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सिद्धू के पुराने बयान वायरल, राहुल-मनमोहन पर बोला था हमला

सिद्धू के पुराने बयान वायरल, राहुल-मनमोहन पर बोला था हमला

आज भले ही नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस हाईकमान की आंख का तारा बने हों लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था, जब वे बीजेपी में थे और तब वे कांग्रेस नेताओं पर जमकर हमला बोलते थे। 

आज भले ही नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस हाईकमान की आंख का तारा बने हों लेकिन एक वक़्त ऐसा भी था, जब वे बीजेपी में थे और तब वे कांग्रेस नेताओं पर जमकर हमला बोलते थे। सिद्धू को पंजाब में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जैसी अहम पोस्ट दिए जाने के बाद उनके पुराने बयानों को डिजिटल मीडिया के तहखाने से खंगाल कर फिर से वायरल किया जा रहा है। 

सिद्धू जब बीजेपी में तो वह मनमोहन सिंह पर खासे हमले बोलते थे लेकिन कांग्रेस में आने के बाद वे पलट गए और उन्होंने तेज़ी से ख़ुद को बदलते हुए मनमोहन सिंह को सरदार और असरदार भी बताया। इसी तरह पहले सोनिया गांधी पर हमला बोलने वाले सिद्धू ने कांग्रेस में आने के बाद कई बार सोनिया गांधी की जमकर तारीफ़ की। 

कुछ साल पहले एक चुनावी जनसभा में बीजेपी में रहते हुए सिद्धू ने जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा और फिर सोनिया-मनमोहन तक को निशाने पर लिया था और कहा था कि कांग्रेस तो मुन्नी से भी ज़्यादा बदनाम है। 

अपने अनूठे अंदाज में ठोको ताली कहने वाले सिद्धू ने कई मौक़ों पर कांग्रेस को घेरने का मौक़ा नहीं छोड़ा। इसी तरह 2008 में मध्य प्रदेश में एक चुनावी सभा में उन्होंने राहुल गांधी को विकास के मुद्दे पर बहस की चुनौती दी थी तो कांग्रेस में आने के बाद 2019 में मध्य प्रदेश में ही एक चुनावी जनसभा में नरेंद्र मोदी को बहस की चुनौती दे दी थी। 

बीजेपी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से मुलाक़ात करने और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख क़मर जावेद बाजवा से गले मिलने को लेकर खासे विवादित रहे हैं। 

अक्टूबर, 2010 में एक चुनावी सभा में सिद्धू ने कहा था कि राहुल गांधी स्कूल में जाकर पढ़ें और राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह में फर्क करना सीखें। जबकि कांग्रेस में आकर वह राहुल गांधी की शान में कसीदे पढ़ने लगे। 

सिद्धू के ऐसे ही कई बयान हैं। सिद्धू के इन बयानों को सुनकर यही कहा जा सकता है कि वाह गुरू, क्या पलटी मारते हो आप। वैसे, फर्क़ सिर्फ़ इतना है कि पहले सिद्धू के भाषणों पर बीजेपी के कार्यकर्ता ताली बजाते थे और अब कांग्रेस के।

कमोबेश यही हाल 

वैसे, यह सिद्धू के लिए ही नहीं बल्कि बाक़ी दल-बदलू नेताओं के लिए भी कहा जा सकता है, जो पार्टी बदलने के साथ ही सुर भी बदल लेते हैं। लेकिन उनके और सिद्धू के बात करने का अंदाज अलग होता है। सिद्धू के बयान लोगों को याद रहे हैं जबकि बाक़ियों को लोग अक़सर यह कहकर भूल जाते हैं कि नेताओं का चरित्र ही ऐसा होता है। 

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