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एनसीपी संकटः शरद पवार मीटिंग के लिए दिल्ली पहुंचे, पोस्टरों की भरमार

एनसीपी संकटः शरद पवार मीटिंग के लिए दिल्ली पहुंचे, पोस्टरों की भरमार

एनसीपी संस्थापक शरद पवार दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने अपनी पार्टी की कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाई है। एनसीपी की यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है कि पार्टी अब दो गुटो में बंट गई है। दूसरे गुट का नेतृत्व उनके भतीजे अजीत पवार कर रहे हैं। दिल्ली में भी शरद पवार के चाहने वालों की कमी नहीं है। राजधानी पोस्टरों से पट गई है।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने आज दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। पार्टी कल बुधवार को औपचारिक रूप से दो हिस्सों में बंट गई है। दूसरे गुट के नेता अजीत पवार ने चुनाव आयोग में दावा पेश किया है कि वो ही अब एनसीपी अध्यक्ष हैं और शरद पवार को 30 जून को हटाया जा चुका है। यह अभी साफ नहीं है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एजेंडा क्या है, लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी अजीत पवार की कथित बैठक को अवैध घोषित कर शरद पवार को फिर से अपना अध्यक्ष घोषित कर सकती है या मुहर लगा सकती है।

गुरुवार को एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले, फिरोजशाह रोड स्थित पार्टी कार्यालय के बाहर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के नए पोस्टर लगाए गए। कार्यालय परिसर के बाहर से पुराने पोस्टर हटा दिए गए हैं जिनमें शरद पवार के साथ अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल थे।

पोस्टरों पर लिखा है कि ''सच्चाई और झूठ की लड़ाई में पूरा देश शरद पवार के साथ है'' और ''भारत का इतिहास ऐसा है कि इसने विश्वासघात करने वालों को कभी माफ नहीं किया है।'' दिल्ली में शरद पवार के स्वागत वाले पोस्टर भी राष्ट्रीय राजधानी में उनके कार्यालय के पास लगाए गए थे।

एनसीपी कार्यालय के बाहर पोस्टरों का एक और सेट भी देखा गया, जिस पर अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के विद्रोही कदम पर कटाक्ष करते हुए "गद्दार" लिखा हुआ था।

एनसीपी बनाम एनसीपी मामला बुधवार को संख्या के खेल में बदल गया, जब शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार ने मुंबई में अलग-अलग बैठकें कीं। दोनों ने अपनी ताकत दिखाई। महाराष्ट्र के सबसे नए उपमुख्यमंत्री ने अपने गुट की बैठक में करीब 29 विधायक होने का दावा किया, जबकि शरद पवार गुट की बैठक में 17 विधायक आए। संख्याएँ स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि अजीत पवार वर्तमान में अपने चाचा शरद पवार से उनके समर्थन में विधायकों की संख्या के मामले में आगे हैं। दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता से बचने के लिए अजीत पवार को 36 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। अजीत पवार खेमा कहता रहा है कि उन्हें 40 से अधिक विधायकों और एमएलसी का समर्थन प्राप्त है। महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के 53 विधायक हैं।

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