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संविधान की प्रस्तावना से क्या डर लगता है, स्कूल की किताबों से क्यों हटाई गई

संविधान की प्रस्तावना से क्या डर लगता है, स्कूल की किताबों से क्यों हटाई गई

एनसीईआरटी की किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटा दी गई। आखिर सरकार बच्चों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने से क्यों रोक रही है।प्रस्तावना कक्षा 3 की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में मुद्रित नहीं है। यह कक्षा 6 की किताब से भी गायब है। स्कूल की किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटाने के गहरे अर्थ हैं और इसके पीछे साजिश को भी समझा जा सकता है।

संविधान बदल पाने में नाकाम रहने पर अब उसकी इज्जत घटाई जा रही है। एनसीईआरटी की किताबों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया गया है। छोटी क्लास से ही बच्चे संविधान और देश को मिली आजादी का महत्व इस प्रस्तावना के जरिए जानना शुरू करते हैं लेकिन ठीक उसी वर्ग को अब संविधान की प्रस्तावना पढ़ने से रोक दिया गया है। अब यह प्यारा शब्द ...हम भारत के लोग... छोटी क्लास के बच्चे नहीं पढ़ सकेंगे। इस साल, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 3 और कक्षा 6 की कई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटा दिया है। प्रस्तावना की जगह भाषा और पर्यावरण अध्ययन (ईवीएस) जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं।

संविधान की प्रस्तावना कक्षा 3 की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में नहीं छापी गई है।


कक्षा 6 के लिए, एनसीईआरटी ने इस वर्ष पर्यावरण अध्ययन पर केवल एक किताब जारी की है। पहले यह तीन किताबें प्रकाशित करता था। न तो संस्कृत पाठ्यपुस्तक "दीपकम" और न ही कक्षा 6 की नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक "पूर्वी" में प्रस्तावना शामिल है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, अब इन दोनों प्रकाशनों में राष्ट्रीय गीत और गान शामिल हैं।

प्रस्तावना पहले दोनों ग्रेडों की पुस्तकों के पहले पन्नों में छपती थी। प्रस्तावना कक्षा III की सभी पाठ्यपुस्तकों में नहीं है, हालाँकि यह कक्षा VI की केवल दो पुस्तकों में शामिल है: हिंदी पुस्तक मल्हार और विज्ञान पुस्तक क्यूरियोसिटी। हाल ही में लागू राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष कक्षा III और VI के लिए नई पाठ्यपुस्तकें जारी की गई हैं।

सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व फैकल्टी सदस्य नंदिता नारायण ने द टेलीग्राफ से कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक लघु रूप है और राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत या मौलिक अधिकार और कर्तव्य इसकी जगह नहीं ले सकते। मुझे नहीं लगता कि यह कोई संयोग है। मुझे लगता है कि भाजपा सरकार संविधान की प्रस्तावना से डरती है, जिसमें आजादी, समानता और बंधुत्व जैसे संविधान के मूल मूल्य शामिल हैं। इस सरकार ने संविधान के मूल मूल्यों के खिलाफ काम किया है। इसलिए इसने कई पुस्तकों से प्रस्तावना को हटा दिया है।”

एनसीईआरटी का जवाब

एनसीईआरटी के पाठ्यचर्या अध्ययन और विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजना अरोड़ा के अनुसार, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि प्रस्तावना को एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया। प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान भारतीय संविधान के उन पहलुओं में से हैं जिन पर एनसीईआरटी अब पहली बार उच्च प्राथमिकता दे रहा है।

उन्होंने कहा- "यह समझ कि केवल प्रस्तावना ही संविधान और संवैधानिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करती है, त्रुटिपूर्ण और संकीर्ण सोच है। बच्चों को प्रस्तावना के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रगान से संवैधानिक मूल्य क्यों नहीं प्राप्त होने चाहिए? हम समग्र विकास के लिए इन सभी को समान महत्व देते हैं।" 

एनसीईआरटी के तर्क से टीचर सहमत नहीं हैं। उन्होंने याद दिलाया कि एनसीईआरटी और अन्य स्कूल बोर्डों ने तो महात्मा गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर से जुड़े कई चैप्टर पिछले साल ही हटा दिए थे। मुगलों से जुड़े इतिहास के कई चैप्टर तमाम किताबों से हटा दिए गए हैं। अकबर को महान बताने वाले चैप्टर हटाए जा चुके हैं। यह सब एक साजिश के तहत हो रहा है। देश की आजादी से जुड़ा दक्षिणपंथियों का कोई इतिहास नहीं है, इसलिए यह सारी छटपटाहट दिखती है। जिनकी भूमिका आजादी की लड़ाई में रही है, वे उनका नामोनिशान मिटाने पर तुल गए हैं।

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