+
नवीन पटनायक को क्यों कहना पड़ा कि 'वीके पांडियन मेरे उत्तराधिकारी नहीं'?

नवीन पटनायक को क्यों कहना पड़ा कि 'वीके पांडियन मेरे उत्तराधिकारी नहीं'?

नवीन पटनायक की बीजेडी का उत्तराधिकारी कौन होगा? ओडिशा के पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन को लेकर नवीन पटनायक को सफाई क्यों देनी पड़ी?

लोकसभा चुनाव और ओडिशा के विधानसभा चुनाव के बीच ही नवीन पटनायक को यह सफाई देनी पड़ी है कि उनके उत्तराधिकारी वीके पांडियन नहीं होंगे। पांडियन पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने चुनाव की घोषणा से ऐन पहले प्रशासनिक सेवा छोड़ दी थी। बाद में वह बीजेडी में शामिल हो गए थे। वह सीएम नवीन पटनायक के निजी सचिव थे और उनके काफी करीबी माने जाते हैं। समझा जाता है कि पांडियन ही चुनावी रणनीतियों को देख रहे हैं। बीजेपी तो पांडियन पर पार्टी को हाईजैक करने का आरोप लगा रही है।

भारतीय जनता पार्टी द्वारा ओड़िया अस्मिता को एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाकर तमिलनाडु में जन्मे पूर्व नौकरशाह वी. के. पांडियन पर निशाना साध रही है। बीजेपी ने इस चुनाव में पांडियन के तमिलनाडु के होने का बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है। 

इसी बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का पांडियन को लेकर बयान आया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उनका करीबी विश्वासपात्र उनका उत्तराधिकारी नहीं होगा।

जब पटनायक से पूछा गया कि क्या वह अपने करीबी सहयोगी को अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं, तो उन्होंने एक न्यूज़ एजेंसी ने कहा, 'मैं इन बढ़ाचढ़ा कर पेश की गई बातों को समझ नहीं सकता। आपने देखा होगा कि वह इस चुनाव में खड़े नहीं हो रहे हैं। वह मेरे उत्तराधिकारी नहीं हैं। मैं इन सभी को अतिशयोक्ति और झूठ मानता हूँ।'

जब उनसे पूछा गया कि पांडियन द्वारपाल की तरह काम कर रहे हैं और उनकी ओर से सभी निर्णय ले रहे हैं, तो पटनायक ने साफ़ किया कि 'यह हास्यास्पद है। मैंने पहले भी कई बार कहा है कि यह एक पुराना आरोप है। इसका कोई महत्व नहीं है'। मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा, 'मैंने कहा है कि उत्तराधिकार का फ़ैसला राज्य की जनता करेगी। यह इन चीजों का स्वाभाविक परिणाम है।'

वैसे, पांडियन के नाम का कयास तब से ही लगाया जाने लगा था जब ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी वीके पांडियन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को मंजूरी मिली और नवीन पटनायक ने उन्हें कैबिनेट रैंक के साथ 5T और नबीन ओडिशा के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।

इससे कुछ हफ़्ते पहले से ही पांडियन सीधे तौर पर पारंपरिक मंत्री स्तर के दौरे करते रहे थे-सायरन बजना, काफिलों की दौड़, और वरिष्ठ अधिकारी वीआईपी की अगवानी का इंतज़ार, सरकारी हेलीकॉप्टर से राज्य के जिलों का दौरा। पूरी तरह एक मंत्री जैसा रुतबा। स्थिति ऐसी कि उनसे ज़्यादा हलचल पैदा करने वाला कोई और वीआईपी मंत्री भी नहीं। 

मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले पांडियन ने मुख्यमंत्री के गृह जिले मयूरभंज और गंजम के कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बेहतरीन काम की अपनी छाप छोड़ी। माना जाता है कि गंजम में उनके काम ने मुख्यमंत्री का ध्यान पांडियन की ओर खींचा था और मई 2011 में वह पटनायक के कार्यालय में उनके निजी सचिव के रूप में पहुँच गये थे। पांडियन तब से इस पद पर बने हुए थे और अपने सहकर्मियों के विपरीत एक बार भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं गए हैं।

हाल के वर्षों में कई सरकारी योजनाओं और पहलों के पीछे पांडियन का विचार माना जाता है। '5T पहल', जिसकी छाप लगभग हर सरकारी विभाग में है, उन्हीं का विचार माना जाता है। इसे पटनायक के पांचवें कार्यकाल में प्रशासनिक तंत्र को नया रूप देने के लिए लॉन्च किया गया था।

बहरहाल, बीजेपी के हमलों पर पटनायक ने कहा, 'वे (भाजपा) अधिक से अधिक हताश हो रहे हैं, खासकर जब देश में उनकी लोकप्रियता कम हो रही है।' पटनायक ने चुनाव के बाद भाजपा के साथ सुलह की संभावना से इनकार नहीं किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या चुनाव प्रचार में भाजपा और बीजेडी के बीच कटुता ने चुनाव के बाद एनडीए को समर्थन देने के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं, तो उन्होंने कहा, 'मैंने सार्वजनिक जीवन में कभी किसी के प्रति कटुता नहीं दिखाई। जब समर्थन की आवश्यकता होगी, तो हम अपनी उचित स्थिति का आकलन करेंगे।'

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें