छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, सीआरपीएफ के 3 जवान शहीद और14 घायल हुए
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के टेकलगुड़ेम में मंगलवार को नक्सली हमला हुआ है। इस हमले में 3 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने और 14 के घायल होने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने कहा है कि, हमले के बाद हुई जवाबी कार्रवाई में 6 नक्सली भी मारे गए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह हमला मंगलवार दोपहर 3 से 4 बजे के बीच हुआ है।
इस नक्सली हमले में घायल जवानों को रायपुर में भर्ती करवाया गया है, जहां मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप ने उनसे मुलाकात कर हालचाल जाना है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक ये जवान अब खतरे से बाहर हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह हमला तब हुआ जब सुरक्षाबल एक सर्च अभियान चला रहे थे। नक्सली हमले के बाद सुरक्षाबलों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। इसके बाद नक्सली जंगल में भाग गए।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमा पर माओवादियों के साथ मुठभेड़ में कोबरा बटालियन के दो जवानों सहित सीआरपीएफ के तीन जवान मारे गए।
यह घटना मुठभेड़ वाले टेकुलागुडेम गांव में एक नया सुरक्षा शिविर स्थापित होने के कुछ घंटों बाद हुई है। यह जगह राज्य की राजधानी रायपुर से 616 किलोमीटर दूर है। गणतंत्र दिवस पर सुकमा-बीजापुर के इस क्षेत्र में पहली बार तिरंगा फहराया गया था।
नया शिविर स्थापित करने के बाद, कोबरा, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की एक संयुक्त टीम जोनागुडा-अलीगुडा इलाके में नक्सल विरोधी अभियान चला रही थी, तभी माओवादियों ने घने जंगल होने का फायदा उठाते हुए जवानों पर गोलियां चला दीं।
इंडियन एक्सप्रेस की यह रिपोर्ट कहती है कि, घायल जवानों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर रायपुर ले जाया गया है। तीन मृतकों की पहचान कोबरा 201 के कांस्टेबल देवेन सी और पवन कुमार और सीआरपीएफ बटालियन 150 के कांस्टेबल लाम्बधर सिन्हा के रूप में की गई। कोबरा बटालियन सीआरपीएफ का एक विशेष बल है। इसे खासतौर से गुरिल्ला युद्ध में नक्सलियों और दूसरे विद्रोहियों से निपटने के लिए बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ में नई भाजपा सरकार बनने के बाद यह पहला बड़ा नक्सली हमला है। इस महीने की शुरुआत में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद से मुकाबला करने के लिए रायपुर में हुई एक समीक्षा बैठक में संबंधित अधिकारियों से कहा था कि माओवादी खतरा अगले तीन वर्षों में समाप्त होना चाहिए।