सुशांत: टीवी कवरेज पर आजतक समेत 4 चैनल दंडित
सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय स्थितियों में हुई मौत और उसके बाद के मीडिया कवरेज की काफी आलोचना हो चुकी है। अब न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने इस मामले में चार समाचार चैनलों को अपने दिशा- निर्देशों का उल्लंघन करने का दोषी पाते हुए उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने सुशांत सिंह के फ़ेक ट्वीट का इस्तेमाल करने के लिए आज तक पर एक लाख रुपए का ज़ुर्माना लगाया है तो ज़ी न्यूज़, न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी से माफ़ी माँगने को कहा है। आज तक से भी माफ़ी मांगने को कहा गया है। इनके ख़िलाफ़ दिशा-निर्देश के उल्लंघन की चार अलग-अलग शिकायतें थीं और इन्हें हर मामले में अपने चैनल पर माफ़ी माँगनी होगी।
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने समाचार चैनलों के ख़िलाफ़ होने वाली शिकायतों की जाँच करने के लिए एनबीएसए का गठन किया था। इसके मौजूदा अध्यक्ष रिटायर्ड जज जस्टिस ए. के. सीकरी हैं।
क्या है मामला
एनबीएसए ने पाया कि आज तक ने एक ट्वीट का इस्तेमाल यह कह कर किया कि वह सुशांत सिंह राजपूत का ट्वीट है, जबकि वह फ़ेक ट्वीट था। आज तक ने खुद जानकारी एकत्रित नहीं की थी और उसने इसकी पुष्टि कई अलग-अलग स्रोतों से नहीं की थी। इसे ट्वीट चलाने के पहले ही इसकी जाँच करनी चाहिए थी जो उसने नहीं की। यह एनबीएसए के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। हालांकि बाद में आज तक ने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया था और वह ख़बर हटा ली थी।दिशा निर्देशों का उल्लंघन
इसके अलावा इन समाचार चैनलों ने ऐसी हेडिंग, टैग लाइन और टॉप बैंड का इस्तेमाल किया था, जो दिशा निर्देशों के ख़िलाफ था। एनबीएसए को इस पर भी आपत्ति है। मसलन, आज तक की टैग लाइन थी, 'ऐसे कैसे हिट-विकेट हो गए सुशांत' तो ज़ी न्यूज़ ने हेडलाइन लगाई, 'पटना का सुशांत मुंबई में फ़ेल क्यों' न्यूज 24 की हेडलाइन थी, 'अरे, आप अपनी फ़िल्म ख़ुद क्यों नहीं देखते'बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत ने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक में मुख्य भूमिका निभाई थी। उन्होंने 'छिछोरे' फ़िल्म में काम किया था, जो मानसिक रोग के मुद्दे को उठाता है।
लाश का क्लोज़- अप
आत्महत्या और संदेहास्पद स्थिति में हुई मौत की ख़बरों में मृतक की देह नहीं दिखाई जाती है। लेकिन आज तक और इंडिया टीवी ने सुशांत सिंह राजपूत के शव को दिखाया था और वह भी क्लोज़ अप में। यह भी एनबीएसए के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। एनबीएसए ने एबीपी माझा और न्यूज़ नेशन को इस मामले में राहत दी है, क्योंकि इन चैनलों ने शव की तस्वीर को क्लोज़ अप में नहीं दिखाया था और उसके बाद ऑन एअर माफ़ी भी माँगी थी।
इन चैनलों ने दूसरे मामलों में भी एनबीएसए के दिशा- निर्देशों का उल्लंघन किया है। आज तक का रिपोर्टर सुशांत सिंह राजपूत के पिता के घर के अंदर घुस गया और उनसे बात की, जबकि वह दुखी थे। चैनल को लोगों की निजता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है।
एबीपी न्यूज़ के रिपोर्टर ने सुशांत सिंह के चचेरे भाई से इसी तरह बात की, पर उसने उसके पहले उनकी सहमति ले ली थी। उसे राहत दी गई है।
एनबीएसए की आलोचना
बता दें कि कुछ दिन पहले ही ख़ुद एनबीएसए आलोचना का शिकार हुआ था। सुदर्शन टीवी ने जब यूपीएसएसी जिहाद का कार्यक्रम तैयार किया था और उस पर काफी विवाद हुआ था तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनबीएसए की वकील से पूछा था, 'क्या लेटरहेड के आगे आपका कोई वजूद है'
कोर्ट ने एनबीएसए से पूछा था, 'क्या आप टीवी नहीं देखते हैं तो न्यूज़ पर जो चल रहा है उसे आप नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रहे हैं'
'एनबीएसए को और ताक़त मिले'
इसके पहले एनबीएसए की वकील ने कोर्ट से दरख़्वास्त की थी कि इस इकाई को ज़्यादा ताक़त दी जानी चाहिए ताकि ये सभी चैनलों के ख़िलाफ़ शिकायतों की सुनवाई कर सके और फ़ैसला सुना सके।बीबीसी के अनुसार, सुशांत सिंह कवरेज मामले पर पत्रकार और आरटीआई ऐक्टिविस्ट सौरव दास ने शिकायत दर्ज की थीँउन्होंने बीबीसी से कहा, “मुझे नहीं पता इस फ़ैसले से क्या बदलेगा, पर ये एक पहल है जो सवाल उठाने से ही हुई। इससे पहले श्रीदेवी की मृत्यु पर भी 'मौत का बाथटब' जैसी हेडलाइन चलाई गई थीं, जब मीडिया ऐसे हाई प्रोफाइल मामलों में असंवेदनशील कवरेज करता है, तो हमें चुप नहीं रहना चाहिए।”
याचिका में मांग की गई है कि ये चैनल और इनके सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म ग़ैरज़िम्मेदाराना, अपमानजनक और अवमानना वाली सामग्री प्रकाशित न करें और इस तरह की बातें न कहें। इसमें यह भी कहा गया है कि फ़िल्मी हस्तियों का मीडिया ट्रायल बंद हो और इस उद्योग के लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन न किया जाए।