सिद्धू ने दी धमकी, बोले- रेत सस्ती कर दो वरना इस्तीफ़ा दे दूंगा
कई मौक़ों पर कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर चुके पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर राज्य की चन्नी सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू को मनाने की लाख कोशिशें कर ली हैं लेकिन ऐसा नहीं लगता कि क्रिकेटर से राजनेता बना यह शख़्स मानने को तैयार है।
सिद्धू सोमवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ लुधियाना में आयोजित कांग्रेस के एक कार्यक्रम में थे। यहां उन्होंने रेत की क़ीमतों का मुद्दा उठाया और कहा कि रेत को फ्री करने की बात ज़रूर हुई है लेकिन रेत आज भी 3400 रुपये प्रति ट्राली की दर से मिल रही है।
चन्नी ने दिया जवाब
सिद्धू ने कहा कि वह इस्तीफ़ा दे देंगे लेकिन 1000 रुपये से ऊपर रेत की ट्राली नहीं बिकने देंगे। इसके बाद बारी आई चन्नी की और उन्होंने कहा कि पहले जो रेत 22 रुपये प्रति स्क्वायर फ़ीट बिक रही थी और मुझसे कहा जाता था कि तुम इसे सस्ता नहीं कर सकते क्योंकि इसमें बड़े लोग शामिल हैं, लेकिन मैंने रेत का रेट साढ़े पांच रुपये प्रति स्क्वायर फ़ीट कर दिया।
मुख्यमंत्री ने सिद्धू को जवाब देते हुए कहा कि रेत साढ़े चार गुना सस्ता कर दी है क्योंकि उनकी सोच साफ है और नीयत नेक है।
अमरिंदर बनेंगे मुसीबत?
सिद्धू की बयानबाज़ी के अलावा कांग्रेस हाईकमान की चिंता इस बात को लेकर है कि क्या कांग्रेस के कुछ विधायक, मंत्री अमरिंदर सिंह के साथ जा सकते हैं। राज्य में साढ़े तीन महीने के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं और बीते एक साल से कांग्रेस में घमासान चल रहा है। इससे पंजाब की अवाम के बीच भी संदेश ठीक नहीं गया है और सिद्धू ने भी हाईकमान को हलकान किया हुआ है।
पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की बड़ी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कंधों पर है। चन्नी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी छवि जमीन से जुड़े आदमी की बनाई है। उन्होंने बीते दिनों में कई बड़े एलान कर चुनाव में लीड लेने की कोशिश की है लेकिन मुश्किल यह है कि उन्हें अपने घर के अंदर से ही यानी सिद्धू से लगातार चुनौती मिल रही है।
चन्नी ने कुछ दिन पहले कहा था कि सिद्धू को पूरा हक़ है कि वे किसी भी मुद्दे को उठाएं क्योंकि वे पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि सिद्धू के साथ उनका कोई टकराव नहीं है।
सिद्धू को मनाने के लिए ही एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को राज्य सरकार ने हटा दिया लेकिन सिद्धू के तेवर कम होते नहीं दिख रहे हैं। सिद्धू के मन में इस बात की टीस है कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और वे आए दिन चन्नी सरकार के फ़ैसलों पर सवाल उठाते रहते हैं।
कृषि क़ानून ख़त्म होने के बाद पंजाब की सियासत में राजनीतिक माहौल बदला है और ऐसे में निश्चित रूप से सिद्धू को पार्टी को चुनाव जिताने के काम में जुटना चाहिए लेकिन वे हर दिन मुख्यमंत्री चन्नी से भिड़ते नज़र आते हैं।