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फ़्रांस के 'केजरीवाल' लोगों के निशाने पर, जला फ़्रांस

फ़्रांस के 'केजरीवाल' लोगों के निशाने पर, जला फ़्रांस

फ़्रांस में ईंधन की बढ़ती क़ीमतों को ले कर चल रहा आंदोलन हिंसक हो गया है। हिंसा को रोकने के लिए सरकार इमरजेंसी लगा सकती है। मैक्रों अब प्रदर्शनकारियों से मुलाक़ात करेंगे।

फ़्रांस में ईंधन की ऊँची क़ीमतों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर झड़पें हुईं हैं। पैरिस समेत कई शहरों में लगातार हिंसा हो रही है। हालात को देखते हुए राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने प्रदर्शनकारियों से मुलाक़ात करने का फ़ैसला किया है। फ़्रांस सरकार के प्रवक्ता बेंजमिन ग्रिवो ने मीडिया से कहा है कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए और हिंसा को रोकने के लिए सरकार इमरजेंसी लगा सकती है। प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन को ‘येलो वेस्ट’ का नाम दिया है। शनिवार को लोगों ने सेंट्रल पैरिस में कई वाहनों और बिल्डिंगों को आग के हवाले कर दिया। ईंधन की बढ़ी कीमतों के चलते महँगाई आसमान पर पहुँच गई है। हिंसा में अब तक 412 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। बीते 12 महीनों में फ़्रांस में डीज़ल की क़ीमतों में काफ़ी उछाल आया है। फ़्रांस में साल 2000 के बाद से यह डीजल की सबसे ज़्यादा क़ीमत है। प्रति लीटर डीजल में 7.6 सेंट और प्रति लीटर पेट्रोल में 3.9 सेंट की बढ़ोतरी हुई है। इस वज़ह से लोग ख़ासे नाराज़ हैं।पिछले शनिवार को क़रीब 36 हज़ार लोगों ने सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। उससे पिछले हफ़्ते हुए प्रदर्शन में 53 हज़ार लोगों ने और उसके एक सप्ताह पहले हुए प्रदर्शन में लगभग 1 लाख से ज़्यादा लोग आंदोलन में शामिल हुए थे। भारत में भी हाल ही में ईंधन की ऊँची क़ीमतों को लेकर लोगों ने अपनी आवाज़ उठाई थी लेकिन ऐसा हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। 

मैक्रों की लोकप्रियता गिरी

राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की लोकप्रियता में 25 फ़ीसदी की गिरावट आई है। फ़्रांस में एक शोध समूह की ओर से नवंबर में ही यह सर्वे प्रकाशित किया गया है। देशभर में ईंधन की ऊँची क़ीमतों के ख़िलाफ़ ‘येलो वेस्ट’ प्रदर्शन के बाद एक पत्रिका में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। सर्वे के मुताबिक, केवल 4% लोग मैक्रों के प्रदर्शन से बहुत संतुष्ट हैं जबकि 34% लोग असंतुष्ट और 39% ज़्यादा असंतुष्ट हैं। अक्टूबर में कराए गए सर्वे से भी मैक्रों की लोकप्रियता 4% और गिरी है। सर्वे से पता चलता है कि लोग मैक्रों की नीतियों से नाराज़ हैं।

मैक्रों ने किए थे बड़े वादे

मैक्रों ने चुनाव के दौरान राजनीति में बड़े बदलाव करने का वादा किया था। उन्होंने ग़रीब लोगों को मज़बूत बनाने का वादा किया था। लेकिन लोगों को अब यह लगता है कि मैक्रों के वादे सिर्फ़ वादे रह गए हैं। 18 महीने के कार्यकाल में मैक्रों आर्थिक वृद्धि और रोज़गार के वादे को पूरा नहीं कर सके हैं और इसीलिए उनकी लोकप्रियता गिर रही है। मैक्रों के कार्यकाल में अभी लगभग साढ़े तीन साल बचे हैं और उनके पास मौक़ा है कि वे देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाएँ और अपनी लोकप्रियता पुनः हासिल करें। मैक्रों ने कहा है, ‘मैं हमेशा बहस का सम्मान करता हूँ। मैं विरोधियों की बात सुनूँगा लेकिन हिंसा को कभी स्वीकार नहीं करूँगा।'

 - Satya Hindi

भारत में भी हैं उदाहरण

नेताओं की लोकप्रियता गिरना, ऐसा सिर्फ़ फ़्रांस में ही नहीं, भारत में भी देखने को मिलता है। साल 2015 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन उसके दो साल बाद 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। नगर निगम चुनाव में 272 वार्डों में से आप को केवल 46 सीटों पर ही जीत मिली थी। उसका वोट शेयर विधानसभा चुनाव में क़रीब 50% था, वह निगम चुनाव में 28 फ़ीसदी पर आ गया था। अाप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल भी राजनीति में बड़े वादे लेकर आए थे लेकिन निगम चुनाव के परिणाम से ज़ाहिर हुआ कि उनकी लोकप्रियता में ज़ोरदार गिरावट आई है।

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