नवरीत की मौत पर विवाद जारी, अब द गार्जियन अख़बार का दावा!
किसान प्रदर्शन के दौरान नवरीत सिंह की मौत के मामले में पुलिस जितनी सफ़ाई दे रही है उससे ज़्यादा सवाल खड़े होते जा रहे हैं। पुलिस ने दावा किया कि 26 जनवरी को किसानों के प्रदर्शन के दौरान नवरीत सिंह की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई थी। इस मामले में 6 वरिष्ठ पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गयी है। राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया। आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर गोली लगने से नवरीत की मौत होने की रिपोर्टिंग की और सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली, वह भी तब जब अधिकारियों ने पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने से इनकार किया।
लेकिन नवरीत को गोली नहीं लगने के पुलिस के इन दावों पर इन मामलों के जानकार से लेकर नवरीत के परिवार वाले सवाल उठा रहे हैं। घटना स्थल के वीडियो में भी लोगों के बयान से सवाल उठते हैं।
बता दें कि पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में एफ़आईआर दर्ज की गई है। इसमें किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते रहे सांसद शशि थरूर, न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डेय, कौमी आवाज़ उर्दू के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवाँ के मुख्य संपादक परेशनाथ, कारवाँ के संपादक अनंतनाथ, कारवाँ के कार्यकारी संपादक विनोद के जोस और एक अज्ञात के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है।
लेकिन पुलिस के दावे के उलट लंदन के मशहूर अख़बार ‘द गार्जियन’ ने साक्ष्यों की समीक्षा एक बड़े डॉक्टर से करवायी और एक रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि नवरीत के शरीर की फ़ोटोग्राफ़िक व वीडियो फुटेज और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में संकेत मिलता है कि सिर में कम से कम एक गोली का घाव घातक था।
रिपोर्ट के अनुसार, नवरीत के परिवार ने भी आरोप लगाया है कि उसकी मौत गोली लगने से हुई। यह गोली तब लगी जब वह अपने ट्रैक्टर को बैरिकेड्स से निकालने की कोशिश कर रहा था। परिवार का कहना है कि गोली लगने के बाद ही उसका ट्रैक्टर पलट गया।
अंग्रेज़ी अख़बार ‘गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार इंग्लैंड में सरकारी डॉक्टर डॉ. बेसिल पर्ड्यू ने वीडियो फुटेज और पोस्टमॉर्टम की जाँच कर कहा, 'मैं कहूँगा कि यह एक बंदूक की गोली का घाव है, संभवतः दो, जब तक अन्यथा साबित न हो।' उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अविश्वसीनय है कि नवरीत ट्रैक्टर पलटने से मरे। उन्होंने कहा, 'गिरने से आपको ऐसे घाव नहीं हो सकते।'
वीडियो में देखिए, सरकार के निशाने पर बड़े संपादक?
घटनास्थल के वीडियो में दावा
घटनास्थल पर किसानों ने सबसे पहले आरोप लगाया था कि नवरीत को एक गोली लगी थी। ‘गार्जियन’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक स्थानीय पंजाबी टीवी स्टेशन के वीडियो में हंगामा होता दिख रहा है। उसमें लोग वह कह रहे हैं जो उन्होंने देखा। एक महिला ने कहा, 'उन पुलिसकर्मियों ने उसे गोली मार दी, चेहरे पर गोली मार दी, वह तुरंत मर गया'। एक शख्स ने कहा, 'पहले उसे गोली मार दी गई, फिर ट्रैक्टर पलट गया।' एक युवा सिख मृतक की पहचान करता है: 'नवरीत इस लड़के का नाम है। उसे सिर में गोली मारी गई है।'
जैसे ही गोली मारे जाने के आरोप लगने शुरू हुए पुलिस ने घटनास्थल का एक वीडियो फुटेज जारी किया जिसमें ट्रैक्टर पलटते हुए दिखता है। पुलिस ने दावा किया कि बैरिकेड्स को पार करने के प्रयास में ट्रैक्टर पलट गया और इस हादसे में ही नवरीत की मौत हो गई। पुलिस ने गोली लगने के दावे को खारिज कर दिया। पुलिस ने मीडिया को कहा कि पोस्टमार्टम में गोली लगने का ज़िक्र नहीं है और उसमें मौत का कारण सिर में चोट लगने को बताया गया है।
While the farm protestors claim that the deceased Navneet Singh was shot at by Delhi police while on a tractor, this video clearly shows that the tractor overturned while trying to break the police barricades. The farm protestors allegations don’t stand. Post mortem awaited.👇 pic.twitter.com/JnuU05psgR
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 26, 2021
जबकि घटना के तुरत बाद कई मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट दी थी कि कथित तौर पर ट्रैक्टर पर गोली चली और इसके बाद ट्रैक्टर पलटा था।
रिपोर्ट के अनुसार, नवरीत सिंह के दादा हरदीप सिंह ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के रामपुर में किए गए पोस्टमॉर्टम में गोली की बात को छुपा दिया गया। उन्होंने कहा, 'अस्पताल में एक डॉक्टर ने मुझे बताया कि मेरे पोते को बंदूक़ की गोली से मारा गया था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे लिख नहीं सकते कि गोली से उनकी मौत हुई।'
परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल ने उन्हें एक्स-रे तक नहीं देखने दिया जो पोस्टमॉर्टम के दौरान नवरीत के शरीर से लिए गए थे। ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि रामपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव यादव का कहना है कि वह परिवार के आरोपों पर बात नहीं करेंगे। दिल्ली पुलिस ने भी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
एफ़आईआर दर्ज करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने शनिवार को एक बयान में कहा था, ‘…उन्होंने (आरोपियों ने) प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भड़काने के लिए दुर्घटना में ट्रैक्टर चालक की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के बारे में फर्जी, भ्रामक और ग़लत जानकारी पोस्ट की। उन्होंने सभी को यह बताने की कोशिश की कि किसान की मौत केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत दिल्ली पुलिस की गोली से हुई।’
इस मामले में सबसे पहले उत्तर प्रदेश के नोएडा में एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी। एफ़आईआर में कहा गया कि 'इन लोगों ने जानबूझकर इस दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक, गुमराह करने वाले और उकसावे वाली ख़बर प्रसारित की।' उनपर आरोप लगाया गया है कि 'उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि आंदोलनकारी एक ट्रैक्टर चालक की पुलिस द्वारा हत्या कर दी गई।'
इन सभी पर आरोप लगाया गया है कि इन सभी आरोपियों ने आपसी सहयोग से सुनियोजित साज़िश के तहत ग़लत जानकारी प्रसारित की कि पुलिस ने एक आंदोलनकारी को गोली मार दी। यह इसलिए किया गया ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हों और समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो।
इसी को लेकर यूपी के बाद मध्य प्रदेश में कम से कम चार केस- भोपाल, होशंगाबाद, मुल्तई और बेतुल में दर्ज किए गए हैं।
राजदीप को ऑफ़ एयर किया
इस एफ़आईआर में जिस ट्वीट का हवाला दिया गया है उसी ट्वीट को लेकर ‘इंडिया टुडे’ ने अपने कंसल्टिंग एडिटर और वरिष्ठ एंकर राजदीप सरदेसाई को दो हफ़्तों के लिए 'ऑफ एअर' कर दिया है। 'ऑफ एअर' करने का मतलब है कि उन्हें इस समय के लिए एंकरिंग से हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, उनका एक महीने का वेतन भी काट लिया गया।
ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन पर भी केस दर्ज किया गया है। इस पर वरदराजन ने कहा है, 'मेरे ख़िलाफ़ यह मामला हास्यास्पद है। लेकिन सरकार वास्तव में यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मृत व्यक्ति का परिवार उसके दावों और सवालों को न दोहराए और चुप हो जाए।'
एडिटर्स गिल्ड ने निंदा की
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की ज़ोरदार शब्दों में निंदा की है। उसने इसे मीडिया को डराने-धमकाने और परेशान करने का तरीका क़रार दिया है। गिल्ड ने कहा है कि राजद्रोह, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने से जुड़ी 10 धाराएं लगाना अधिक चिंता की बात है।
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि एफ़आईआर में यह बिल्कुल ग़लत कहा गया है कि ट्वीट ग़लत मंशा से किए गए थे और उसकी वजह से ही लाल किले को अपवित्र किया गया।
संपादकों की इस शीर्ष संस्था का कहना है कि पत्रकारों को निशाने पर लेना उन मूल्यों को कुचलना है जिनकी बुनियाद पर हमारा गणतंत्र टिका हुआ है। इसका मक़सद मीडिया को चोट पहुँचाना और भारतीय लोकतंत्र के निष्पक्ष प्रहरी के रूप में काम करने से उसे रोकना है।