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तालिबान-अफ़ग़ानिस्तान पर सोशल मीडिया में नैरेटिव गढ़ने की कोशिश

तालिबान-अफ़ग़ानिस्तान पर सोशल मीडिया में नैरेटिव गढ़ने की कोशिश

इनकी कोशिश अपनी-अपनी बातों को लोगों के जेहन तक पहुंचाकर उन पर मानसिक रूप से कब्जा करने की है। 

आतंकवादी संगठन तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सरकार को हटाकर हुकूमत अपने हाथ में ले ली है। भारत में इसे लेकर जबरदस्त रिएक्शन है क्योंकि तालिबान कट्टरपंथी मुसलिम संगठन है और भारत में हिंदुत्ववादी संगठन इसे लेकर टिप्पणी कर रहे हैं तो दूसरी ओर से उन्हें जवाब भी मिल रहा है। हिंदुत्ववादी संगठन और इसलामिक ताक़तें इसे लेकर या ऐसे ही बाक़ी मुद्दों पर आमने-सामने हैं और पहले भी होती रही हैं। 

इनकी कोशिश अपनी-अपनी बातों को लोगों के जेहन तक पहुंचाकर उन पर मानसिक रूप से कब्जा करने की है। भारत में भी अच्छी संख्या में अफ़ग़ानिस्तान के लोग रहते हैं और वे भी तालिबान को लेकर अपना रिएक्शन दे रहे हैं। 

बीते कई दिनों से ट्विटर पर कभी #अफ़ग़ानिस्तान, कभी #तालिबान कभी #Indian Muslims ट्रेंड हो रहा है। इन सारे ट्रेंड्स में राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल हैं। जैसे बीजेपी की विचारधारा से जुड़े धर्मेंद्र कहते हैं कि अमेरिका के हटते ही तालिबानियों ने अफ़ग़ानिस्तान को नर्क बना दिया..!! कांग्रेस भी मोदी जी को हटा के भारत को नर्क बनाने की तैयारी में है। 

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कांग्रेस की विचारधारा के समर्थक राजेश जाखड़ बिना नाम लिए कट्टर हिंदूवादी संगठनों पर टिप्पणी करते हैं कि सुनो ढोंगियों, वो भी तुम्हारी तरह अपने आप को धर्म का रक्षक मानते हैं। 

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इसी तरह सुनील भारतीय जो हिंदुत्व को सर्वोपरि मानने की बात कहते हैं, उन्होंने लिखा है कि इन लोगों को बहुत डर लगता था भारत में, अफ़गानिस्तान के द्वार तालिबान ने खोल दिए हैं जाइए और वहां रहिए। 

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लिबरल्स के ख़िलाफ़ हमला बोलते हुए अली सोहराब नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि इनको सबसे ज़्यादा तकलीफ़ शरीयत से है। 

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काबुल में लगी महिलाओं की तसवीरों को ढके जाने को लेकर जब पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने टिप्पणी की कि इन्हें महिलाओं की आज़ादी तसवीरों में भी बर्दाश्त नहीं है तो सलमान खान नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा कि इसी तरह की तसवीरें आप आपके चाहने वालों की लगवा लीजिए और उन्हें आज़ादी भी दिलवा दीजिए।

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सत्य वचन नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा है, “अफ़ग़ानिस्तान की घटना से क्या सीखा? सारा व्यापार, घर और बैंक बैलेंस यहीं रह जाता है।”

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दीपक जेठवा नाम के शख़्स गले में भगवा गमछा और हाथों में तलवार लिए कुछ लोगों की फ़ोटो पोस्ट कर कहते हैं कि इन लोगों और तालिबान में कोई फर्क है क्या। 

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पीस पार्टी के प्रवक्ता शादाब चौहान का एक ट्वीट भी वायरल हो रहा है जिसमें वे तालिबान को शुभकामनाएं दे रहे हैं कि तालिबान ने सत्ता को शांति पूर्ण तरीके से हासिल किया। 

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इस ट्वीट पर कि तालिबान के स्थानीय नेताओं ने काबुल के गुरुद्वारे में हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के साथ बैठक की है। पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के सलाहकार रहे सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा है कि नया अफ़ग़ानिस्तान उभर रहा है और हमें इसका स्वागत करना चाहिए। इसे पत्रकार गज़ाला वहाब ने री-ट्वीट किया है। 

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मशहूर लेखक जावेद अख़्तर अमेरिका को लताड़ते हुए कहते हैं कि वह किस तरह का सुपर पावर वाला देश है जो तालिबान जैसे दुर्दांत लोगों को नहीं खदेड़ सका और यह कैसी दुनिया है जिसने अफगान महिलाओं को इन उन्मादियों के हाथ में छोड़ दिया है। 

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बीजेपी के समर्थक अंकित जैन ने ट्वीट कर कहा है कि भारत के मुसलमान तालिबान की जीत का जश्न मना रहे हैं। इससे उनकी सोच का पता चलता है। 

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इसके अलावा ट्विटर पर नफ़रती संदेशों की भी बाढ़ आई हुई है। इन संदेशों की आड़ में मुसलमानों को लेकर तमाम तरह की बातें कही जा रही हैं। कुछ लोगों को कहना है कि तालिबान की मुखालफ़त के मामले में वामपंथियों ने चुप्पी साध ली है। 

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