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नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड संसद में विश्वास मत हारे; ओली बन सकते हैं नये पीएम

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड संसद में विश्वास मत हारे; ओली बन सकते हैं नये पीएम

275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 63 सदस्यों ने प्रचंड द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 194 ने इसका विरोध किया और एक सदस्य ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ शुक्रवार को संसद में तब विश्वास मत हार गए जब उनकी गठबंधन सरकार में सबसे बड़ी पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया। इस कारण उन्हें 19 महीने सत्ता में रहने के बाद पद छोड़ना पड़ा। दहल संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आधे से ज़्यादा सदस्यों का समर्थन हासिल करने में विफल रहे, जो वोट जीतने के लिए ज़रूरी था।

नेपाली कांग्रेस के समर्थन से सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली नए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं। नये गठबंधन ने इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ओली नये प्रधानमंत्री बनेंगे।

10 दिन पहले ही प्रचंड के गठबंधन सहयोगी नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी ने समर्थन वापस ले लिया था और सरकार का नेतृत्व खुद करने का संकल्प लिया था। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में केवल 63 सदस्यों ने प्रचंड द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। 194 ने इसका विरोध किया और एक सदस्य ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

दिसंबर 2022 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही दहल एक कमज़ोर गठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे, क्योंकि एक अनिर्णायक चुनाव में उनकी पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी। इसके बावजूद, वह एक नया गठबंधन बनाने और प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने में कामयाब रहे।

दिसंबर 2022 से शुरू होने वाले प्रचंड के तीसरे कार्यकाल में गठबंधन सहयोगियों के लगातार बदलाव हुए हैं। वे पिछले चार विश्वास मतों में बच गए थे, लेकिन इस बार वे उतने भाग्यशाली नहीं रहे।

स्पीकर देव राज घिमिरे द्वारा प्रचंड की हार की घोषणा के तुरंत बाद सदस्यों को ओली को बधाई देते देखा जा सकता था।

ओली और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से मिलने की उम्मीद है, जिसमें दोनों दलों के सांसदों के हस्ताक्षर होंगे और ओली को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने का दावा पेश किया जाएगा।

दोनों दलों को सदन में कुल 167 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। नई सरकार को अपने गठन के 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।

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