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एनडीए सरकार बनने से पहले जेडीयू, टीडीपी की मांगें और शर्तें क्या हैं?

एनडीए सरकार बनने से पहले जेडीयू, टीडीपी की मांगें और शर्तें क्या हैं?

केंद्र में एनडीए की सरकार गठन को लेकर पहले दौर की बैठक खत्म हो गई है। जेडीयू और टीडीपी ने अपनी-अपनी मांग या शर्तों से अवगत कराया है। समझा जाता है कि एक-दो दिन के अंदर न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित करके बात को आगे बढ़ाया जाएगा।

एनडीए की पहले दौर की बैठक बुधवार को खत्म हो गई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के नेता राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।  मोदी के सरकारी आवास पर हुई इस बैठक के बाद कोई ब्रीफिंग नहीं की गई कि बैठक में क्या तय हुआ। लेकिन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू ने सरकार को समर्थन का पत्र मोदी को सौंप दिया है। लेकिन सूत्रों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने कुछ मंत्रालय और उनके राज्यों के लिए विशेष पैकेज की मांग की है। जेडीयू की ओर से न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित कर सरकार चलाने का भी प्रस्ताव दिया गया है।

भाजपा की तरफ से इस बात पर जोर दिया गया कि सबसे पहले एनडीए को राष्ट्रपति के पास जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहिए। समझा जाता है कि इंडिया गठबंधन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को अपने पाले में ले जाए, इससे पहले एनडीए सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहती है। उसने दोनों दलों से समर्थन पत्र हासिल कर लिया है, जिसे राष्ट्रपति को दिखाया जाएगा।

भाजपा ने 240 लोकसभा सीटें जीती हैं जो बहुमत के आंकड़े से 32 सीटें कम है। चिराग पासवान की पार्टी की ओर से 5 और आरएलडी के 2 सांसदों का भी समर्थन भाजपा को हासिल है। जबकि टीडीपी और जेडीयू के पास कुल मिलाकर 28 सीटें हैं। ऐसे में यही दो पार्टियां सरकार गठन में भाजपा का बेड़ा पार लगा सकती हैं। लेकिन इसके लिए उन्होंने शर्तें रख दी हैं। ये शर्ते भाजपा को दाएं-बाएं से बताई जा रही हैं। नीतीश के साथ बैठक में शामिल हुए जेडीयू सांसद संजय झा ने एनडीए की बैठक खत्म होने के बाद बताया कि सभी ने अपने विचार रखे और तीसरी बार एनडीए को जनादेश देने के लिए जनता को धन्यवाद दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का जल्द ही गठन होगा और जल्द ही सभी सांसदों की बैठक होगी।''

जेडीयू की मांगः नीतीश कुमार के नजदीकी और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने सीएनबीसी टीवी18 पर कहा- बिहार के लोगों को विशेष राज्य का दर्जा और वित्तीय सहायता की उम्मीद है। जेडीयू निश्चित रूप से इस बार अधिक कैबिनेट मंत्री की उम्मीद कर रही है। 2019 में जब बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो बीजेपी ने हमें सिर्फ एक मंत्रालय ऑफर किया था। अब स्थिति अलग है। गठबंधन में जेडीयू की अहमियत और बिहार में प्रदर्शन को देखते हुए हमें अधिक और बेहतर कैबिनेट विभाग मिलने चाहिए। इंडिया गठबंधन के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि "हम उम्मीद करते हैं कि नई सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने पर विचार करेगी और देशव्यापी जाति जनगणना कराएगी।"

दूसरी तरफ टीडीपी और चंद्रबाबू नायडू ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। वे अपनी मांगों को लेकर मुखर नहीं हैं। टीडीपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी केंद्र में अच्छे मंत्रालय मांग सकती है। आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा एक और प्रमुख मुद्दा है जो बातचीत में सामने आ सकता है। 

जेडीयू और टीडीपी दोनों ही बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा मांग रहे हैं। वास्तव में, यह विशेष दर्जे की मांग पर विवाद था जिसने चंद्रबाबू नायडू को 2016 में भाजपा से अलग होने के लिए मजबूर किया था। इसी तरह एनडीए छोड़ते हुए नीतीश कुमार ने भी बिहार को विशेष दर्जा न देना वजह बताई थी।


सूत्रों के मुताबिक जेडीयू और टीडीपी की नजर लोकसभा अध्यक्ष पद पर है। दोनों ही दल चाहेंगे कि लोकसभा अध्यक्ष उनकी पार्टी से बनाया जाए। दो सीटों वाली आरएलडी कृषि मंत्रालय मांग सकती है। बिहार के नेताओं लिए रेल मंत्रालय आकर्षण का केंद्र रहा है। रामविलास पासवान लंबे समय तक रेल मंत्री रहे हैं। चिराग पासवान की पार्टी रेल मंत्रालय की मांग कर सकती है। 

सूत्रों के मुताबिक दोनों ही दलों ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से कहा है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित करके सभी सहयोगी दल आगे बढ़ सकते हैं। जेडीयू और टीडीपी की यह मांग इसलिए है कि फिर पूरे पांच साल केंद्र सरकार को उसी न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सरकार चलाना पड़ेगी। जिसमें जाहिर है कि कोई सीएए-एनआरसी जैसे साम्प्रदायिक एजेंडे को जेडीयू और टीडीपी शामिल नहीं होने देंगे। जाति जनगणना की भी मांग इसमें शामिल हो सकती है। अगले एक-दो दिनों में स्थिति और साफ हो जाएगी।

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