चीजें नहीं

गवर्नर की ये बातें ऐसे समय आई हैं जब न्यूयॉर्क में सोशल डिस्टैंसिंग पहले से ही चल रही है, लोग अपने-अपने घरों में क़ैद हैं, रोज़मर्रा की चीजों की दुकानें बंद हैं और लोगों को सामान्य चीजें भी नहीं मिल रही हैं। एक सर्वे में पाया गया है कि लगभग एक तिहाई लोगों की नौकरी चली गई है। 

न्यूयॉर्क में स्कूल-कॉलेज बंद हैं, सभी रास्ते सूने पड़े हैं, बस अड्डों और सबवे में लोग नहीं दिख रहे हैं। हमेशा चहल पहल और भीड़ वाले इलाक़े वीरान और भुतहा लगने लगे हैं।

न्यूयॉर्क में 192 मौतें

अब तक सिर्फ़ न्यूयॉर्क शहर में 16 हज़ार लोगों को कोरोना संक्रमण हो गया है और 192 लोगों की मौत हो गई है। न्यूयॉर्क स्थित मैनहैटन के एक कॉन्वेशन सेंटर को अस्पताल में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है। अमेरिकी सेना का इंजीनियरिंग कोर उस कॉन्वेशन सेंटर में 1,000 बिस्तर लगाने जा रहा है।

न्यूयॉर्क को कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए 1,40,00 बिस्तरों की ज़रूरत पड़ेगी, जबकि फिलहाल उसके पास 53,000 बिस्तर ही हैं।  इसी तरह उसे कम से कम 30 हज़ार वेंटीलेटर की ज़रूरत होगी, पर उसके पास फ़िलहाल सिर्फ 5 हज़ार वेंटीलेटर ही हैं। 

उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने कहा है कि 4 हज़ार वेंटीलेटर न्यूयॉर्क को भेजे जा रहे हैं और वे वहाँ जल्द ही पहुँच जाएंगे। इसके अलावा 3,40,000 मास्क, 1,45,000  सर्जिकल गाऊन और 3,50,000 जोड़े दस्ताने भेजे जा रहे हैं।

पर न्यूयॉर्क के गवर्नर इससे भी संतुष्ट नहीं हैं। वह कहते हैं कि असली समस्या यह है कि लोग यहाँ की समस्या की गंभीरता को ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं। न्यूयॉर्क के मेयर बिल डी ब्लेज़ियो ने कहा कि मामला सिर्फ़ संख्या का नहीं है, उससे कहीं बड़ा मामला है। उनके मुताबिक स्थिति बहुत ही नाज़ुक है।

न्यूयॉर्क का मामला भारत के लिए बहुत बड़ी सीख बन सकता है। भारत को यह समझना होगा कि वह जल्द से जल्द अपनी स्वास्थ्य ज़रूरतों पर ध्यान दे, स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी तमाम चीजों का इंतजाम कर ले। सोशल डिस्टैसिंग अच्छी बात ज़रूर है, पर सिर्फ उसी के भरोसे रहने से नहीं होगा। न्यूयॉर्क का उदाहरण सामने है।   

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