+
NDA के दो सहयोगी कोटे पर सुप्रीम जजमेंट के खिलाफ, जाति जनगणना का समर्थन

NDA के दो सहयोगी कोटे पर सुप्रीम जजमेंट के खिलाफ, जाति जनगणना का समर्थन

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उप-वर्गीकरण ठीक है। राज्यों को भी ऐसा करने का अधिकार है। उसे इस पर ऐतराज नहीं है। यह फैसला उन जातियों के हक में है जिनमें अति पिछड़े लोग हाशिए पर हैं और आरक्षण का लाभ नहीं पा सके हैं। क्योंकि सारा लाभ क्रीमी लेयर ले गई। इस फैसले का दलित संगठनों और दलित नेताओं ने तो विरोध किया ही है। लेकिन शनिवार को मोदी सरकार यानी एनडीए के दो सहयोगियों चिराग पासवान और रामदास आठवले की पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया है। इन दोनों नेताओं ने जाति जनगणना का समर्थन किया है।

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और रामदास अठावले दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में आवाज उठाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राज्यों को 15 फीसदी आरक्षण कोटे के हिस्से में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उप-समूह बनाने की अनुमति देता है। इन दलों ने जाति जनगणना का समर्थन किया है। जिसकी मांग कांग्रेस समेत सारे विपक्षी दल भी कर रहे हैं।

पासवान ने घोषणा की कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी, जबकि, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के प्रमुख रामदास अठावले ने भी एससी और एसटी आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी कदम को खारिज कर दिया। यानी अठावले ने कहा कि अगर कथित क्रीमी लेयर को मिले कोटे में कमी की गई तो उसका विरोध होगा।

चिराग पासवान ने कहा, "हमारी पार्टी 15 प्रतिशत एससी कोटे के भीतर उप-समूहों को अनुमति देने वाले हालिया फैसले की समीक्षा करने के लिए शीर्ष अदालत से अपील करेगी। एससी कोटा में क्रीमी लेयर को अनुमति नहीं दी जा सकती। एससी कोटा के भीतर उप-समूहों को अनुमति देने से सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान का मकसद पूरा नहीं होगा जो छुआछूत का शिकार रहा है।"

हाजीपुर से सांसद पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला छुआछूत के मुद्दे को हल करने में नाकाम रहा। उन्होंने तर्क दिया कि अनुसूचित जाति समुदायों के अच्छी तरह से शिक्षित और आर्थिक रूप से स्थिर व्यक्तियों को भी छुआछूत का सामना करना पड़ता है, जिससे एससी वर्ग के भीतर उप-समूहों की अनुमति अनुचित है।

  • पासवान ने अपने गठबंधन सहयोगी जेडीयू के इस रुख पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिसने फैसले का समर्थन किया है। जेडीयू ने इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों की मान्यता के रूप में देखा है, जिन्होंने वर्षों पहले राज्य में "महादलित" श्रेणी बनाई थी।

  • टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक पासवान ने जाति जनगणना के लिए भी समर्थन व्यक्त किया। यही मांग विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी की है। हालाँकि, पासवान ने कहा कि ऐसी जनगणना के निष्कर्षों को "सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।"

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मानदंड लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता अठावले ने हालांकि स्वीकार किया कि राज्यों द्वारा एससी/एसटी के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन समुदायों के भीतर अधिक वंचित जातियों के लिए निष्पक्षता की स्थिति बनेगी।

अठावले ने भाजपा के सहयोगी और एनडीए सदस्य के रूप में अपनी पार्टी के रुख पर प्रकाश डालते हुए कहा, "एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। आरपीआई (ए) एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी।" अठावले ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और सामान्य श्रेणी के सदस्यों के लिए समान उप-वर्गीकरण लागू करने की वकालत की।

सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले ने राज्यों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व की डिग्री के आधार पर अनुसूचित जाति के भीतर जातियों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति दी। जिससे यह तय किया जा सके कि 15 प्रतिशत एससी कोटा से उनमें से सबसे पिछड़े लोगों को लाभ मिले। बता दें कि अदालत ने सरकारों को एससी और एसटी के बीच 'क्रीमी लेयर' को आरक्षण लाभ से बाहर करने के लिए मानदंड विकसित करने का भी निर्देश दिया। यानी क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर कर दिया जाए।

अनुसूचित जातियों के लिए 'कोटा के भीतर कोटा' की अवधारणा पर राजनीतिक और इसके प्रभाव को कम करने के लिए, अदालत ने स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण सरकारी सनक या राजनीतिक विचारों पर आधारित नहीं होना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उप-वर्गीकरण पिछड़ेपन के संबंध में योग्य डेटा पर आधारित होना चाहिए। यानी जिस वर्ग के महादलित जाति को आप आरक्षण देने जा रहे हैं तो उसका डेटा पहले से मौजूद होना चाहिए। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें