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नये आयकर बिल के खतरेः आपकी हर डिजिटल गतिविधि पर सरकार की नज़र

नये आयकर बिल के खतरेः आपकी हर डिजिटल गतिविधि पर सरकार की नज़र

नए आयकर विधेयक 2025 के बारे में जानिये। जो सरकारी अधिकारियों को तलाशी और जब्ती के दौरान सोशल मीडिया, ऑनलाइन खातों और वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुँचने की ताकत देगा। आपकी हर गतिविधि पर सरकार की नज़र रहेगी। 

नये आयकर विधेयक (Income-tax Bill) में इनकम टैक्स अधिकारियों को सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल खातों तक पहुंचने की ताकत देने का प्रस्ताव है। इसमें ऑनलाइन निवेश, ट्रेडिंग और बैंकिंग खाते, साथ ही ईमेल सर्वर की जांच शामिल हैं। इस नए आयकर विधेयक में सर्वे, तलाशी और जब्ती के दौरान आयकर अधिकारियों द्वारा जानकारी मांगने की पावर के तहत "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" को परिभाषित किया गया है। यानी आसान शब्दों में समझना है तो ये समझिये कि आप ऑनलाइन कुछ भी पेमेंट करते हैं, या पेमेंट पाते हैं, सरकार को उसकी जांच का पूरा अधिकार होगा। आपकी हर डिजिटल गतिविधि सरकार की नजर में रहेगी। यहां तक कि आपके गोपनीय ईमेल भी अब गोपनीय नहीं रह जायेंगे।

क्या है वर्चुअल डिजिटल स्पेस

इस विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को "ऐसा कोई डिजिटल क्षेत्र जो आपको कंप्यूटर तकनीक के माध्यम से बातचीत करने, संवाद करने और गतिविधियां करने की अनुमति देता हो" के रूप में परिभाषित किया गया है। आपकी ऑनलाइन प्राइवेसी का कोई मतलब नहीं रह जायेगा। आप चाहे जितने पासवर्ड से अपना ईमेल सुरक्षित कर लें। सरकार को उसे पढ़ने/जांचने/देखने का अधिकार होगा।

सूत्रों के अनुसार, आयकर विधेयक की धारा 247 को अब प्रस्तावित विधेयक के जरिये स्पष्ट ढंग से समझाया गया है।वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 के तहत तलाशी और जब्ती के लिए समान शक्तियां पहले से मौजूद हैं, जिसमें अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में खाता बही और अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण और जब्ती कर सकते हैं। लेकिन नया विधेयक विशेष रूप से वर्चुअल डिजिटल स्पेस को बताता है।

धारा 132 के तहत मौजूदा शक्तियांः आयकर अधिनियम की धारा 132 के अनुसार, इनकम टैक्स अधिकारी किसी भी इमारत, स्थान, जहाज, वाहन या विमान में प्रवेश कर तलाशी ले सकते हैं। जहां उन्हें संदेह हो कि टैक्स चोरी के लिए खाता बही, अन्य दस्तावेज, धन, गोल्ड, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुएं रखी गई हों। अधिकारियों को दरवाजे, ताले, तिजोरियां और अन्य भंडारण खोलने और संदिग्ध खाता बही, दस्तावेज, धन, सोना, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुओं को जब्त करने की शक्ति है।

नए विधेयक में बदलाव

पिछले महीने लोकसभा में पेश किए गए इस नए विधेयक में "वर्चुअल डिजिटल स्पेस" को स्पष्ट रूप से तलाशी और जब्ती के दायरे में शामिल किया गया है। यह खाता बही और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिभाषित करने का प्रयास है। इसके तहत टैक्स अधिकारी किसी कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को ओवरराइड कर सकते हैं। बेशक वो उपलब्ध न हो। विधेयक में कहा गया है, "अधिकारी तलाशी या जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकता है, जो कंप्यूटर सिस्टम, खाता बही, अन्य दस्तावेजों या संपत्ति का कब्जा, नियंत्रण या एक्सेस धारक हो, या जो परिसर में मौजूद हो या जिसकी तलाशी ली जा रही हो।"

सूत्रों ने बताया कि मौजूदा आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत टैक्स अधिकारी डेस्कटॉप, हार्ड डिस्क जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त करते रहे हैं। उसी तरह ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे संचार मंचों के सबूत भी जमा करेंगे। एक सूत्र ने कहा, "ऐसे सबूत न सिर्फ अदालत में टैक्स चोरी साबित करने के लिए काम आयेंगे, बल्कि टैक्स चोरी के पैसे को गिनने में भी मदद करेंगे।"

धारा 132(1)(iib) का प्रावधान

वित्त अधिनियम, 2002 के माध्यम से धारा 132(1)(iib) में यह अनिवार्य किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में रखे गए खाता बही या अन्य दस्तावेजों के कब्जे या नियंत्रण में मौजूद व्यक्ति को अधिकृत अधिकारी को ऐसे दस्तावेजों तक पहुंच आसान कराना होगा। इसमें आवश्यक क्रेडेंशियल प्रदान करना और ऐसे दस्तावेजों की जब्ती शामिल है। धारा 132 टैक्स चोरी की जानकारी के आधार पर नामित टैक्स अधिकारियों को तलाशी और जब्ती संचालन करने की शक्तियां देती है।

कांग्रेस ने भी समझाया

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। जिसमें उन्होंने प्रस्तावित आयकर विधेयक के बारे में समझाया है। आप यहां सुन और देख सकते हैं। 

कांग्रेस सेवा दल प्रमुख लालजी देसाई ने भी इसे हिन्दी में समझाने की कोशिश की है। उनका वीडियो भी देखिये-

क्या कहती है सरकार

पिछले महीने लोकसभा में पेश किये गये आयकर विधेयक, 2025 को लेकर दावा किया गया है कि  यह  भारत की छह दशक पुराने डायरेक्ट टैक्स ढांचे को आसान बनाने का इरादा रखता है। यह प्रावधानों को सुव्यवस्थित करने, अप्रचलित संदर्भों को हटाने और एक स्पष्ट व सरल कानूनी ढांचा बनाने का प्रयास है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की चयन समिति द्वारा समीक्षा की जाएगी। संसद द्वारा पारित होने के बाद यह नया कानून शायद 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा।

(रिपोर्ट और संपादन यूसुफ किरमानी)

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