नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी नई शिक्षा नीति: शिक्षा मंत्री
मोदी सरकार ने बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। बुधवार को हुई मोदी कैबिनेट की बैठक में इस फ़ैसले के अलावा नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दे दी गई है।
केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा विभाग के अफ़सरों ने नई शिक्षा नीति के बारे में प्रेस वार्ता में जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करना एक एतिहासिक फ़ैसला है और यह 21 वीं सदी की शिक्षा नीति है। जावड़ेकर ने कहा कि उम्मीद है कि भारत के साथ ही दुनिया के शिक्षाविद् भी इसका स्वागत करेंगे।
जावड़ेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लागू करना बेहद ज़रूरी था क्योंकि पिछले 34 साल से इसमें कोई बदलाव नहीं हुए थे।
व्यापक विमर्श किया गया
शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा, ‘संभवत: देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब शिक्षा नीति बनाने के लिए व्यापक स्तर पर देश के कोने-कोने से छात्रों से, अभिभावकों से, विशेषज्ञों से, राज्य सरकारों से, जनप्रतिनिधियों से और कई वर्ग के लोगों से विचार-विमर्श किया गया।’
शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि जब हमने इसे पब्लिक डोमेन में डाला और उसके बाद जो सुझाव आए, उसके बाद भी हमने इस पर काम किया और तब जाकर अंतिम रूप दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति पूरी दुनिया के लिए ज्ञान की महाशक्ति के रूप में उभर कर आएगी।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘बोर्ड परीक्षाओं को लेकर नीति में कहा गया है कि इन्हें दो भागों- ऑब्जेक्टिव और डिस्क्रिप्टिव में कराया जा सकता है।’ इसके अलावा बच्चा जब स्कूल से निकलेगा तो वह एक वोकेशनल स्किल हासिल करके निकलेगा।
शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे ने कहा कि हम उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसदी ग्रास इनवॉल्वमेंट रेशियो तक पहुंचेगे और इसके लिए हॉलिस्टिक एजुकेशन की नई व्यवस्था लाई जा रही है।
पिछले साल के बजट भाषण में सरकार की ओर से कहा गया था कि सरकार देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को विश्व की एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी, शिक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फ़ाउंडेशन (एनआरए) का गठन करेगी।
इसके अलावा ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत विदेशी छात्रों को भारत के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने पर फ़ोकस किया जाएगा। यह भी कहा गया था कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के लिए एक बिल का मसौदा पेश किया जाएगा।