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क्या राहुल को ईडी के शिकंजे से बचा पाएगा कांग्रेस का 'सत्याग्रह'? 

क्या राहुल को ईडी के शिकंजे से बचा पाएगा कांग्रेस का 'सत्याग्रह'? 

सोनिया और राहुल को ईडी के समन के बाद कांग्रेस सड़क पर जोरदार संघर्ष कर रही है। लेकिन क्या कांग्रेस नेता ईडी से बच पाएंगे?

सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय में करीब 8:30 घंटे तक पूछताछ की गई। राहुल गांधी से ये पूछताछ अकेले में की। ईडी ने पूछताछ के दौरान उनके वकील को साथ रहने की इजाजत नहीं दी। इस दौरान राहुल गांधी से 50 से ज्यादा सवाल पूछे गए। मंगलवार को भी पूछताछ जारी रहेगी। असिस्टेंट डायरेक्टर स्तर के तीन अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे हैं। 

यह आशंका जताई जा रही है कि राहुल गांधी को पूछताछ के बाद गिरफ्तार भी किया जा सकता है। इसी आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने इस पूछताछ के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है। कांग्रेस ने इसे 'सत्याग्रह' नाम दिया है। कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता ईडी के खिलाफ प्रदर्शन करने गए तो पुलिस ने उन्हें दूर से ही हिरासत में लेकर सेंट्रल दिल्ली से दूर भेज दिया है। ऐसे में सवाल है कि क्या कांग्रेस का यह 'सत्याग्रह' राहुल गांधी को ईडी के शिकंजे से बचा पाएगा? 

राहुल गांधी से लंबी पूछताछ

बता दें कि पहले ईडी ने राहुल गांधी को 2 जून को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन विदेश में होने के वजह से उन्होंने आगे की तारीख ले ली थी।  राहुल गांधी से पहले दिन अकेले में दस घंटे तक गहन पूछताछ की गई। दूसरे दिन भी इसी तरह लंबी पूछताछ की संभावना है। सूत्रों के अनुसार नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान एक उप निदेशक, एक संयुक्त निदेशक द्वारा एक सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी मौजूद रहे। 

धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत गांधी का बयान दर्ज किया गया है। इस नियम के तहत बयान दर्ज करने से पहले आरोपी को शपथ दिलाई जाती है कि वह जो कुछ कहेगा सच कहेगा सच के सिवा कुछ नहीं कहेगा। 

देशभर में सड़क पर कांग्रेस 

ईडी में राहुल गांधी की पेशी के खिलाफ देशभर में कांग्रेसी सड़कों पर उतर आए हैं। हर राज्य की राजधानी से कांग्रेसियों के जमकर विरोध की खबरें आ रही हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस मुद्दे ने देश भर में लगभग मुर्दा हो गई कांग्रेस को जीवनदान दे दिया है। कांग्रेस इस मुद्दे पर जमकर संघर्ष करती है तो आने वाले दिनों में उसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों में राजनीतिक फायदा भी हो सकता है। गुजरात की राजधानी अहमदाबाद सेबी कांग्रेस के जबरदस्त प्रदर्शन की खबरें हैं। कांग्रेस पर भी आरोप लगते रहे हैं कि वो सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना भूल चुकी है।

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मोदी सरकार पर कांग्रेस का हमला

कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी की विधि के सामने पेशी को गलत और गैर कानूनी करार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का तो कहना है कि मोदी सरकार ने 2014 में इस मामले को खत्म कर दिया था लेकिन फिर बगैर एफआईआर दर्ज किए इस मामले में जांच को आगे बढ़ाया गया। इससे सरकार की नियत में खोट साफ दिखता है। इसी तरह कांग्रेस के अन्य नेताओं के भी मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। हिरासत में लिए जाने के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजे वाला ने कहा कि गोडसे के वंशज एक बार फिर गांधी को डराने चले हैं, ना महात्मा गांधी डरे थे और ना उनके उत्तराधिकारी डरेंगे। अगर इस देश में अखबार के पत्रकारों की तनख्वाह देना, हाउस टैक्स देना, बिजली का बिल देना अपराध है तो हम ये अपराध बार-बार करेंगे। सुरजेवाला ने कहा कि कायर मोदी सरकार हमें गिरफ्तार करे और हमें आजीवन कारावास दे पर अंग्रेज भी हारा था और मोदी भी हारेगा।

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स्मृति ईरानी का कांग्रेस को जवाब

कांग्रेस नेताओं के आरोपों का जवाब देने के लिए मोदी सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मोर्चा संभाला। स्मृति ईरानी ने कहा कि एक कंपनी जो 1930 में गठित होती है उसका नाम एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड है। इस पर अब गांधी परिवार का कब्जा है। इस अखबार के प्रकाशन के लिए एक ही परिवार को शेयर होल्डिंग दी गई और ये एक ही परिवार को इसलिए दी गई ताकि वे प्रकाशन न करें बल्कि रियल स्टेट का बिजनेस करें।स्मृति ने आगे कहा कि 2008 में इस कंपनी ने अपने ऊपर 90 करोड़ का कर्ज चढ़ा लिया था और फैसला किया कि अब ये कंपनी प्रोपर्टी के बिजनेस में उतरेगी। 2010 में 5 लाख रूपए से यंग इंडिया नाम की कंपनी बनी और राहुल गांधी इसमें निदेशक के रूप में इसमें शामिल हुए। स्मृति ने कहा कि  इसमें उनकी उनकी हिस्सेदारी मात्र 75 फीसदी थी। बाकी उनकी माता जी, मोती लाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज जैसे नेताओं के पास थी। 

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कांग्रेस-बीजेपी में जुबानी जंग 

एक राजा कांग्रेस यदि की कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरी हुई है वहीं बीजेपी नेताओं के साथ कांग्रेस नेताओं की जुबानी जंग जारी है कांग्रेस या मोदी सरकार को सीधे जिम्मेदार ठहरा रही है वहीं कांग्रेसी में बीजेपी के नेता कांग्रेस को भ्रष्टाचार समर्थक करार दे रहे हैं। नेताओं ने कांग्रेस के सत्याग्रह को मजाक बताते हुए इसे जश्न-ए-भ्रष्टाचार करार दिया है। 

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस आज जो कर रही है वह 'जश्न-ए-भ्रष्टाचार' है। कांग्रेस भ्रष्टाचार का जश्न मना रही है। कांग्रेस ने फिर से राहुल गांधी मॉड्यूल को भ्रष्टाचार के पैड से लॉन्च करने की कोशिश की है, हम आश्वासन देते हैं कि उनका वही भाग्य होगा, वह फिर असफल होंगे।

क्या जेल जाएंगे सोनिया-राहुल? 

यूपी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की व्यक्तिगत रूप से पेशी के बाद इन दोनों नेताओं के जेल जाने की आशंका जताई जा रही है। कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 23 जून को विध के सामने पेश होना है हालांकि उन्हें 8 जून को पेश होना था लेकिन कोरोना पॉजिटिव होने के चलते उनकी पेशी की तारीख 23 जून कर दी गई है।  बीजेपी नेता पहले सही दावा करते रहेंगे भ्रष्टाचार के मामले में वह सोनिया और राहुल दोनों को जेल भिजवा कर ही रहेंगे। ईडी की कार्रवाई उसी दिशा में बढ़ती दिख रही है।

क्या इंदिरा जैसी सहानुभूति मिलेगी?

राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि अगर राहुल या सोनिया गांधी में से किसी एक की या फिर दोनों की गिरफ्तारी होती है तो इससे कांग्रेस ठीक उसी तरह फिर जिंदा हो सकती है जैसे जनता पार्टी की सरकार के दौरान हुई इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस सत्ता में वापस आई थी। बता दें कि  इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था। इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके ले जाती पुलिस की फोटो जब अखबार में छपी तो उससे जनता में उनके प्रति बड़े पैमाने पर सहानुभूति पैदा हुई।

इसी सहानुभूति की बदौलत इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1980 के लोकसभा चुनाव में जोरदार तरीके से सत्ता में वापसी की थी। कांग्रेस भी इसी उम्मीद पर है कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चल रही कार्यवाही से जनता के बीच उनके प्रति सहानुभूति पैदा होगी तो 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे इसका फायदा मिल सकता है। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मुकाबले खुद को साबित करना है।

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