नयी सैटेलाइट तसवीरों में खुलासा, झड़प वाली जगह गलवान में चीन ने बनाया ढाँचा
गलवान घाटी की सैटेलाइट तसवीरें दिखाती हैं कि चीन एक तरफ़ तो बातचीत से मुद्दे को हल करने का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ़ उसने बड़े पैमाने पर सैनिक ढाँचे को खड़ा कर लिया है। यह उन क्षेत्रों में है जहाँ पहले भारतीय सेना पैट्रोलिंग करती रही थी। गलवान घाटी की ताज़ा सैटेलाइट तसवीरों में देखा जा सकता है कि चीनी सेना ने भारत के पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 यानी PP14 पर बड़ा ढाँचा तैयार कर लिया है और वहाँ चीनी सेना तैनात है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन सैटेलाइट तसवीरों की सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने भी पुष्टि की है। PP14 वही जगह है जहाँ 15 जून को चीन की सेना के साथ झड़प हुई थी और भारतीय सेना के एक अफ़सर सहित 20 जवान शहीद हो गए थे।
गलवान घाटी की ताज़ा सैटेलाइट तसवीरें तब आई हैं जब ख़बर है कि चीन दूसरे क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहा है। लद्दाख के देपसांग सीमांत इलाक़े में, जहाँ 2013 में चीनी सेना 20 किलोमीटर भीतर घुसी थी और जिसे तब की सरकार ने वापस जाने को मजबूर किया था वहाँ चीनी सेना के फिर घुसने की रिपोर्टें हैं। चीनी सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश के इलाक़े में भी घुसपैठ करने की रिपोर्टें मिली हैं। अब ताज़ा रिपोर्ट है कि चीन ने डोकलाम इलाक़े में सौ मीटर और आगे तक अपने सैनिकों को बढ़ा दिया है।
यानी चीन गलवान घाटी में विवाद को लेकर भारत के साथ बातचीत कर रहा है और दूसरे क्षेत्रों में घुसपैठ करता जा रहा है। यही नहीं, पूरे गलवान घाटी को लेकर भी चीन का वैसा ही रवैया है।
भारत और चीन के बीच सैन्य और कुटनीतिक बातचीत के बीच ही गलवान घाटी की नयी सैटेलाइट तसवीरें सामने आई हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, सेना के वरिष्ठ सूत्रों ने पुष्टि की कि 'PP-14 से 15 जून को हटाए गए तम्बू को फिर से (चीन द्वारा) खड़ा किए जाने की हमारे ज़मीनी सैनिकों ने रिपोर्ट की है।' रिपोर्ट के अनुसार जब सैटेलाइट तसवीरों में दिखाई देने वाली चीनी संरचनाओं के अस्तित्व को लेकर सेना से टिप्पणी माँगी गई तो न तो इसकी पुष्टि की गई और न ही इसका खंडन किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी मैक्सार की तसवीरें 22 जून की हैं और दिखाती हैं कि चीन ने PP-14 के पास एलएसी पर एक रक्षात्मक स्थिति 'एस्ट्राइड' का निर्माण किया है।
इस ढाँचे का निर्माण 16 जून से 22 जून के बीच किया गया है, क्योंकि झड़प के एक दिन बाद 16 जून को प्लेनेट लैब्स ने लोकेशन की सैटेलाइट इमेज दिखाईं तो उसमें कोई ढाँचा नहीं दिखा था।
पूर्वी लद्दाख के लिए ज़िम्मेदार 3 इन्फैंट्री डिवीजन के डिवीजन कमांडर के रूप में कार्य कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एएल चवन ने नयी सैटेलाइट तसवीरों का विश्लेषण किया। उन्होंने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि यह एक उचित रक्षात्मक स्थिति प्रतीत होती है जिसे चीनियों द्वारा विकसित किया गया है'। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि 'पहाड़ी क्षेत्र, जो दक्षिणी ओर है, वहाँ भी उन्हें कुछ रक्षात्मक स्थान मिले हैं।'
बता दें कि भारत के साथ वार्ता के साथ ही चीन धमकी और नये सिरे से तनाव की बात भी कह रहा है। चीन के सरकारी मीडिया और सत्ताधारी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने अब एक नया राग छेड़ा है। तीन दिन पहले ही 1962 से भी बुरे हाल होने की धमकी देने वाले इस अख़बार ने कहा है कि जुलाई में भारत में कोरोना बढ़ा तो सीमा पर भारत तनाव बढ़ा सकता है। चीन का यह कहना, सीधे-सीधे भारत पर उकसावे का आरोप मढ़ने जैसा है।
चीन के सरकारी अख़बार ने कुछ विश्लेषकों के हवाले से लिखा है, 'यह संभव है कि भारत जुलाई में सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक परेशानी पैदा कर सकता है, क्योंकि इसने एक बार अपने वादों को तोड़ दिया है और ऐसा दूसरी बार भी कर सकता है।' हालाँकि इसने यह भी कहा है कि युद्ध की सरगर्मी की संभावना नहीं है, लेकिन चीनी सीमा सैनिकों को सबसे ख़राब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
जुलाई में संघर्ष बढ़ने को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने अजीब तर्क दिया है। ग्लोबल टाइम्स ने शंघाई एकेडमी ऑफ़ सोशल साइंसेज के इंटरनेशनल रिलेशंस इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता हू झियोंग के हवाले से लिखा है, 'भारत, जिसने COVID-19 और आर्थिक स्थिति से निपटने में सरकार की अक्षमता से घरेलू ध्यान हटाने की कोशिश की, ने अपने वादों को तोड़ दिया और पहली बैठक के 10 दिनों के बाद ही एकतरफ़ा मामले को भड़का दिया।'
जैसा कि ग्लोबल टाइम्स सरकारी मीडिया है तो जो बातें चीनी सरकार खुलेआम नहीं कहती है, उसको वह इस मीडिया के माध्यम से प्रचारित करती है। ग्लोबल टाइम्स ने जो दावे किए हैं कि भारत ने एकतरफ़ा मामले को भड़का दिया वह दरअसल, उलटा आरोप लगा रहा है।