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नेवी अग्निवीर युवती मुंबई में मृत पाई गई, अभी ट्रेनिंग पर थी

नेवी अग्निवीर युवती मुंबई में मृत पाई गई, अभी ट्रेनिंग पर थी

अग्निवीर ट्रेनिंग के लिए आई यह युवती केरल की थी। एक पखवाड़े पहले मुंबई आई थी और कम से कम 20 अन्य युवतियों के साथ नेवी हॉस्टल में रह रही थी। हाल ही में कई अग्निवीरों की खुदकुशी की खबरें आई थीं, लेकिन उनमें आपस में कोई समानता नहीं है।

मुंबई पुलिस ने कहा कि नौसेना अग्निवीर के रूप में प्रशिक्षण ले रही 20 वर्षीय युवती मंगलवार को मुंबई के मलाड पश्चिम में आईएनएस हमला (INS Hamla) में अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई। पुलिस ने फिलहाल खुदकुशी बताया है लेकिन गंभीरता से जांच कर रह है। हाल ही में अलग-अलग स्थानों पर अग्निवीरों की खुदकुशी की खबरें आई थीं लेकिन इनमें आपस में कोई समानता नहीं है।

पुलिस के मुताबिक ट्रेनी अग्निवीर को चादर से बंधा हुआ लटका पाया गया। उन्होंने बताया कि उसके कमरे में पहुंचे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

स्थानीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि युवती केरल की थी, जो एक पखवाड़े पहले मुंबई आई थी और कम से कम 20 अन्य युवतियों के साथ नेवी हॉस्टल में रह रही थी। लड़की के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस उसकी मौत के सही कारण का पता लगाने के लिए उसके सहकर्मियों और रिश्तेदारों के बयान दर्ज कर रही है। पुलिस ने कहा कि मौत का “कारण व्यक्तिगत प्रतीत होता है। लेकिन हम सभी संभावित कोणों से जांच कर रहे हैं।''

सेना के तीनों अंगों में अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों की भर्ती हाल ही में शुरू हुई थी। यह भर्ती सेना की दशकों पुरानी भर्ती प्रणाली से अलग है। पिछले वर्ष सरकार ने इस नई योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत चार वर्षों के लिए सैनिकों की भर्ती होती है, जिसमें आगे की स्क्रीनिंग के बाद उनमें से 25% को अगले 15 वर्षों के लिए नियमित सेवा में बनाए रखने का प्रावधान है। हालांकि अग्निवीर भर्ती योजना का शुरुआत में कई राज्यों में विरोध भी हुआ। इसे एक तरह से ठेके पर भर्ती माना गया। कई राज्यों ने युवकों ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया था।

विवाद में एक खुदकुशी

अक्टूबर 2023 में अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। इस पर काफी विवाद हुआ था। यह विवाद उसे सैन्य सम्मान देने को लेकर था। इस मामले में सेना को स्पष्टीकरण देना पड़ा था। सेना ने उस समय कहा था कि अमृतपाल राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी पर था। उसी दौरान उसने अपनी जान दे दी। सेना ने इस बात पर जोर दिया कि स्थापित नियमों के अनुसार उनके अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया, क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों पर आम तौर पर ऐसे सम्मान नहीं मिलते हैं। लेकिन पंजाब सरकार ने उसका सम्मान कर और आर्थिक मदद कर इस मामले को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अमृतपाल की खुदकुशी के दौरान एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि 2001 के बाद से आत्महत्या या खुद को लगी चोटों के कारण सालाना औसतन 100-140 सैनिक मर जाते हैं। ऐसे मामलों में उन्हें सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता। हालांकि सेना अंतिम संस्कार प्रोटोकॉल के तहत वित्तीय सहायता और राहत देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बार-बार दोहराती है। हालांकि उसने यह भी स्वीकार किया कि ऐसे नुकसान परिवार और सशस्त्र बलों पर भारी बोझ पड़ता है।

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