संपत्तियों को बेचकर 6 लाख करोड़ जुटाए जाएंगे, केंद्र ही रखेगा मालिकाना हक़
मोदी सरकार ने सोमवार को अपनी उस योजना को लोगों के सामने रखा, जिसके जरिये उसने अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस योजना का नाम नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 का बजट पेश करते हुए पहली बार इस योजना को सामने रखा था और कहा था कि सरकार पैसा जुटाने के लिए नए रास्तों पर विचार कर रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह योजना उन ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों के बारे में है, जहां पहले से निवेश हो रहा है, जहां संपत्तियां पूरी तरह या तो ख़राब हो गई हैं या उनका पूरी तरह मुद्रीकरण (मोनेटाइजे़शन) नहीं हुआ है या फिर उनका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
सरकार ने कहा है कि ब्राउनफ़ील्ड संपत्तियों का मुद्रीकरण इनमें निजी भागीदारी के जरिये किया जाएगा। निजी भागीदारी के तहत जो कंपनियां शामिल होंगी उन्हें एक निश्चित वक़्त के बाद इन्हें सरकार को सौंपना होगा। मुद्रीकरण से जो पैसा सरकार को मिलेगा, उसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में काम लाया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना से सरकार धन जुटाएगी और पैसे के रास्ते भी खोलेगी। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि अगले चार सालों में रेल, रोड और पावर सेक्टर के अलावा कुछ प्रोजेक्ट्स का मुद्रीकरण किया जाएगा।
नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के बारे में विस्तार से बताते हुए अमिताभ कांत ने कहा कि रोड से सरकार 1.6 लाख करोड़ रुपये, रेलवे से 1.5 लाख करोड़ रुपये और पावर सेक्टर से 79 हज़ार करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी।
इसके अलावा एयरपोर्ट्स से 20,800 करोड़, बंदरगाहों से 13 हज़ार करोड़, टेलीकॉम से 35 हज़ार करोड़ रुपये, स्टेडियम से 11,500 करोड़ और पावर ट्रांसमिशन सेक्टर की 45,200 करोड़ रुपये की संपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी। मुद्रीकरण इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट मॉडल के जरिये या पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये किया जाएगा।
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी पूंजी जुटाने की दिशा में अगला क़दम है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन का हिस्सा होंगे।