+
यूक्रेन में रूसी हमले के जवाब में सेना भेजने का इरादा नहीं: नाटो

यूक्रेन में रूसी हमले के जवाब में सेना भेजने का इरादा नहीं: नाटो

यूक्रेन में रूस के हमले और सैनिक कार्रवाई के जवाब में क्या अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के संगठन नाटो सैनिक भेजने जैसी कार्रवाई करेगा?

यूक्रेन में रूस के सैनिक अभियान के बाद नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने गुरुवार को कहा कि गठबंधन का यूक्रेन में सेना भेजने का कोई इरादा नहीं है। यूक्रेन में रूस के हमले के बाद नाटो द्वारा सख़्त क़दम उठाए जाने के कयास लगाए जा रहे थे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा विशेष सैन्य अभियान की घोषणा किए जाने के बाद रूसी सेना यूक्रेन की सीमा में दाखिल हुई और उसके कई शहरों में मिसाइलें दागीं।

इसको लेकर नाटो के राजदूतों की एक आपातकालीन बैठक भी हुई। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मीडिया से नाटो प्रमुख स्टोलटेनबर्ग ने कहा, 'हमारे पास यूक्रेन में नाटो सैनिक नहीं हैं, और यूक्रेन में नाटो सैनिकों को भेजने की हमारी कोई योजना भी नहीं है।'

नाटो से जुड़े देशों ने रूस की इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उसके ख़िलाफ़ कुछ नए प्रतिबंध लगाए हैं। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका रूस के दो बड़े वित्तीय इदारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने जा रहा है। इनके नाम वीईबी और मिलिट्री बैंक हैं। 

बाइडेन ने यह भी कहा कि हमने रूसी सरकार को पश्चिमी देशों से मिलने वाली वित्तीय मदद को भी रोक दिया है। रूस अब अमेरिका या यूरोप के बाजारों में भी व्यापार नहीं कर सकेगा।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी रूस पर ऐसे ही कुछ आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की है। ब्रिटेन ने तो दो दिन पहले से ही प्रतिबंधों की घोषणा शुरू कर दी है। ब्रिटेन ने मंगलवार को पांच रूसी बैंकों और तीन अरबपतियों पर प्रतिबंध लगा दिए। 

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को कहा कि पश्चिमी सहयोगी देश मास्को के ख़िलाफ़ 'प्रतिबंधों का एक बड़ा पैकेज' तैयार कर रहे हैं। जॉनसन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को एक घृणित और बर्बर कार्रवाई करार दिया और व्लादिमीर पुतिन को 'तानाशाह' कहा।

ऐसे कहा जा रहा है कि पश्चिमी देश और भी कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं। इनमें से एक है स्विफ़्ट सिस्टम से अलग करना। स्विफ़्ट एक ग्लोबल मैसेजिंग सर्विस है और 200 देशों में हज़ारों वित्तीय संस्थाएं इसका इस्तेमाल करती हैं। इससे रूस के बैंकों के लिए विदेश में कारोबार करना काफ़ी मुश्किल हो जाएगा। अमेरिका रूस को डॉलर में कारोबार करने से भी रोक सकता है। इसका एक मतलब यह भी होगा कि पश्चिमी देशों की जो कंपनी रूस की संस्थाओं से डॉलर में क़ारोबार करेगी उसे जुर्माना देना पड़ेगा। इससे रूस दुनिया के साथ उस तरह लेनदेन नहीं कर पाएगा। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से रूस को कर्ज देने पर रोक, रूसी बैंकों पर प्रतिबंध, रूस से निर्यात पर नियंत्रण भी कुछ ऐसे ही उपाय हैं। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें