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एनसीबी ने सुशांत को 'ड्रग्स अपराधी' बताया, ज़िंदा होते तो केस दर्ज करती?

एनसीबी ने सुशांत को 'ड्रग्स अपराधी' बताया, ज़िंदा होते तो केस दर्ज करती?

बॉम्बे हाई कोर्ट में रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने सुशांत सिंह राजपूत को 'ड्रग्स अपराधी' बताया है। 

बॉम्बे हाई कोर्ट में रिया चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने सुशांत सिंह राजपूत को एक तरह से 'ड्रग्स अपराधी' बताया है। इसने सोमवार को कहा है कि रिया ने ड्रग्स ख़रीदा और सुशांत सिंह राजपूत की ड्रग्स की आदतों को छुपाया। इसने कहा कि इसीलिए धारा 27 ए के तहत ड्रग्स की तस्करी में धन मुहैया कराने और अपराधियों को संरक्षण देने का मामला बनता है और इसी के तहत सज़ा दी जानी चाहिए। एनसीबी के इस बयान के अनुसार तो सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स अपराधी हुए। अब यदि सुशांत जीवित होते तो क्या एनसीबी उनके ख़िलाफ़ ड्रग्स मामले में एफ़आईआर दर्ज करती

दरअसल, एनसीबी का यह बयान बॉम्बे हाई कोर्ट में तब आया जब वह रिया चक्रवर्ती की जमानत का विरोध कर रही थी। इस मामले में एनसीबी ने दो हलफनामे दाखिल किए। एनसीबी को ज़मानत का विरोध करने के लिए मज़बूत आधार की ज़रूरत थी क्योंकि रिया को ज़मानत नहीं दिए जाने पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। 

हाल ही में एनसीबी के पूर्व प्रमुख बी वी कुमार ने ‘इंडिया टुडे’ टीवी पर एक कर्यक्रम में कहा था कि अब तक जो मीडिया में जानकारी आ रही है उसमें उनका आधार वाट्सऐप मैसेज है और ये ही सबूत के तौर पर रिकॉर्ड किए गए हैं। वह कहते हैं कि ये कमज़ोर सबूत मालूम पड़ते हैं और अदालत में इसे साबित नहीं किया जा सकता है जब तक कि इनके समर्थन में कोई स्वतंत्र और पुख्ता सबूत पेश नहीं किया जाता है। 

नारकोटिक्स से जुड़ी धारा 27 में ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए सज़ा का प्रावधान है और धारा 27 ए में ड्रग्स की तस्करी के लिए धन मुहैया कराने पर सज़ा का प्रावधान है। एनसीबी ने पहले दावा किया था कि इस मामले में 59 ग्राम ड्रग्स बरामद किया गया था। तो क्या इन दोनों में से किसी भी मामले के दायरे में रिया चक्रवर्ती आती हैं बी वी कुमार कहते हैं कि ड्रग्स जितनी मात्रा में है उससे इसकी सज़ा एक साल तक की हो सकती है। वह कहते हैं कि इसके लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। वह यह भी कहते हैं कि इस मामले में ज़मानत मिल जानी चाहिए। वह कहते हैं कि सामान्य तौर पर 3 साल से कम सज़ा होने पर तुरंत ज़मानत का प्रावधान है और इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का ही साफ़ तौर पर निर्देश है। 

ऐसे ही उठते सवालों के बीच बॉम्बे हाई कोर्ट में एनसीबी ने हलफ़नामा दाखिल कर कहा है कि रिया और उनके भाई शौविक चक्रवर्ती 'ड्रग सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य हैं जो उच्च वर्ग के लोगों और ड्रग सप्लायर के साथ जुड़े हैं'। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीबी ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े द्वारा पेश किए गए हलफनामे में कहा गया है कि कथित तौर पर चक्रवर्ती से जुड़ा ड्रग्स उनके 'व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए नहीं' था। इसने आगे कहा, 'वाट्सऐप चैट, मोबाइल रिकॉर्ड, लैपटॉप और हार्ड डिस्क से निकाले गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से संकेत मिलता है कि ड्रग्स के लिए भुगतान किया गया। इस प्रकार, यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि रिया ने न केवल नियमित रूप से डील की है, बल्कि ड्रग्स की अवैध तस्करी को भी धन मुहैया कराया है।'

बता दें कि रिया और शौविक की गिरफ़्तारी वाट्सऐप चैट मैसेज में ड्रग्स की जानकारी सामने आने के बाद ही की गई थी। हालाँकि इसके जानकार वाट्सऐप चैट जैसे इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को पर्याप्त नहीं मानते हैं। एनसीबी के पूर्व प्रमुख बी वी कुमार कहते हैं कि लैपटॉप, कम्प्यूटर, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, मोबाइल फ़ोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूसरे किसी ठोस सबूत के साथ साबित करना पड़ता है। यदि दूसरे सबूत नहीं मिलते हैं तो क़ानून में ये सबूत वैध नहीं माने जाते हैं। 

अब रिया की ज़मानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट आज फ़ैसला देगा। 

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