दिल्ली में वैसे तो समग्र रूप से अपराध कम हुए हैं, लेकिन अभी भी यह 'अपराधों की राजधानी' बनी हुई है। यह देश में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आँकड़े ही इसके गवाह हैं। ये आँकड़े इसके भी गवाह हैं कि निर्भया मामले के बाद जबरदस्त शोर के बाद भी सरकारी प्रयास विफल साबित हुए हैं।
एनसीआरबी ने पिछले साल यानी 2020 के अपराध के आँकड़े जारी किए हैं। इसके अनुसार, पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के 10,093 से अधिक मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में ये मामले मुंबई, पुणे, ग़ाज़ियाबाद, बैंगलोर या इंदौर में दर्ज मामलों की संख्या से दोगुने से अधिक हैं। 2018 में दिल्ली में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के 13,640 मामले दर्ज किए गए थे जबकि अगले साल यानी 2019 में यह संख्या 300 कम हो गई थी।
एनसीआरबी के आँकड़ों के अनुसार, पिछले साल दिल्ली पुलिस द्वारा 2.4 लाख से अधिक मामले यानी हर रोज़ औसत रूप से 650 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 2019 की अपेक्षा 2020 में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है। समझा जाता है कि यह गिरावट कोरोना और कोरोना लॉकडाउन की वजह से आयी। ऐसा इसलिए कि पिछले साल मार्च में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद लंबे समय तक लॉकडाउन लगाया गया था। और जब लॉकडाउन खुला भी तो तरह-तरह के प्रतिबंध लगे रहे। लोगों का बाहर आना-जाना अपेक्षाकृत रूप से कम हुआ।
दिल्ली से तुलना करने पर पता चलता है कि बैंगलोर में 19,964 मामले दर्ज किए गए और मुंबई में पिछले साल 50,000 मामले दर्ज किए गए।
दिल्ली में पिछले साल हत्या के कुल 472 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 'प्रेम प्रसंग' और संपत्ति विवाद सबसे आम कारण थे। जबकि दिल्ली में 2019 में 521 हत्या के मामले दर्ज किए गए थे।
एनसीआरबी के आँकड़ों से पता चलता है कि अपहरण के मामले 2019 में जहाँ 5,900 थे वे घटकर 2020 में 4,062 हो गए हैं। इनमें से 3,000 से अधिक मामले 12 से 18 वर्ष की आयु के थे।
हालाँकि इन मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में अपहरण के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए। दिल्ली के बाद मुंबई में 1,173 मामले और लखनऊ में 735 मामले दर्ज किए गए।
राजधानी में 997 बलात्कार, 110 दहेज हत्याएँ, महिलाओं की मर्यादा भंग करने के इरादे से 1,840 हमले, और 326 उत्पीड़न के मामले दर्ज किए गए। इनमें से आधे से अधिक पीड़ितों की उम्र 30 से कम थी। आँकड़ों से यह भी पता चलता है कि ज़्यादातर मामलों में अपराधी पीड़ितों के जानकार थे।
ऑनलाइन चोरी, धोखाधड़ी और यौन उत्पीड़न सहित साइबर अपराध पिछले साल बढ़े। दिल्ली में 168 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 50-60 अधिक हैं।
पुलिस ने कहा है कि हर मामले में औसतन पांच से दस लोगों को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने कहा कि अन्य महानगरों की तुलना में, दिल्ली में कम साइबर अपराध देखे गए।