समाज में फैले जातिवाद व भेदभाव को आईना दिखाती है फ़िल्म ‘सीरियस मैन’
फ़िल्म- सीरियस मैन
डायरेक्टर- सुधीर मिश्रा
स्टार कास्ट- नवाजुद्दीन सिद्दीकी, नासर, इंदिरा तिवारी, अक्षत दास, श्वेता बसु प्रसाद, संजय नार्वेकर
स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म- नेटफ्लिक्स
रेटिंग- 4/5
गाँधी जयंती के दिन फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। जैसा फ़िल्म का नाम है वैसे ही सीरियस मुद्दे पर फ़िल्म आधारित है। फ़िल्म में वर्ग, रंगभेद और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव को दर्शाया गया है। मनु जोसेफ की साल 2010 में आई किताब ‘सीरियस मैन’ पर आधारित इस फ़िल्म का निर्देशन सुधीर मिश्रा ने किया है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का 20 साल से सपना था कि वो सुधीर मिश्रा के साथ काम करें और अभिनेता का वो सपना अब साकार हो चुका है। फ़िल्म में लीड रोल में नजावुद्दीन सिद्दीकी, नसार, इंदिरा तिवारी और अक्षत दास हैं। तो आइये जानते हैं इसकी क्या है कहानी-
फ़िल्म में क्या है ख़ास
अय्यन मणि (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) रिसर्च संस्थान के प्रमुख डॉ. आचार्य (नासर) का पीए हैं। अय्यन तमिल दलित हैं और अपनी पत्नी के साथ मुंबई के एक स्लम एरिया में रहते हैं। जाति और काले रंग के कारण अय्यन को बचपन से लेकर नौकरी मिलने तक कई बार भेदभाव झेलना पड़ा था और वह ऐसी ज़िंदगी अपने बच्चे आदी (अक्षत दास) को नहीं देना चाहता। अय्यन ठान लेता है कि जैसी ज़िंदगी उसने जी है वैसी ज़िंदगी वो अपने बच्चे को नहीं जीने देगा। अय्यन का बेटा आदी जीनियस है और इसके बाद अय्यन एक ऐसा प्लान बनाता है जिससे उसके बेटे को लाइम लाइट तो मिल जाती है लेकिन आदी एक मोहरा बनकर रह जाता है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए क्या अय्यन अपने बेटे के बचपन के साथ समझौता कर लेगा क्या अय्यन का सच सब के सामने आ जायेगा या वाक़ई उसकी ज़िंदगी बदल जायेगी आदी के साथ अय्यन क्या ग़लत कर रहा है, क्या उसे अहसास होगा यह सब कुछ फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ को देखने के बाद आपको पता चलेगा। 2 घंटे की यह फ़िल्म आपको नेटफ्लिक्स पर मिल जाएगी।
निर्देशन
सुधीर मिश्रा एक ऐसे निर्देशक हैं जो बेहद ही हल्के अंदाज़ में गंभीर मुद्दों को पर्दे पर दिखाना बखूबी जानते हैं। इसी में से एक फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ की कहानी है, जिसमें कॉमेडी के साथ ही कई बड़ी बातों को कहा गया है। इसके साथ ही समाज में फैले जातिवाद और रंगभेद के साथ ही शिक्षा प्रणाली और राजनीति पर भी तंज कसा गया है। फ़िल्म की कहानी एक पिता की है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपने बच्चे के बचपन के साथ खिलवाड़ कर रहा है लेकिन इसके लिए सिर्फ़ वो पिता ही नहीं बल्कि पूरा समाज ज़िम्मेदार है, जिसे निर्देशक सुधीर मिश्रा ने बेहतरीन तरीक़े से दर्शाया है। इसके अलावा फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफ़ी अच्छा है।
एक्टिंग
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने तमिल दलित की भूमिका फ़िल्म में निभाई है और उन्होंने इस किरदार को एकदम रियलिस्टिक अंदाज़ में निभाया है। नवाज ने अय्यन के किरदार को दमदार तरीक़े से पर्दे पर पेश किया है। इसके अलावा अक्षत दास ने आदी का रोल निभाया। अक्षत दास की जितनी तारीफ़ की जाए कम है क्योंकि उन्होंने बेहद कम उम्र में शानदार अभिनय किया है। एम. नासर को हमने पहले भी कई दमदार किरदार निभाते हुए देखा है और फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ में भी उन्होंने काफ़ी अच्छी एक्टिंग की है। इंदिरा तिवारी ने भी अपने किरदार को बख़ूबी निभाया। इसके अलावा श्वेता बसु प्रसाद और संजय नार्वेकर ने भी बेहतरीन अभिनय किया है।
फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ में एक ऐसे मुद्दे को दिखाया गया है जिससे सभी लोग आसानी से कनेक्ट कर पायेंगे। जाति, रंग के कारण पिछड़े वर्ग के लोगों को आज भी कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यह फ़िल्म में दिखाया गया है। इसके साथ ही जब यह पता चलता है कि बच्चा जीनियस है तो हर स्कूल दाखिला देने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन उसके पहले सिर्फ़ मेरिट लिस्ट पर ही दाखिला दिया जा रहा था। इसके साथ ही निर्देशक ने शिक्षा प्रणाली पर भी कटाक्ष किया है। नवाजुद्दीन की एक लाइन है, ‘सिर्फ़ एक घूँट पानी पिया था मेरे पिता जी ने उनकी कमर पर रॉड मार दी थी, इसके बाद पूरी ज़िंदगी वो झुककर चलते रहे।’ इस बात को वो बेहद हल्के अंदाज में कहते हैं लेकिन यह समाज की कड़वी सच्चाई है, जो पिछड़े वर्ग को झेलनी पड़ी है। सुधीर मिश्रा ने साइंस के ब्लैक होल के माध्यम से फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ में समाज के कई गंभीर मुद्दों को दर्शाया है। फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ की कहानी अच्छी है लेकिन कुछ सीन्स थोड़े लंबे और संवाद दोहराये गये हैं जो कि फ़िल्म का एक निगेटिव प्वॉइंट है। ओवरऑल बात करें तो फ़िल्म ‘सीरियस मैन’ के प्लॉट के साथ ही सभी की परफॉर्मेंस काफ़ी अच्छी है, जिसे एक बार ज़रूर देखना चाहिये।