+
महाराष्ट्र: पहले सदन से वॉक आउट, अब स्पीकर पद पर चुनाव से पीछे हटी बीजेपी

महाराष्ट्र: पहले सदन से वॉक आउट, अब स्पीकर पद पर चुनाव से पीछे हटी बीजेपी

बीजेपी ने पहले विधानसभा के स्पीकर पद पर जोर-शोर से दावेदारी की लेकिन शायद उसे समझ में आ गया कि अगर चुनाव हुआ तो उसे क़रारी हार मिलेगी। इसीलिए उसने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया। 

महाराष्ट्र में लाख कोशिशों के बाद भी सरकार बना पाने में विफल रही बीजेपी ने पहले विधानसभा के स्पीकर पद पर जोर-शोर से दावेदारी की लेकिन शायद उसे समझ में आ गया कि अगर चुनाव हुआ तो उसे क़रारी हार मिलेगी। इसीलिए उसने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया। हालाँकि बीजेपी ने कहा कि अन्य पार्टियों के अनुरोध को देखते हुए उसने यह फ़ैसला किया। लेकिन शनिवार को जिस तरह ठाकरे सरकार ने आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया था, उसे देखते हुए ही यह तय हो गया था कि स्पीकर पद पर ही महा विकास अघाडी का प्रत्याशी विजयी होगा। बीजेपी ने इस पद के लिए किसान कठोरे के नाम का प्रस्ताव किया था। अघाडी के प्रत्याशी नाना पटोले निर्विरोध स्पीकर चुने गए हैं। 

बीजेपी के पीछे हटने से यह साफ़ है कि उसे इस बात का भरोसा हो गया है कि ताज़ा राजनीतिक हालात में महा विकास अघाडी के विधायक एकजुट हैं और अगर वह स्पीकर के चुनाव में हारेगी तो उसकी ज़्यादा किरकिरी होगी।

शनिवार को भी महा विकास अघाडी के विधायकों के अलावा छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया था। तब भी बीजेपी ने बहुमत परीक्षण में भाग लेने के बजाय सदन से वॉक आउट कर दिया था। यह माना गया था कि - ‘बहुमत परीक्षण में बीजेपी को हार मिली’, इस तरह की ख़बरों से बचने के लिए ही उसने वॉक आउट कर दिया था। 

महा विकास अघाडी की सरकार के पक्ष में शिवसेना के 56, एनसीपी के 54, कांग्रेस के 44 विधायकों के अलावा समाजवादी पार्टी के 2, स्वाभिमानी शेतकरी के एक, बहुजन विकास अघाडी के 3 और 8 निर्दलीय विधायकों ने वोट दिया था। बहुमत साबित करने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीजेपी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि सदन में वैचारिक मतभेदों को ग़लत तरीक़े से रखा गया और यह महाराष्ट्र की परंपरा नहीं है। 

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चले लंबे संघर्ष में शिवसेना ने बीजेपी को मात तो दे दी लेकिन यह भी सच है कि उसने विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन किया है और यह गठबंधन पूरे 5 साल चलेगा या नहीं, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। हालांकि गठबंधन के पास शरद पवार जैसे अनुभवी नेता हैं और कई दौर की बैठकों के बाद ही तीनों दलों के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार हो सका है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम से सभी विवादित मुद्दों को दूर रखा गया है और माना जा रहा है कि पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही शरद पवार और सोनिया गाँधी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने का फ़ैसला किया होगा। 

मंत्रिमंडल विस्तार पर है नज़र

नाना पटोले के स्पीकर चुने जाने के बाद सभी की नज़रें महाराष्ट्र में सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार पर हैं। माना जा रहा है कि बहुत जल्द उद्धव कैबिनेट का विस्तार हो सकता है और इसमें महा विकास अघाडी में शामिल तीनों दलों शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के कुछ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। ख़बरों के मुताबिक़, उद्धव ठाकरे की कैबिनेट में शिवसेना के 16,  एनसीपी के 15 और कांग्रेस के 12 मंत्री होंगे। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें